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Swadhinta Hi Suraksha, “स्वाधीनता ही सुरक्षा” Hindi motivational moral story of “Dayananda Saraswati” for students of Class 8, 9, 10, 12.

स्वाधीनता ही सुरक्षा

Swadhinta Hi Suraksha

जनवरी 1873 की बात है। तत्कालीन वायसराय लार्ड नाथ ब्रुक ने आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द सरस्वती को विशेष बातचीत के लिए कलकत्ता आमंत्रित किया। जब स्वामी जी वहां पहुंचे तो वायसराय ने कहा-“आपके अन्ध-विश्वास विरोधी व्याख्यानों को सुनकर काफी प्रसन्नता होती है। यदि आपको कट्टरपंथी लोगों से कोई खतरा दिखाई देता हो तो स्पष्ट कहिए। शासन आपकी सुरक्षा की व्यवस्था कर सकता है।” स्वामी जी मुस्कराए और बोले, “मैं ईश्वर में विश्वास करने वाला व्यक्ति हूँ। इसलिए भला मृत्यु से भय क्यों लगेगा? मुझे सुरक्षा की कोई आवश्यकता नहीं है।”

इसके बाद वायसराय ने अपने मन की बात कही-“स्वामी जी, आप अपने व्याख्यानों में अंग्रेजी शासन द्वारा किये गये उपकारों की भी प्रशंसा कर दिया करें।” वायसराय की बात सुनकर स्वामी जी दृढ़ भाव बोले- “मेरा विश्वास है कि जब तक भारतवर्ष स्वाधीन नहीं होता। अतः मैं हमेशा अपने देश की अंग्रेजों से मुक्ति की कामना करता हूँ।” स्वामी जी की बात सुनकर वायसराय हतप्रभ रह गया।

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