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Sadhbhavna Diwas – 20 August “सद्भावना दिवस – 20 अगस्त” Hindi Nibandh, Essay for Class 9, 10 and 12 Students.

सद्भावना दिवस – 20 अगस्त (Sadhbhavna Diwas – 20 August)

राजीव गाँधी का जन्म दिवस

हमारे पूर्व प्रधानमंत्री, स्वर्गीय राजीव गाँधी का जन्म दिन 20 अगस्त प्रतिवर्ष सारे देश में सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

हमारे स्वतन्त्र देश के नागरिक गौरवशाली हैं। उन्हें स्वावलम्बी बनकर गर्व से जीना चाहिए और अपना आत्मविश्वास भी बढ़ाना चाहिए।” -राजीव गाँधी

राजीव गाँधी : जीवन परिचय (Rajiv Gandhi: Biography)

राजीव गाँधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुम्बई में हुआ था। इनके पिता का नाम फिरोज गाँधी एवं माता का नाम श्रीमती इन्दिरा गाँधी था। बचपन में ही इनकी माता श्रीमती इंदिरा गाँधी ने इन्हें मानवता का पाठ पढ़ाया था इसलिए ये जाति-पाँति के भेद से ऊपर. पूरे मानव समाज से प्रेम करते थे।

राजीव की पढ़ाई की शुरूआत घर पर ही हुई। राजीव जब थोड़े बड़े हुए तो इन्हें पढ़ाई के लिए देहरादून के ‘दून पब्लिक स्कूल’ में भेजा गया। यहाँ के अध्यापक हरिदत्त कौशिक अनुशासन के मामले में बहुत कठोर थे। राजीव ने पूरे अनुशासन के साथ देहरादून में अपनी पढ़ाई की।

इनकी माता इंदिरा गाँधी का अमिताभ बच्चन की माता तेजी बच्चन से घनिष्ठ प्रेम था। इसलिए राजीव अपने छोटे भाई संजय, तेजी बच्चन के दोनों लड़के अमिताभ और अजिताभ के साथ बचपन में खूब खेलते थे। राजीव का अमिताभ से विशेष प्रेम और मित्रतन थी। खेलते समय इन बालकों की शरारत देखकर पण्डित जवाहरलाल नेहरू खूब प्रसन्न होते थे।

देहरादून के स्कूल में राजीव एक साधारण छात्र की तरह रहते थे। उन्हें अपने नाना पण्डित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री पद पर होने का कोई घमण्ड नहीं था। राजीव के पास कई अच्छे-अच्छे खिलौने होते थे। वे उन खिलौनों को खोलकर उन्हें फिर से जोड़ते। थे। यह प्रेरणा उन्हें अपने सांसद पिता फिरोज गाँधी से मिली थी, जो एक कुशल मैकेनिक थे।

राजीव ने सीनियर कैम्ब्रिज की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की। उन दिनों द्वितीय श्रेणी का बहुत ही महत्त्व था। कुछ दिनों बाद राजीव को पढ़ने के लिए विलायत भेजा गया। विलायत में उन्होंने एक साल इम्पीरियल कॉलेज में पढ़ाई की। इसके पश्चात् मैकेनिकल इंजीनियर बनने के लिए राजीव ने ट्रिनीटी कॉलेज में प्रवेश लिया।

राजीव जब विलायत में थे, तब उन्हें इंग्लैण्ड के एक समारोह में आमन्त्रित किया गया। समारोह में उनकी ‘सोनिया माइनो’ नामक युवती से भेंट हुई। यह युवती एक वर्ष के लिए इटली से इंग्लैण्ड अपनी पढ़ाई के लिए आई थी। सोनिया राजीव के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुई। दोनों ने एक-दूसरे को अपना परिचय दिया और दोनों ने मन ही मन विवाह करने का निश्चय किया। राजीव ने अपनी माँ को इस विषय में जानकारी दी। इंदिरा गाँधी सोनिया से मिलकर बहुत खुश हुईं। उन्होंने राजीव को सोनिया से शादी करने की मंजूरी दे दी, किन्तु सोनिया को अपने पिता से अभी सहमति नहीं मिली थी। लम्बे विचार-विमर्श के बाद सोनिया के पिता ने अपनी बेटी का विवाह राजीव से करना सुनिश्चित किया ।

25 फरवरी, 1968 को राजीव और सोनिया का विवाह हुआ तो ‘सोनिया माइनो’, ‘सोनिया गाँधी’ कहलाने लगी। विवाह के दो साल बाद राजीव गाँधी ने दिल्ली के ‘फ्लाइंग क्लब’ में हवाई जहाज चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त किया। फिर उन्होंने हवाई जहाज उड़ाने का लाइसेंस प्राप्त किया। वे एक अच्छे पायलेट बन गए।

1975 में देश में आपात स्थिति की घोषणा की गई। 1977 में लोकसभा के चुनाव हुए। इन चुनावों में कांग्रेस बुरी तरह से पराजित हुई। इंदिरा गाँधी स्वयं चुनाव हार गईं। राजनीति में उलटे समीकरण देखकर इंदिरा गाँधी को बड़ा आश्चर्य हुआ।

23 जून, 1980 को राजीव गाँधी के छोटे भाई संजय गाँधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु से इंदिरा गाँधी को गहरा सदमा पहुँचा। अब इंदिरा गाँधी को सिर्फ राजीव गाँधी का ही सहारा था। राजीव गाँधी ने अपनी माँ की भावनाओं को समझा और उनकी मदद करने के लिए राजनीति में प्रवेश किया।

अब तक राजीव गाँधी के एक पुत्री प्रियंका और एक पुत्र राहुल हो चुके थे। 1981 की बात है। राजीव गाँधी ने एक किसान रैली को सम्बोधित करके राजनीति में प्रवेश लिया। इस रैली में लगभग 50 लाख किसान आए थे। अपने भाषण से राजीव गाँधी ने किसानों का दिल जीत लिया।

1981 में राजीव गाँधी ने अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीता। 1983 में राजीव गाँधी कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में शामिल हुए। उन्होंने अधिवेशन में पण्डित जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गाँधी के साथ अपनी तस्वीर को लगे हुए देखा। इससे उन्हें बड़ी नाराजगी हुई। जब उनकी तस्वीर वहाँ से हटाई गई तभी वे अपने स्थान पर शान्तिपूर्वक बैठ पाए।

31 अक्टूबर, 1984 को श्रीमती इंदिरा गाँधी की उनके सुरक्षा गार्डों ने हत्या कर दी। प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की निर्मम हत्या का समाचार सारे देश में आग की तरफ फैल गया। उस समय राजीव गाँधी दिल्ली में नहीं थे। वे बंगाल के दौरे पर थे। वहाँ पर उन्हें अपनी माँ की हत्या का दुःखद समाचार मिला। वे अपने कार्यक्रम को रद्द करके दिल्ली पहुँचे।

कांग्रेस संसदीय दल की आपातकालीन बैठक बुलाई गई। बैठक में राजीव गाँधी को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने राजीव गाँधी को देश के नए प्रधानमन्त्री के रूप में शपथ दिलाई।

राजीव गाँधी जब पहले दिन प्रधानमंत्री कार्यालय में आए तो उन्होंने उसी दिन सरकारी तन्त्र को निष्ठा से काम करने के लिए सजग कर दिया। उन्होंने 12 नवम्बर, 1984 को आठवें आम चुनाव की घोषणा कर दी, क्योंकि राजीव जनता का समर्थन प्राप्त करना चाहते थे।

पंजाब और असम को छोड़कर पूरे देश में आम चुनाव हुए। चुनाव में राजीव गाँधी की पार्टी कांग्रेस (ई) को 401 स्थान मिले। 21 दिसम्बर, 1984 को राजीव गाँधी ने पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।

बड़े-बड़े राजनीतिक दिग्गजों ने कभी यह कल्पना भी नहीं की थी कि देश की जनता इतने प्रचण्ड बहुमत के साथ राजीव गाँधी को प्रधानमन्त्री की बागडोर सौंपेगी। राजीव गाँधी का विपक्ष मिली-जुली सरकार बनाने के सपने देख रहा था, लेकिन उनका सपना, सपना ही रह गया। इस बार चुनाव में जनता ने राजीव गाँधी का जितना साथ दिया था, उतना साथ जनता ने कभी उनके नाना पण्डित जवाहरलाल नेहरू का भी नहीं दिया था।

भारत के चालीस वर्षीय युवा प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने जिस तरह से भारत की जनता का दिल जीता था, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। वे जिन समस्याओं को लेकर चुनाव मैदान में उतरे थे, वे इस प्रकार थीं—

  • पंजाब में उग्रवाद की समस्या,
  • गुजरात का आरक्षण विरोधी आन्दोलन, तथा
  • असम में घुसपैठियों की समस्या ।

राजीव गाँधी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी तैयार की थी। वे भारत से भ्रष्टाचार को मिटाना चाहते थे। राजीव गाँधी ने जब सत्ता सम्भाली तो विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने उन्हें बधाई सन्देश भेजे। न्यूयार्क के महापौर ने राजीव गाँधी की प्रशंसा करते हुए कहा था कि- “राजीव बुद्धिमान हैं, योग्य हैं। अब उन्हें विश्व शान्ति के प्रयासों में हमारा सहयोग करना चाहिए।”

चुनाव जीतकर सत्ता सम्भालने के पश्चात् राजीव गाँधी ने 5 जनवरी, 1985 को रेडियो और टी.वी. पर राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा- “साथियों!

चुनाव में आपने मुझमें जो विश्वास जताया है, उसकी प्रशंसा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। आपने मेरे माथे पर जो विजयी तिलक लगाया है, वह विजय भारतीय एकता की है, आपकी है, पूरे देश की है। ….. हम किसी एक मंजिल पर रुकना नहीं चाहते, बल्कि हम और मंजिलों की ओर भी आगे बढ़ना चाहते हैं। हम पूरा प्रयास करेंगे कि फिरकापरस्ती बढ़ने न पाए। लोगों में शान्ति हो, सद्भावना हो। उनके मन में किसी तरह का छल-कपट न हो।”

राजीव गाँधी ने 29 जुलाई, 1987 को भारत-श्रीलंका समझौता किया। 1986- 87 में दक्षिण एशिया सहयोग संगठन के अधिवेशन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। राजीव गाँधी ने चीन की यात्रा की। वे पाकिस्तान के दौरे पर भी गए।

1989 में नौवीं लोकसभा के चुनाव हुए। इस चुनाव में प्रचार करने के लिए राजीव गाँधी के साथ उनकी पत्नी सोनिया गाँधी भी गईं। चुनावों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। उस समय राजीव गाँधी विपक्ष के नेता बनकर जनता के सामने आए। देश के प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह बने।

जनता दल में होने वाले झगड़ों के कारण वी.पी. सिंह ज्यादा दिन तक प्रधानमंत्री पद पर नहीं रह सके। इसके बाद चन्द्रशेखर प्रधानमन्त्री बने । चन्द्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे। राजीव गाँधी भारत को 21वीं सदी में ले जाने की कल्पना कर रहे थे। उन्होंने जो कम्प्यूटर क्रान्ति आरम्भ की थी, कुछ लोग उसका विरोध कर रहे थे, किन्तु बाद में वे लोग ही उसका महत्त्व समझ गए। राजीव गाँधी ने 18 वर्ष के युवक-युवतियों को मतदान का अधिकार दिलाया था।

राजीव गाँधी जनता के दुःख दर्द जानने का प्रयास करते थे। जब वे दौरे पर जाते सुरक्षा घेरे को तोड़कर लोगों से मिलते और उनकी परेशानियाँ पूछते। लोग उनके विरुद्ध तरह-तरह की बातें फैला रहे थे, किन्तु अपनी सौम्य छवि से उन्होंने जनता को अपने विश्वास में ले लिया।

राजीव गाँधी सत्ता में पुनः आने के लिए अपनी पार्टी को मजबूत बनाना चाहते थे। वे कांग्रेस के आदर्श को जन-जन तक पहुँचाना चाहते थे। उन्होंने एक सभा को सम्बोधित करते हुए कहा-

देश की जनता को हिम्मत और साहस से काम लेना है। उन्हें विरोधी ताकतों से डरना नहीं है। हमें अपनी नीतियों पर कायम रहना है। हारने से कभी मन को छोटा नहीं करना चाहिए, क्योंकि जहाँ हार है, वहीं जीत भी है।”

21 मई, 1991 को राजीव गाँधी एक सभा को सम्बोधित करने ‘पेरुम्बदूर’ जा रहे थे। रात का समय था। वहाँ लोगों की भीड़ अपने प्रिय नेता का इंतजार कर रही थी। राजीव गाँधी पेरुम्बदूर में बनाए गए हैलीपेड पर रात के दस बजकर दस मिनट पर उतरे। वहाँ लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। ऐसी स्थिति में एक युवती अपने हाथों में फूलों की माला लेकर राजीव की ओर बढ़ी। उसने माला राजीव के गले में डाली, तभी एक भीषण विस्फोट हुआ। चारों ओर काला धुआँ छा गया। धुआँ छंटने के बाद लोगों ने देखा कि राजीव गाँधी नहीं रहे। यह खबर सुनकर सारी दुनिया शोक में डूब गई। दुनिया के कई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राजीव गाँधी की अंत्येष्टि में शामिल हुए। राजीव गाँधी के पुत्र राहुल गाँधी ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी। इस प्रकार देश के इस महान् नेता का जीवन समाप्त हुआ।

राजीव गाँधी का योगदान (Contribution of Rajiv Gandhi)

राजीव गाँधी ने देश को ‘भारत बनाओ’ नारा दिया था। उन्होंने अपने कार्यकाल में देश के समग्र विकास के लिए कार्य किया। वे देश को 21वीं शताब्दी में सारे विश्व का अग्रणी बनाना चाहते थे। उनके व्यक्तित्व पर अपने नाना जवाहरलाल नेहरू, माँ इंदिरा गाँधी और पिता फिरोज गाँधी की गम्भीर छाप थी। उन्होंने देश की प्रगति के लिए देश के प्रत्येक वर्ग का आह्वान किया।

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