Rupak Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
रूपक अलंकार
Rupak Alankar
जब उपमेय में उपमान का आरोप किया जाय, तो रूपक अलंकार होता है। उपमान का आरोप करने का अर्थ यह है कि उपमेय के रूप में उपमान स्वयं उपस्थित हो।
इस प्रकार उपमेय (जो कि वास्तव में उपमान से कुछ हीन ही होता है) को इतना बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है, मानो उसने उपमान के सब गुण- रूप-कर्म स्वयं प्राप्त कर लिये हैं।
सामान्य भाषा में अनेक रूपक प्रचलित हैं। जैसे हम ‘कर-कमल’, ‘मुख-कमल’ ‘मुख चन्द्र’, ‘पद-कमल’, ‘भव-सागर’ आदि का प्रयोग बहुधा करते हैं। वास्तव में ये सब रूपक अलंकार के उदाहरण हैं-
कर-कमल – कर रूपी कमल। कर (उपमेय) में, उपमान ‘कमल’ का आरोप
मुख-कमल – मुख (उपमेय) में कमल (उपमान) का आरोप।
मुख-चन्द्र – मुख (उपमेय) में चन्द्र (उपमान) का आरोप।
भव-सागर – भव-संसार (उपमेय) में सागर (उपमान) का आरोप।
इसी प्रकार – ईर्ष्या की अग्नि, सुन्दरता का सागर, प्रेम का बन्धन आदि भी रूपक अलंकार के ही उदाहरण हैं। अन्य उदाहरण-
मृत्यु एक सरिता है, जिसमें,
श्रम से कातर जीव नहाकर
फिर नूतन धारण करता है,
काया रूपी वस्त्र बहाकर ।
इस उदाहरण में दो रूपक हैं – मृत्यु (उपमेय) में सरिता (उपमान) का आरोप किया गया है। काया (उपमेय) में वस्त्र (उपमान) का आरोप किया गया है।
पायो जी, मैंने राम रतन धन पायो।
यहाँ पर राम रूपी रत्न में रूपक है। राम (उपमेय) में रत्न (उपमान) का आरोप है।
सत की नाव, खेवटिया सतगुरु, भवसागर तर आयो।
यहाँ पर सत में नाव का आरोप, सतगुरु में खेवटिया (नाव खेने वाला) का आरोप तथा भव (संसार) में सागर का आरोप है।
मो मन मानिक ले गयो, चितै चोर नंदनंद ।
यहाँ मन को माणिक्य और नंद के नंदन को चोर कहा गया है।
चरण-कमल बन्दौ हरि गाई।
चरण-कमल -चरण रूपी कमल। यहाँ चरण में कमल का आरोप किया गया है।
शिक्षा-गगन के छात्र-नक्षत्रों को मेधारूपी चंद्र ज्योत्सना ने दैदीप्यमान किया।
यहाँ शिक्षा उपमेय में गगन उपमान का आरोप, छात्र उपमेय में नक्षत्र उपमान का आरोप एवं मेधा उपमेय में चन्द्र ज्योत्सना का आरोप किया गया है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।
अम्बर-पनघट में डुबो रही, तारा-घट, ऊषा – नागरी ।
यहाँ अम्बर-पनघट, तारा-घट और ऊषा-नागरी में रूपक अलंकार है।