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Patrakarita ke Swaroop aur Prakar “पत्रकारिता के स्वरूप और प्रकार” Hindi Essay, Paragraph in 800 Words for Class 10, 12 and competitive Examination.

पत्रकारिता के स्वरूप और प्रकार

Patrakarita ke Swaroop aur Prakar

‘खींचो न कमानों को, न तलवार निकालो,

जब तोप मुकाबिल हो, अखबार निकालो।’

प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहाबादी पत्रकारिता की उस परिव्याप्ति, प्रभाव क्षमता अभिव्यक्ति की शक्ति तथा अन्तर्निहित सामर्थ्य को रेखांकित करते है, जिसके बल पर उसे लोकतंत्र का ‘चौथा स्तम्भ’ कहा जाता है। पत्रकारिता परिवर्तन की सूत्रधार है, क्रान्ति की अग्रदूत है, श्रेष्ठ सामाजिक संरचना की शिल्पकार है और राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। जीवन और जगत् सम्बन्धी सत्य की खोज सम- सामयिक परिवेश के साथ तथ्याधारित सहज अभिव्यक्ति ही पत्रकारिता का अभीष्ट होता है। वस्तुतः पत्रकारिता जनभावना की अभिव्यक्ति, सदवृत्तियों की उद्भूति और जीवन मूल्यों के उद्गीति का संगम है।

पत्रकारिता के लिए अंग्रेजी में ‘जर्नलिज्म’ शब्द का प्रयोग होता है। इसकी व्युत्पत्ति अंग्रेजी के ‘जरनल’ शब्द से हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-‘दैनिक’ । दिन-प्रतिदिन के क्रियाकलापों, सरकारी बैंकों आदि का विवरण ‘जर्नल’ में रहता है। 20वीं शताब्दी में गम्भीर समालोचना और विद्वतापूर्ण प्रकाशन को इसके अन्तर्गत माना गया है। ‘जर्नल’ से बना ‘जर्नलिज्म’ शब्द अपेक्षाकृत अधिक व्यापक है। ‘इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका’ के अनुसार-“समाचारों का संकलन, प्रसारण, विज्ञापन की कला एवं पत्र का व्यावसायिक संगठन ‘जर्नलिज्म’ है।” समसामयिक गतिविधियों के संचार से सम्बद्ध सभी साधन इसी के अन्तर्गत आते हैं। डॉ. अर्जुन तिवारी के अनुसार – “समय और समाज के सन्दर्भ में सजग रहकर नागरिकों में दायित्व बोध कराने की कला को पत्रकारिता कहते हैं। गीता में जगह-जगह ‘शुभ दृष्टि’ का प्रयोग है। यह ‘शुभ दृष्टि’ ही पत्रकारिता है; जिसमें गुणों को परखना तथा मंगलकारी तत्त्वों को प्रकाश में लाना सम्मिलित है। महात्मा गांधी तो इसमें ‘सम-दृष्टि’ को महत्त्व देते थे। समाजहित में सम्यक् प्रकाशन को पत्रकारिता कहा जा सकता है। असत्य, अशिव, असुन्दर पर सत्यम् शिवम् सुन्दरम् की शंख-ध्वनि ही पत्रकारिता है।

पत्रकारिता समाचारों का संकलन, लेखन और प्रस्तुतीकरण है। पत्रकार तात्कालिक घटनाओं और समस्याओं का यथार्थ और निष्पक्ष वर्णन पाठकों के सामने प्रस्तुत करता हैं। इस तरह विभिन्न विचारों तथा ज्ञानवर्द्धक सूचनाओं को पाठकों तक सम्प्रेषित करने का सशक्त माध्यम पत्रकारिता है। समाज के प्रति पत्रकार का अहम् उत्तरदायित्व होता है। उसे निष्पक्ष, योग्य और विवेकशील होना चाहिए। ऐसा पत्रकार एक समर्थ जनमत की संरचना कर सकता है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी ने समाज के स्वतंत्र प्रेस के महत्व को स्वीकार किया है, वहीं प्रख्यात साम्यवादी चिन्तक लेनिन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता, दोनों को नकार दिया। परन्तु लेनिन जब विचारों को बन्दूकों से भी अधिक मारक बताते हैं तब परोक्ष रूप से ही सही, प्रेस और विचारों के महत्त्व को स्वीकार करते हैं।

पत्रकारिता की प्रकृति का विवेचन करते समय उन उद्देश्यों को स्पष्ट करना आवश्यक होता है जो वस्तुतः पत्रकारिता का आधार होते हैं। पत्रकारिता का मूल उद्देश्य शिक्षित करना, सूचना देना, और मनोरंजन करना होता है। वस्तुतः इन तीनों उद्देश्यों में समूची पत्रकारिता का सार छिपा हुआ है। वास्तव में पत्रकारिता मानव मात्र को जीने की कला सिखाती है। किसी भी समाज या देश के अतीत का अध्ययन और विवेचन इस साहित्य और इतिहास में पाते हैं, परन्तु समसामयिक जीवन का, उससे सुन्दर और कुरूप दोनों रूपों का कटु यथार्थ चित्रण पत्रकारिता में ही मिलता है।

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। जीवन के विविध पक्षों को अपनी अभिव्यक्ति की सीमा में समाहित करने वाली पत्रकारिता के विविध रूप हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रकारों का वर्णन इस प्रकार है-

(1) साहित्यिक पत्रकारिता

(2) सांस्कृतिक पत्रकारिता

(3) आर्थिक पत्रकारिता

(4) खेल-कूद पत्रकारिता

(5) विज्ञान पत्रकारिता

(6) शिक्षा पत्रकारिता

(7) संसदीय पत्रकारिता

(8) पर्यावरण और पत्रकारिता

(9) धार्मिक पत्रकारिता

(10) अपराध पत्रकारिता

(11) सचित्र पत्रकारिता

(12) कार्टून पत्रकारिता

(13) फिल्म पत्रकारिता

(14) साक्षात्कार पत्रकारिता

(15) फीचर पत्रकारिता

(16) बास पत्रकारिता

(17) रेडियो पत्रकारिता

(18) टेलीविजन पत्रकारिता

(19) सर्वोदय पत्रकारिता

(20) वृत्तान्त पत्रकारिता

(21) अनुसंधान पत्रकारिता

(22) कृषि पत्रकारिता

(23) ग्रामीण पत्रकारिता

(24) विकास पत्रकारिता

(25) सन्दर्भ पत्रकारिता

(26) व्याख्यात्मक पत्रकारिता

(27) वीडियो पत्रकारिता

(28) इण्टरनेट पत्रकारिता

देश में इण्टरनेट का प्रयोग बढ़ना, सामान्य व्यवहार के स्थान पर ई-मेल पर निर्भरता बढ़ने के रूप में, सामने आया और समाचार पत्रों का स्थान इण्टरनेट पत्रों के लेने की उम्मीद जगी। ‘नेट जर्नलिज्म’ के इस दौड़ की शुरुआत तो विभिन्न समाचार पत्रों के इण्टरनेट संस्करणों से हुई किन्तु इण्टरनेट पत्रकारिता की सर्वाधिक चर्चा तहलका काण्ड के बाद ही मिली। समाचार पोर्टस तहलका डॉट कॉम ने अमरीकी जासूसी फिल्मों की तर्ज पर रक्षा सौदों में घोटालों में रिश्वतखोरी का खुलासा किया। इस खुलासे की लपेट में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस, भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण सहित तमाम दिग्गज नेता आए थे। बंगारू लक्ष्मण तो इस काण्ड के बाद एक तरह से राजनीति से ही बाहर हो गए। उस समय तहलका डॉट कॉम पर सर्फिंग करने वालों की संख्या एकाएक लाखों का आंकड़ा पार कर गई थी और यह वेबसाइट भारत की अब्बल वेबसाइट बनी थी।

इण्टरनेट समाचार-पत्र सूचना के व्यापक संग्रह के रूप में भी सामने आया है। बस कुछ पल की प्रतीक्षा और माउस क्लिक करते ही सूचनाओं का पूरा-पूरा भण्डार सामने होता है। एक समाचार-पत्र बमुश्किल बीस-बाइस पन्नों में प्रमुख समाचारों को ही स्थान दे सकता है, किन्तु इण्टरनेट समाचार-पत्र हजारों की संख्या में समाचारों के साथ गांवों तक प्रवेश कर चुके हैं। लोगों का जुड़ाव नेट समाचार पत्रों से बढ़ रहा है और समाचार पत्रों की प्रतीक्षा किए बिना ताजा खबरों के लिए लोग इन्टरनेट से जुड़ना चाहते हैं।

(800 शब्दों में )

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