Chhand Ki Paribhasha, Ang, Bhed, Chhand ke Prakar aur Udahran | छन्द की परिभाषा, अंग, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

छंद परिचय Chand Parichay परिभाषा – जब काव्य रचना का आधार मात्राओं और वर्णों की गिनती की सुनिश्चितता को बनाया जाता है, तब वहाँ छंद निर्मित होता है। अतः वर्णों की संख्या, मात्राओं की संख्या और काव्य रचना को छंद कहा जायेगा। उदाहरण – (मात्राओं की संख्या, क्रम, यति-गति, तुक विहीन रचना)- ऊधौ दस-बीस मन न भये एक गयौ स्याम संग, कौन ईस आराधै। केसव बिना इंद्री सिथिल, ज्यों सिर के...
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Vatsalaya Rasa Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | वात्सल्य रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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वात्सल्य रस Vatsalaya Rasa परिभाषा – सहृदय के हृदय में जब वात्सल्य नामक स्थायी भाव का विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तो वहाँ पर वात्सल्य रस की निष्पत्ति होती है। शिशु या बालक की मनोहर, भोली-भाली चेष्टाओं को देखकर मन में उसके प्रति जो स्नेह उमड़ता है, वही वात्सल्य रस का आधार है। स्थायी भाव – स्नेह या वात्सल्य का भाव। आलम्बन विषय – शिशु, संतान...
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Shant Rasa Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | शांत रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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शांत रस Shant Rasa परिभाषा – जब सहृदय के हृदय में स्थित निर्वेद नामक स्थायी भाव का विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तब शांत रस की निष्पत्ति होती है। मन में उत्पन्न वैराग्य भाव, उदासीनता, ईश्वर के प्रति भक्ति, मोक्ष, आत्मानंद के कारण शांत रस की सृष्टि होती है। स्थायी भाव – शम या शांति, निर्वेद, वैराग्य । आलम्बन विषय – संसार की असारता, ईश्वर, मोक्ष,...
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Adbhut Rasa Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | अद्भुत रसकी परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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अद्भुत रस Adbhut Rasa परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित विस्मय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है। अद्भुत, अभूतपूर्व वस्तु या दृश्य को देखकर मन में जो आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है, वही अद्भुत रस का आधार है। स्थायी भाव – विस्मय। आलम्बन विषय – अद्भुत या अलौकिक वस्तु, व्यक्ति, या दृश्य। आश्रय –...
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Bhayanak Rasa Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | भयानक रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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भयानक रस Bhayanak Rasa परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित भय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तब वहाँ पर भयानक रस की निष्पत्ति होती है। स्थायी भाव – भय । आलम्बन विषय – भय-प्रद व्यक्ति, वस्तु, घटना या परिस्थिति । आश्रय – भयभीत व्यक्ति। उद्दीपन विभाव – रात्रि, नीरवता, अँधेरा, असहाय अवस्था आदि । अनुभाव – शरीर में कँपकँपी, मूर्छा,...
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Vibhast Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | वीभत्स रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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वीभत्स रस Vibhast Ras परिभाषा – सहृदय के हृदय में जुगुप्सा (घृणा) नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तो वहाँ पर वीभत्स रस की निष्पत्ति होती है। घृणा योग्य वस्तु या दृश्य को देखने से मन में ग्लानि या जुगुप्सा का भाव उठता है। यही वीभत्स रस का कारण होता है। स्थायी भाव – घृणा, ग्लानि, जुगुप्सा। आलम्बन विषय – घृणित वस्तु...
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Raudra Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | रौद्र रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

रौद्र रस की परिभाषा Raudra Ras Ki Paribhasha  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित क्रोध नामक स्थायी भाव का संयोग जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब वहाँ रौद्र रस की निष्पत्ति होती है। विपक्षी अथवा अहितकर व्यक्ति को देखकर मन में उत्पन्न होने वाला प्रतिशोध का भाव उभरने पर रौद्र रस का संचार होता है। स्थायी भाव – क्रोध| आलम्बन विषय – विपक्षी व्यक्ति। आश्रय –...
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Veer Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | वीर रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

वीर रस की परिभाषा  Veer Ras Ki Paribhsha  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित उत्साह नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव एवं संचारी भाव से संयोग हो जाता है, तब वीर रस की निष्पत्ति होती है। शत्रु, अधर्म या दरिद्रता की बढ़त देखकर उसे परास्त करने के निमित्त कठिन से कठिन प्रयास के प्रति उत्पन्न होने वाले उत्साह के भाव को ही वीर रस का सूचक माना जाता है।...
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