Adbhut Rasa Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | अद्भुत रसकी परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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अद्भुत रस Adbhut Rasa परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित विस्मय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब अद्भुत रस की निष्पत्ति होती है। अद्भुत, अभूतपूर्व वस्तु या दृश्य को देखकर मन में जो आश्चर्य का भाव उत्पन्न होता है, वही अद्भुत रस का आधार है। स्थायी भाव – विस्मय। आलम्बन विषय – अद्भुत या अलौकिक वस्तु, व्यक्ति, या दृश्य। आश्रय –...
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Bhayanak Rasa Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | भयानक रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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भयानक रस Bhayanak Rasa परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित भय नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तब वहाँ पर भयानक रस की निष्पत्ति होती है। स्थायी भाव – भय । आलम्बन विषय – भय-प्रद व्यक्ति, वस्तु, घटना या परिस्थिति । आश्रय – भयभीत व्यक्ति। उद्दीपन विभाव – रात्रि, नीरवता, अँधेरा, असहाय अवस्था आदि । अनुभाव – शरीर में कँपकँपी, मूर्छा,...
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Vibhast Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | वीभत्स रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

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वीभत्स रस Vibhast Ras परिभाषा – सहृदय के हृदय में जुगुप्सा (घृणा) नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तो वहाँ पर वीभत्स रस की निष्पत्ति होती है। घृणा योग्य वस्तु या दृश्य को देखने से मन में ग्लानि या जुगुप्सा का भाव उठता है। यही वीभत्स रस का कारण होता है। स्थायी भाव – घृणा, ग्लानि, जुगुप्सा। आलम्बन विषय – घृणित वस्तु...
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Raudra Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | रौद्र रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

रौद्र रस की परिभाषा Raudra Ras Ki Paribhasha  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित क्रोध नामक स्थायी भाव का संयोग जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब वहाँ रौद्र रस की निष्पत्ति होती है। विपक्षी अथवा अहितकर व्यक्ति को देखकर मन में उत्पन्न होने वाला प्रतिशोध का भाव उभरने पर रौद्र रस का संचार होता है। स्थायी भाव – क्रोध| आलम्बन विषय – विपक्षी व्यक्ति। आश्रय –...
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Veer Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | वीर रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

वीर रस की परिभाषा  Veer Ras Ki Paribhsha  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित उत्साह नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव एवं संचारी भाव से संयोग हो जाता है, तब वीर रस की निष्पत्ति होती है। शत्रु, अधर्म या दरिद्रता की बढ़त देखकर उसे परास्त करने के निमित्त कठिन से कठिन प्रयास के प्रति उत्पन्न होने वाले उत्साह के भाव को ही वीर रस का सूचक माना जाता है।...
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Karun Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran | करुण रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

करुण रस की परिभाषा Karun Ras Ki Paribhasha परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित शोक नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब करुण रस की निष्पत्ति होती है। प्रिय वस्तु या प्रिय व्यक्ति का अनिष्ट या नाश होने तथा उसे फिर से पाने की आशा न रहने पर हृदय में शोक और दुःख के भाव जागने पर करुण रस की सृष्टि होती...
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Hasya Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran हास्य रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण।

हास्य रस की परिभाषा  परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित हास नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के साथ संयोग होता है, तब हास्य रस की निष्पति होती है। विकृत, अनोखी, विचित्र या असंगत बात को देखकर विनोद का भाव उत्पन्न होता है। स्थायी भाव – हास (विनोद का भाव)। आलम्बन विषय – व्यक्ति या वस्तु की विकृत आकृति या विचित्र वेश । आश्रय – दर्शक...
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Shringar Ras Ki Paribhasha, Bhed, Kitne Prakar ke hote hai aur Udahran श्रृंगार रस की परिभाषा, भेद, कितने प्रकार के होते है और उदाहरण

श्रृंगार रस Shringar Ras परिभाषा – सहृदय के हृदय में स्थित ‘रति’ नामक स्थायी भाव का जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब श्रृंगार रस की निष्पत्ति होती है। स्थायी भाव – रति (यौन- प्रेम या दाम्पत्य प्रीति)। आलम्बन विषय – नायक और नायिका। आश्रय – नायक अथवा नायिका अथवा दोनों। उद्दीपन विभाव – रति-भाव उत्पन्न करने वाला वातावरण, जैसे-चाँदनी रात, वसंत ऋतु, कुंज, एकांत स्थान, वेश-भूषा,...
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