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Kurup Jayasi, “कुरूप जायसी” Hindi motivational moral story of “Malik Mohammad Jayasi” for students of Class 8, 9, 10, 12.

कुरूप जायसी

Kurup Jayasi

मलिक मोहम्मद जायसी अनूठे कवि थे। उनकी लेखनी तथा वाणी इतनी प्रभावी थी कि बड़े-बड़े साहित्य प्रेमी उनके साथ के लिए लालायित रहते थे। साहित्य में उनके योगदान को आज भी बहुत याद किया जाता है। एक बार वह शेरशाह सूरी के दरबार में पहुँचे। शेरशाह ने जैसे ही एक आँख से हीन व कुरूप जायसी को देखा, उनको हंसी आ गयी। जायसी समझ गये कि बादशाह उनके कुरूप चेहरे को देखकर हंसा है। उन्होंने व्यथित होकर बादशाह से पूछ लिया, “जहांपनाह, आप मेरे ऊपर हंस रहे हैं या जिसने मुझे बनाया, उसके ऊपर ?” शेरशाह यह सुनते ही शर्मसार हो गया और बोला, “कविवर, कुछ क्षण पहले मैं अपनी नादानी के कारण आपके चेहरे को देखकर हंसा था। अब मैं अपनी गलती का एहसास कर प्रायश्चित के रूप में रो रहा हूँ।” वास्तव में शेरशाह सूरी की आँखों से आँसू निकल आये। उसने खड़े होकर मलिक मोहम्मद जायसी से क्षमा याचना की।

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