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Hindi Samvad Writing on “Ankurit Pallav aur Sukhe Patte ke Bich Samvad”, “अंकुरित पल्लव और सूखे पत्ते के बीच संवाद” Complete Samvad for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

पेड़ पर अंकुरित पल्लव और भूमि पर गिरे सूखे पत्ते के बीच वार्तालाप

नव पल्लव- आहा! क्या मस्त हवा है। मुझे प्यार से दुलराती है, झुलाती है। है न प्यारी ?

सूखा पत्ता – समय-समय की बात है। यही हवा मुझे असहाय जान इधर-उधर फेंकती रहती है। मैं विवश हो यहाँ-वहाँ ठोकरें खाता फिरता हूँ।

नव पल्लव- तुम्हें पेड़ ने नीचे क्यों गिरा दिया? तुम इतने सूखे-पीले क्यों हो ?

सूखा पत्ता – प्रकृति का यही नियम है। कभी मैं भी तुम्हारी भाँति कोमल, स्निग्ध और हरा था। वसंत आने पर मुझे भी मलय समीर झूला झुलाता, कोयल मेरे पास बैठ मधुर गीत गाती थी, पर पतझड़ आते ही मेरा रंगरूप बदलने लगा। मैं हरे से भूरा फ़िर पीला पड़ गया और सूखकर इतना निर्बल हो गया कि हवा के तेज़ झोंके में स्वयं को सँभाल न सका और धरती पर आ गिरा।

नव पल्लव- (काँपते हुए)- क्या मेरे साथ भी ऐसा ही होगा।

सूखा पत्ता – कल क्या होगा- मत सोचो। अपने आज के वैभव से प्रसन्न रहो। इस विश्व में यदि कोई एक अटल सत्य है तो वह है- ‘परिवर्तन’। उसे स्वीकार करो।

नव पल्लव- आपने इतनी सुंदर सीख दी- उसके लिए धन्यवाद।

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