Hindi Samvad Writing on “Hare-Bhare Vriksh aur Kaat diye gye vriksh ke beech Samvad”, “हरे भरे वृक्ष और काट दिए वृक्ष के बीच संवाद” Complete Samvad
हरे भरे वृक्ष और काट दिए वृक्ष के बीच संवाद
हरा वृक्ष – क्या हाल बना दिया तुम्हारा इन इंसानों ने ?
कटा वृक्ष – इंसान ? उन्हें इंसान कहेंगे तो ‘इंसानियत’ की परिभाषा बदलनी पड़ेगी।
हरा वृक्ष – सच कहा तुमने ? कैसे हरे-भरे थे तुम कल तक! पक्षी तुम्हारी डाल से मेरी डाल पर फुदक-फुदक कर कैसे खेलते थे। वह बेचारी चिड़िया कितना रोई जिसका नीड़ उजड़ गया, अंडे टूट गए।
कटा वृक्ष – मेरी घनी छाया में जब पथिक विश्राम करते थे तो उनकी सुकून भरी नींद से मेरी आत्मा तृप्त हो जाती थी।
हरा वृक्ष – भाई, पता नहीं कल मेरा क्या हो ? ज़रूरत भर लकड़ियाँ जब इंसान काटता था तब वह दर्द हम खुशी-खुशी झेल लेते थे। एक-दूसरे के काम आना, इसी में जीवन की सार्थकता समझते थे। पर अब तो हमारा अस्तित्व ही संकट में है।
कटा वृक्ष – इनका स्वार्थ, इनका लोभ। भाई ये नहीं जानते कि हमें काटकर वास्तव में ये स्वयं अपने जीवन को संकट में डाल रहे हैं।
हरा वृक्ष – प्रभु, इन्हें सद्बुद्धि दे!