Hindi Essay on “Paryavaran aur Hamara Jeevan”, “पर्यावरण और हमारा जीवन” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
पर्यावरण और हमारा जीवन
Paryavaran aur Hamara Jeevan
पेड-पौधे धरती का सौन्दर्य हैं । सारी धरती पेड-पौधों की हरियाली से ही हरी-भरी, रंग-बिरंगी तथा सन्दर दिखाई देती है। मखमली घास वाले पहाडी प्रदेश,प्रत्येक मौसम में खिलने वाले रंग-बिरंगे फूल निश्चय ही मन मोह लेते हैं। घने जंगलों की हरियाली से हृदय खिल उठता है। सूर्य की तेज़ गर्मी से बचने के लिए मनुष्य ने शीतल छाया देने वाले बड़े-बड़े वृक्षों का सहारा लिया। घने वृक्षों की छाया में झोपड़ी बनाकर अपने को तथा अपने परिवार को आंधी.तफान और वर्षा से बचाया।
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में वृक्षों में देवताओं की झलक देखी जाती है । उन्हें गर्मी, सर्दी से उसी प्रकार बचाया जाता है जिस प्रकार माता-पिता अपने बच्चे की रक्षा करते हैं । पीपल वृक्ष की पूजा एक देवता के समान होती है.उसको जल चढ़ाया जाता है और स्त्रियाँ उसकी परिक्रमा करके अपना मनोवांछित फल प्राप्त करती है। केले के वृक्ष का पूजन भी शास्त्रों में लिखा मिलता है । तुलसी के पौधे की पूजा उतना ही महत्त्व रखती है जितनी कि भगवान की पूजा। नीम जो कि सब प्रकार के रोगों को दूर करने वाली है.को भक्ति भाव से प्रणाम किया जाता है । हरे भरे वृक्षों को काटना प्राचीन समय में अपराध समझा जाता था और साथ ही उस अपराध के लिए दण्ड की व्यवस्था भी थी ।
ज्यों ज्यों मनुष्य के जीवन में रहन सहन का परिवर्तन आया, विज्ञान में उन्नति की पुरानी मान्यताएँ लुप्त होने लगीं। जनसंख्या की वृद्धि के कारण खेत-खलिहानों की जगह पर नए-नए मकान बनने लगे । पेड़ पौधों को काटा जाने लगा। पेड़-पौधों वाली जगह ने मकानों और कारखानों का स्थान ले लिया। सैनिकों की बढ़ती संख्या तथा पुलिस बलों की अधिकता के कारण सैनिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए भी पेड़ पौधों को काट कर सैनिक अड्डों का निर्माण किया गया।
वृक्षों का तेज़ी से काटा जाना पर्यावरण सन्तुलन के लिए एक गम्भीर चुनौती है। इससे भूमि-कटाव तथा बाढ़ इत्यादि प्राकृतिक आपदाएँ उत्पन्न हो सकती हैं। जलवायु में नीरसता एवं शुष्कता आ जाती है । प्राकृतिक सुरम्यता एवं रमणीयता का अभाव हो जाता है। वृक्षों से आक्सीजन मिलने में कमी आ गई जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पडने लगा । भमि का उपूजाजी शक्ति में भी कमी आने लगी । पेड-पौधे बहत सी लकड़ी तथा गत्ता उद्योगों रीढ़ की हड्डी हैं । यह एक प्रकार से देश की ऊर्जा हैं । यदि पेड़-पौधे नष्ट होत हैं तो यह एक प्रकार से देश की ऊर्जा का हास है ।
वृक्षों के लगातार कटने तथा ईंधन की आवश्यकता को देखते हुए 1950 में भारत सरकार ने ‘वन महोत्सव’ योजना का शभारम्भ किया था । अब देश भर में वक्षारोपण का कार्यक्रम व्यापक रूप से चलाया जा रहा है। केन्द्र सरकार न सभी राज्यों की सरकारों को यह कडे निर्देश दिए हैं कि केन्द्र सरकार की आज्ञा के बिना किसी भी जंगल को साफ नहीं करने दिया जाएगा और साथ ही केन्द्रीय कषि एवं सिंचाई मन्त्रालय के वन विभाग के महानिरीक्षक की भी आज्ञा प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
वृक्षों से मनुष्य को अनेक लाभ हैं । सूर्य के प्रकाश में वृक्ष अत्याधिक मात्रा में आक्सीजन का निर्माण करते हैं जिससे वातावरण की शुद्धि होती है । मनुष्य का स्वास्थ्य ठीक रहता है । वृक्षों से तापमान का नियन्त्रण होता है । वृक्षों से हमें भयानक से भयानक रोगों को दूर करने वाली औषधियाँ प्राप्त होती है । पेड़-पौधे हमें सस्ता ईंधन, जहाज़, कारखाने एवम् घर बनाने की लकड़ी और गर्मी में सुखद छाया प्रदान करते हैं । वृक्षों से झड़ने वाले सूखे पत्ते खाद का काम करते हैं जिससे भूमि की उपूजाऊ शक्ति बढ़ती है । वृक्षों का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वक्ष वर्षा करवाने में सहायक सिद्ध होते हैं । वृक्षों के अभाव में वर्षा न होने से अन्न के उत्पादन में कमी हो सकती है । वृक्षों की पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में काम में लाई जाती है । कागज़ बनाने के लिए वृक्षों से ही हमें कच्चा माल प्राप्त होता है ।
पेड पौधों से हमें नैतिक शिक्षा भी मिलती है कि किस प्रकार गर्मी, सर्दी बरसात हिमपात सहन करता हुआ भी वृक्ष कभी धैर्य नहीं खोता । एक दिन ऐसा भी आता है जब उसके सारे पत्ते झड़ जाते हैं परन्तु वह फिर भी निराश नहीं होता क्योंकि वह शायद यही सोचता है If winter comes can spring be far behind. । और फिर एक दिन बसन्त आता है उस पर फिर आशा के फल खिलते हैं और वह फिर हरा भरा हो जाता है ।
हंसमुख प्रसन सिखलात, पल भर है जो हंस पाओ ।
अपने डर के सौरभ से, जग का आंगन भर जाओ ।
अर्थात् हंसते हुए फूल हमें यह शिक्षा देते हैं कि चाहे हमारा जीवन थोड़ा ही क्यों न हो परन्तु फिर भी अपने प्यार से सारे संसार में खुशियाँ बिखेर दो ।
पेड़ पौधों का हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। जहाँ एक ओर पेड़ पौधों को संरक्षण देने के लिए सरकार कठोरता के साथ वृक्षारोपण को बढ़ावा दे रही है वहाँ लोगों का भी यह कर्त्तव्य है कि वह भी देश की उन्नति में अपना योगदान दें। यदि कहीं से एक वृक्ष काटा जाता है तो वहां और पेड़ अवश्य लगाएँ क्योंकि वृक्ष वायु प्रदूषण को रोकने में भी हमारे सहायक हैं । अब प्रत्येक व्यक्ति वृक्ष लगाने के अपने कर्त्तव्य के प्रति जागरुक हो गया है । इसलिए हमें वृक्षों के विकास के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए ।