Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Sab Din Rahat Na Ek Saman”, “सब दिन रहत न एक समान” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
सब दिन रहत न एक समान
Sab Din Rahat Na Ek Saman
समय नदी की धारा के समान है जो निरंतर आगे बढ़ता जाता है। बीते समय को किसी कीमत पर भी लौटाया नहीं जा सकता। समय की इस परिवर्तनशीलता को समझना जीवन को सही ढंग से जीने के लिए परम आवश्यक है। जो यह सच जान लेता है वह सुख आने पर अहंकारी नहीं बनता और दुख आने पर निराशा के अंधकार में नहीं डूबता। रात के बाद दिन और दिन के बाद रात आती है-प्रकृति का यह अटल नियम है। इस नियम के विस्मृत हो जाने पर व्यक्ति असफलता, पराजय या अन्य कष्टपूर्ण स्थितियों में अपना संतुलन खो बैठता है। कभी-कभी तो आत्महत्या करने जैसे जघन्य कृत्य तक कर बैठता है। ऐसे समय में धैर्य और विवेक हमारे संबल बन सकते हैं। हमें यह सोचकर धैर्य रखना चाहिए कि जिस प्रकार पहले भी संकट की घड़ियाँ आईं थीं और फ़िर टल भी गई थीं उसी प्रकार वर्तमान दुख भी सदा नहीं रहेगा। यह विश्वास निराशा के अंधकार में भी आशा का दीपक जलाए रखता है। समय बड़े से बड़े घाव को भर देता है।