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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vishwa Vyapar Sangathan”, ”विश्व व्यापार संगठन” Complete Hindi Nibandh for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

विश्व व्यापार संगठन

Vishwa Vyapar Sangathan

1 जनवरी, 1995 को विश्व व्यापार संगठन का श्रीगणेश हुआ। यह गैट समझौते के स्थान पर आया है और उससे अधिक शक्तिशाली सिद्ध होगा। यह 85 सदस्य राष्ट्रों के बीच होने वाले झगड़ों का निपटारा करेगा। विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व व्यापार संगठन – ये तीनों विश्वव्यापी आर्थिक ढांचे के तीन स्तम्भ बन गए हैं।

विश्व व्यापार संगठन का क्षेत्र गैट के क्षेत्र से अधिक विस्तृत होगा। जेनेवा में स्थित विश्व व्यापार संगठन के अधिकारीगण का यह दावा है कि सन 2005 तक विश्व की आय में 500 बिलियन डालर से भी अधिक बढ़ोत्तरी की आशा है। उसी वर्ष की समाप्ति तक विश्वव्यापी व्यापार में भी 25 प्रतिशत वार्षिक बढोत्तरी होगी। यह निर्णय लिया गया है कि एक वर्ष तक गैट तथा विश्व व्यापार संगठन दोनों साथ-साथ कार्यरत रहेंगे। गैट के वर्तमान महासचिव उस समय तक अपने पद पर आसीन रहेंगे जब तक उनका उत्तराधिकारी कार्यभार नहीं संभाल लेगा।

विश्व व्यापार संगठन, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का पहरेदार होगा। यह व्यक्तिगत सदस्यों के व्यापारिक क्षेत्रों का निरीक्षण करेगा और विश्व व्यापार में दखल देने की क्षमता रखेगा। व्यापार सम्बन्धी झगड़ों के विषय में निर्णय देगा और व्यापारिक साझीदारों को समान रूप में समझेगा। विश्व व्यापार के मामले में यह प्रबन्धक सलाहकार की भूमिका निभाएगा। इसके अर्थशास्त्री, विश्वव्यापी व्यापार की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखेंगे। यह मुख्य तथा प्रचलित व्यापार सम्बन्धी मुद्दों पर अध्ययन का प्रबन्ध करेगा। यह नव-स्थापित विकास विभाजन और सशक्त तकनीकी सहकारी और प्रशिक्षण विभाग की सहायता से उरुग्वे दौर के परिणामों का क्रियान्वयन करने में विकासशील राष्ट्रों की सहायता भी करेगा। संसार भर में स्थित व्यापारिक अवरोधों को और कम करने के लिए यह केन्द्र की भूमिका निभाएगा ताकि इसके सदस्य राष्ट्र व्यापार सम्बन्धी रियायतों के विनिमय पर बातचीत कर सकें। सेवा वृतखण्डों सहित यह बातचीत कई क्षेत्रों में लागू होगी।

विश्व व्यापार संगठन, वाणिज्य सम्बन्धी क्रियाकलापों-जैसे सेवाओं में व्यापार, बौद्धिक सम्पदा-कर और पूंजी निवेश को बहुपक्षीय व्यापारिक प्रणाली के अन्तर्गत सम्मिलित कर देगा। यह एक पूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। यह सभी समझौतों का प्रशासक (नियन्त्रक) होगा तथा वे सभी सदस्यों को मान्य होंगे। यह आयात तथा आन्तरिक बाजारों में घरेल सामान के विषय में पक्षपातहीन तथा समान व्यवहार पर बल देता है। इसने नए नियमों की रचना की है तथा रक्षात्मक अवरोधों के लिए इसके अन्तर्गत कोई स्थान नहीं है।

भारत की केन्द्रीय मंत्रिपरिषद ने अपनी बैठक में विश्व व्यापार संगठन संधि की संपुष्टि कर दी है। इसी कारण से भारत विश्व व्यापार संगठन का संस्थापक सदस्य बन गया है। 31 दिसम्बर 1994 को दो अध्यादेश जारी किए गए थे जिन्होंने विश्व व्यापार संगठन में सम्मिलित होने के लिए भारत का मार्ग पुष्ट कर दिया था। उन पर भारत के राष्ट्रपति ने हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने भारतीय पेटेन्ट एक्ट तथा कस्टम चुंगी अधिनियम के अन्तर्गत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किया है।

आपातकालीन परिस्थितियों में भारत सरकार को यह अधिकार प्राप्त हो गया है कि लागत मूल्य से कम कीमत पर माल बेचने के लिए दूसरे देश में माल का ढेर लगाने और समतोल (क्षति पूर्ति) करने वालों पर चुंगी लगा सके। ये चुंगियाँ पांच वर्ष तक लागू होंगी, जब तक उनका पुनरीक्षण नहीं किया जाए। पेटेंट अधिनियम में सुधार हो जाने के कारण भारतीय उपभोक्ताओं और आविष्कारकों (निर्माताओं) के हितों की सुरक्षा होगी। भारतीय उद्योग को सुदृढ़ स्थान प्रदान करना भी इसका लक्ष्य है। वर्तमान स्थिति में भारतवासी. कषि, रासायनिक तथा औषधि निर्माण सम्बन्धी पेटेंट प्राप्त करने में भी सक्षम होगा।

विरोधी सदस्यों ने इस अधिनियम को संसद के साथ हुआ भारी धोखा बताया है क्योंकि यह देशी तकनीकी को पंगु बना देगा और यह कृषकों को बुरी तरह आहत करेगा। हो सकता है कि अधिकतर सरकारें इसके नए नियमों को स्वीकार नहीं कर पाएँ। तब यह तत्काल धराशायी हो सकता है। विश्व व्यापार संगठन के माल भरने के विरुद्ध प्रावधान, छद्मवेश में संरक्षण की भूमिका निभा सकते हैं। व्यापार को उदार बनाने हेतु किए गए प्रादेशिक समझौते विश्व व्यापार संगठन की सुचारु प्रगति में बाधक सिद्ध होंगे। इस नवीन विश्वस्तरीय संस्था की सदस्यता से चीन को वंचित रखा गया है। यह भारत की सम्प्रभुता को खतरे में डालेगा। यह कृषकों की समस्या को बढ़ाएगा जिन्हें पेटेंट किए हुए बीज ऊंची दरों पर उपलब्ध होंगे। भारत को इस योजना से दस वर्ष बाद लाभ मिलेगा। परन्तु ये आशंकाएँ और लाञ्छन निराधार हैं। हमें अपनी पहुंच में आशावादी होना चाहिए।

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