Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Vidyalaya mein Gantantra Diwas Samaroh”, “विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह” Complete Essay
विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह
Vidyalaya mein Gantantra Diwas Samaroh
गणतंत्र दिवस हमारे देश का एक राष्ट्रीय त्योहार है। यह त्योहार हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। 26 जनवरी, 1930 को जवाहरलाल नेहरू ने पूर्ण स्वतंत्रता की माँग की थी। 15 अगस्त, 1947 को भारत आज़ाद हुआ। आज़ादी के बाद राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में भारत के लिए नए संविधान का निर्माण हुआ। संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। उस दिन से भारत एक संपूर्ण प्रभुसत्तासंपन्न गणराज्य बना। इसी की याद में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को हम लोग गणतंत्र दिवस मनाते हैं। इस त्योहार को देशभर के सभी जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग मनाते हैं। इसीलिए इसे राष्ट्रीय त्योहार कहा जाता है। मेरे विद्यालय में भी यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है।
इस दिन सुबह चार बजे सभी छात्र विद्यालय के प्रांगण में जमा होते हैं। सभी शिक्षक और छात्र मिलकर प्रभात फेरी निकालते हैं। आस-पास के मुहल्लों में घूम-घूमकर लोगों को 26 जनवरी की याद दिलाते हैं और सफाई संबंधी नारे लगाते हैं। छः बजे तक हम लौटकर विद्यालय आते हैं। विद्यालय के अहाते की सफाई होती है। फिर हम सभी लोग मुहल्ले की सफाई के लिए जाते हैं। लड़कियाँ विद्यालय के मध्य में अवस्थित ध्वज-मंच की लिपाई करती हैं और अल्पना बनाती हैं। आठ बजे सभी छात्र घर चले जाते हैं और नौ बजे तैयार होकर वापस आ जाते हैं। सभी कतार में ध्वज-मंच के चारों ओर जमा हो जाते हैं। उसी समय प्रधानाध्यापक आते हैं। छात्र संघ का अध्यक्ष उन्हें राष्ट्रीय ध्वज की रस्सी थमाता है।
प्रधानाध्यापक तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ध्वजारोहण करते हैं। फिर राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी जाती है। राष्ट्र गान और राष्ट्रगीत गाए जाते हैं। अंत में प्रधानाध्यापक भाषण देते हैं और मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं।
दो बजे से विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम आरंभ होता है, जिसमें सभी छात्र भाग लेते हैं। चार बजे खेलकूद का आयोजन होता है जिसमें सभी विजयी छात्रों को प्रधानाध्यापक पुरस्कार देते हैं।
हम विद्यार्थी ही कल देश के कर्णधार बनेंगे। हा बीज में एक विशाल वृक्ष की संभावना छिपी रहती है। आज हम सभी छात्रों को देश की आजादी की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करनी चाहिए। इसके लिए अनुशासन आवश्यक है। अत: हम छात्रों को समाजिक भेदभाव भुलाकर सदा अनुशासित रहना चाहिए। गणतंत्र दिवस यही संदेश देता है।