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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Soniya Gandhi”, “सोनिया गांधी” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

सोनिया गांधी

Soniya Gandhi

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री राजीव गांधी की धर्मपत्नी श्रीमती सोनिया गांधी यूं तो वर्तमान में कांग्रेस की अध्यक्षा हैं, परंतु श्रीमती गांधी के व्यक्तित्व की विशेषता यह है कि उनकी अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी अपने खोए हुए गौरव को प्राप्त करने के मार्ग पर पुन: अग्रसर है। पार्टी के प्रति सेवा एवं समर्पण भाव के कारण उनकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। श्रीमती सोनिया गांधी का जन्म 9 दिसंबर, सन् 1946 को इटली में तुरीन के निकट ऑबैशनो नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता एक बिल्डिंग कांट्रैक्टर थे। इनका संबंध एक पारंपरिक कैथोलिक परिवार से है। सन् 1964 में, अंग्रेजी के अध्ययन के लिए इन्हें कैम्ब्रिज भेजा गया। वहाँ इनकी मुलाकात श्री राजीव गांधी से हुई, जो उसी विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। बाद में सन् 1968 में दोनों का विवाह हो गया। उसके बाद श्रीमती गांधी भारत में अपनी सास, तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी के घर आ गई।

विवाह के 15 वर्ष बाद सन् 1983 में उन्होंने भारत की नागरिकता ग्रहण कर ली। 1970 में इनके यहाँ राहुल गांधी के रूप में एक पुत्र और 1971 में प्रियंका के रूप में एक पुत्री का जन्म हुआ। 21 मई, सन् 1991 को राजीव गांधी की हत्या हो जाने के बाद, कांग्रेस के सदस्यों के अत्यंत आग्रह के बावजूद श्रीमती गांधी ने राजनीति में प्रवेश नहीं किया। बाद में सन् 1998 में उन्होंने औपचारिक रूप से राजनीति में प्रवेश किया और स्वयं को प्रधानमंत्री पद के लिए एक प्रत्याशी घोषित करते । हुए कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली। लेकिन 1999 के आम चुनावों में पार्टी की करारी हार से उन्हें गहरा झटका लगा। उस समय कांग्रेस पार्टी की स्थिति न केवल निराशाजनक बल्कि शोचनीय भी बनी हुई थी। श्रीमती गांधी के कांग्रेस के प्रति समर्पण भाव से पार्टी की स्थिति काफी बेहतर हुई। 1999 के आम चुनावों के बाद श्रीमती गांधी तेरहवीं लोकसभा में विपक्ष की नेता बनीं।

उसके बाद, 2004 के चुनावों में उन्होंने सत्तारूढ़ जनतांत्रिक गठबंधन को सत्ताच्युत करने के लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया। फलस्वरूप, पार्टी को आश्चर्यजनक जीत के बाद उन्हें देश की प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला, लेकिन सेवा एवं त्याग का एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया। कार्यकत्र्ताओं के अंत्यंत दबाव के बावजूद उन्होंने अपना निर्णय नहीं बदला। 18 मई, 2004 को कांग्रेस संसदीय दल की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ”मेरा आप लोगों से निवेदन है कि आप लोग मेरे निर्णय को स्वीकार कीजिए और समझ लीजिए कि मैं अपना निर्णय बदल नहीं सकती, यह मेरी अंतरत्मिा की आवाज है।”

श्रीमती सोनिया गांधी, गांधी-नेहरू परिवार की पद-प्रदर्शक हैं। वर्तमान में वह सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्षा हैं। 2004 के चुनावों में उन्हें रायबरेली संसदीय क्षेत्र से सांसद के रूप में चुना गया है। यद्यपि श्रीमती गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी अपनी शक्ति को पुनः प्राप्त करने में कुछ हद तक सफल हुई है, तथापि अपने खोए हुए गौरव को प्राप्त करने के लिए उसे अभी बहुत कुछ करना शेष है। श्रीमती सोनिया गांधी ने भारतीय मूल की न होने के बावजूद अपने आचार-विचार और व्यवहार में भारतीय मूल्यों को ही आत्मसात् किया। एक पत्नी, बहू और माँ की भूमिका सफलतापूर्वक निभाकर उन्होंने एक नेता के रूप में भी जो आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया, वह प्रशंसनीय है।

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