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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Savan ki Pahli Barsat”, “सावन की पहली बरसात” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

सावन की पहली बरसात

Savan ki Pahli Barsat

                आषाढ़ मास समाप्त हो चला था, पर अभी तक लोग वर्षा के लिए तरस गए थे। एक दो बार हल्की बूँदा-बाँदी तो हुई थी पर झड़ी लगने की स्थिति नहीं आई थी। यही कारण था कि लोग गरमी से बेहाल थे। धरती अभी तक तप रही थी। उसकी प्यास नहीं बुझी थी। सभी प्राणी बड़ी चाह भरी नजरों से आकाश की ओर निहार रहे थे। तभी एक दिन आकाश में बादल उमड़ने-घुमड़ने लगे। मुझे तुलसीदास की ये पंक्तियाँ स्मरण हो आई:

वर्षाकाल मेघ नभ छाए।

गरजत लागत परम सुहाए।।

                लोगों के मन में उत्साह का संचार हो गया। बादल गरजते रहे, बिजली चमकती रही। इस स्थिति को पन्द्रह मिनट बीते ही थे कि आकाश से बूँदें बरसने लगीं। धीरे-धीरे यह वर्षा तेज होती चली गई। अब लोगों को लगा कि आज अच्छी वर्षा होगी। वर्षा लगातार होती चली जा रही थी। लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई थी। बच्चे विशेष रूप से प्रसन्न थे। वे कपड़े उतारकर घर से बाहर निकल आए और वर्षा का आनंद लेने लगे। वे इधर-उधर भागकर वर्षा में भीगने की सुखानुभूति कर रहे थे। सावन मास सार्थक हो गया। भला बिना वर्षा के सावन कैसा ? अब तो यह वर्षा झड़ी का रूप लेने लगी। कभी धीमी तो कभी तेज यह बारिश चलती रही। जब यह थोड़ी रूक जाती तो युवतियाँ पेडों पर झूला झूलने लगतीं तथा मल्हार गाने लगतीं। सावन के महीने में झूला झूलना और गीत गाना बड़ा अच्छा लगता ही है, पर वर्षा का होना जरूरी है।

                उस दिन वर्षा की झड़ी रात तक चलती रही। ऐसा लगा कि आज यह सारी कोर कसर पूरी करके ही रहेगी। धरती पर जगह-जगह पानी भर गया। लगता था कि धरती की प्यास बुझ गई है। गर्मी की भयंकरता भी दम तोड़ चुकी थी। लोगों ने चैन की सांस ली। सावन की इस झड़ी ने लोगों के मन से निराशा की भावना को दूर कर दिया। किसान भी उत्साहित थे। अब वे अपनी फसल के प्रति आशान्वित हो गए थे। सर्वत्र हर्ष ही हर्ष था, आनंद ही आनंद।

                सावन की झड़ी जहाँ संयोगीजनों को प्रसन्न करती है, वहीं वियोगीजनों की वियोग-पीड़ा बढ़ जाती है। यदि विरहिणी का प्रियतम दूर देश में चला गया है तथा सावन में भी लौटकर घर नहीं आया है तो यह विरह-वेदना को बढ़ाने वाली झड़ी होती है। वर्षा की झड़ी रह-रहकर परदेश गए प्रियतम की याद दिला जाती है।

                सावन की झड़ी धरती को हरा-भरा बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है। यह झड़ी धरती की प्यास को बुझाती है और धरती पर हरियाली का प्रसार करती है। सावन की वर्षा ही धरती को नई फसल उगाने के लिए तैयार करती है। इससे सभी प्राणियों की तपन मिटती है।

                सावन की झड़ी चारों ओर जल-थल कर देती है। ऐसा होना आवश्यक भी है। ऊपर से चाहे जितनी सिंचाई कर लो, पर सावन की झड़ी ही धरती की प्यास पूरी तरह बुझाने में सक्षम होती है। सावन की झड़ी पे्रमीजनों में हर्ष की लहर दौड़ा देती है। वे पहली झड़ी की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री के साथ करते हैं। यह उनके लिए नाचने-गाने का अवसर प्रदान करती है। पे्रमीजन गाने लगते हैं- ‘आया सावन झूम के’। यह सावन उनके तन-मन में हर्ष की लहर दौड़ा जाता है। सावन का मतलब ही वर्षा है। इसकी पहली झड़ी अत्यंत आह्लादकारी एवं रोमांचक अनुभव प्रदान करती है।

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