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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Samachar Patro ki Upiyogita”, ”समाचारपत्रों की उपयोगिता” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

समाचारपत्रों की उपयोगिता

Samachar Patro ki Upiyogita

जैसे-जैसे मानव सभ्यता का विकास हुआ, वैसे वैसे ज्ञान के साधनों का विकास हुआ। अनेक विकसित साधनों में ही समाचारपत्र का भी विकास हुआ। समाचारपत्र का अर्थ है, ऐसा विवरणपत्र जो प्रतिदिन की घटनाओं, समस्याओं आदि के समाचारों से पर्ण हो । प्रकाशन अवधि के अनुसार समाचारपत्र, दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक त्रैमासिक अर्द्धवार्षिक व वार्षिक होते हैं। देश की राजनीति, सामाजिक, आर्थिक आदि समस्याओं से सम्बनधित लेख और बड़े-बड़े नेताओं के भाषण इनमें प्रकाशित होते हैं। स्वतंत्रता दिवस अंक गणतंत्र दिवस अंक, दीपावली व होली अंक आदि के रूप में समाचारपत्रों के विशेषांक भी निकाले जाते हैं। ये विभिन्न प्रकार के लेखों से युक्त बड़े रोचक होते हैं।

सर्वप्रथम समाचारपत्र का प्रारम्भ 17 वीं शताब्दी में इटली देश के वेनिस प्रान्त में हुआ। धीरे-धीरे स्पेन, अरब, मिस्र आदि देशों में इसका प्रचार बढ़ने लगा। अंग्रेजी राज्य के सम्पर्क से भारत में सर्वप्रथम ‘इण्डिया-गजट’ नामक पत्र निकाला गया। हिन्दी में सर्वप्रथम ‘उदात्त-मार्तण्ड’ नामक पत्र कलकत्ते से निकाला गया। ईसाई पादरियों ने ‘समाचार दर्पण’ नामक हिन्दी पत्र निकाला। राजा राममोहन राय ने ‘कौमुदी’ तथा ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने ‘प्रभाकर’ पत्र निकाले । इस दिशा में बड़ी शीघ्रता से विकास होता चला गया और हिन्दुस्तान, हिन्दुस्तान टाइमस, स्टेट्समैन, नवभारत, वीर अर्जुन, अमृत बाजार पत्रिका, कल्याण, धर्मयुग, साहित्य संदेश, स्वतंत्र भारत, जनसत्ता, राष्ट्रीय सहारा आदि प्रमुख हिन्दी के पत्र निकाले गए। इसके साथ ही साथ अनेक भाषाओं की अनेक पत्र-पत्रिकाएँ जनता के सामने आती चली गई।

आज के प्रजातात्रिक युग में समाचारपत्रों का उपयोग विशेष रूप से है। केवल पढ़े-लिखे लोग ही नहीं, अपितु अनपढ़ व्यक्ति भी अपने देश के समाचार जानने के इच्छुक होते हैं। युद्ध के दिनों में समाचारपत्रों के लिए लोग इतने उत्सुक होते हैं कि जहाँ समाचारपत्र देखते हैं, वहीं भीड़ लग जाती है। कुछ लोग नित्य के समाचारों को जानने के इतने व्यसनी होते हैं कि भोजन के बिना एक दिन रह सकते हैं, किन्तु समाचारपत्र के बिना व्याकुल हो जाते हैं। यह व्यसन बड़ा अच्छा है। आजकल तस्करों की धड-पकड तथा भावों की गिरावट सुनने के लिए जनता अत्यधिक लालायित रहती है।

नियमित समाचारपत्र पढ़ने से अनेक लाभ होते हैं। इनके पढ़ने से इतिहास, भूगोल, साहित्य, विज्ञान एवं मानव-दर्शन आदि सभी का ज्ञान प्राप्त होता है। आज कल व्यापारी समाचारपत्रों में अपनी वस्तुओं के विज्ञापन भेजते हैं और क्रेता घर बैठे वहाँ आर्डर भेजकर वस्तुयें मंगा लेते हैं। इसके अतिरिक्त विवाह सम्बन्धी विज्ञापन भी निकालते हैं। नौकरियों के लिए तथा भूमि नीलामी के भी विज्ञापन आए दिन समाचारपत्रों में प्रकाशित होते हैं। चलचित्र जगत् की सम्पूर्ण सफलता इन्हीं समाचारपत्रों पर आधारित है। प्रत्येक बोर्ड तथा विश्वविद्यालय परीक्षाओं का परिणाम इन्हीं समाचारपत्रों के माध्यम से ही सम्मुख आ पाता है। इनके अलावा जनता अपने कष्टों को सरकार तक इन्हीं के माध्यम से पहुँचाती है। ये जनमत निर्माण तथा संग्रह में बड़े सहायक सिद्ध होते हैं।

संसार में लाभ-हानि का चोली-दामन का साथ है। समाचारपत्रों से जहाँ लाभ है, वहाँ कुछ हानियाँ भी हैं। कभी-कभी सम्पादक किसी असली तथ्य को छिपाकर भ्रामक प्रचार कर देते हैं, तो इससे जनता का अहित होने का भय बना रहता है। समाचारपत्रों के अश्लील विज्ञापन एवं नग्न चित्र नौनिहालों पर बुरा प्रभाव डालते हैं तथा घृणा को जन्म देते हैं।

समाचारपत्र का मुख्य उद्देश्य समाज की सत्य घटना को समाज के सम्मुख व्यक्त करना होना चाहिए। वास्तव में यदि देखा जाये, तो समाचारपत्र सर्वांगीण विकास के साधन हैं। इनको पढ़ने से हमारे अन्दर के संकीर्ण विचार कोसों दूर भाग जाते हैं तथा सभी देशों की घटनाएँ पढ़कर हमारे हृदय में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना जागृत होती है।

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