Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Sadak Ki Atmakatha”, “सड़क की आत्मकथा” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Sadak Ki Atmakatha”, “सड़क की आत्मकथा” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

सड़क की आत्मकथा

Sadak Ki Atmakatha

मैं सड़क हूँ, मेरे कई रूप आप सब को देखने को मिल सकते हैं। कहीं मैं अपने विशाल रूप में हूं तो कहीं अपने छोटे रूप में। चाहे कोई भी हो, सभी मेरा प्रयोग करते हैं। मैं कभी अपने आप को प्रयोग करने वाले से यह नहीं पूछती कि क्या वह हिन्दू है, या फिर मुसलमान, सिख है या फिर ईसाई। मैं अपने कर्म को ही अपना धर्म समझती हूँ। सभी मुझ पर से गुजरकर ही अपने अपने लक्ष्य को पाते हैं।

मैं ही हूँ जो कस्बे से गाँव को, गाँव से शहर को और शहर को महानगर से जोड़ती हूँ। मानव के साथ हर जीव जैसे पशु, पक्षी, कीड़े-मकौड़े आदि भी मेरा भरपूर प्रयोग करते हैं।

समय परिवर्तन के साथ-साथ मुझ में भी काफी परिवर्तन आने लगे। जहाँ पहले मैं अपने कच्चे रूप में थी वहाँ पर भी मुझे आज पक्का रूप दे दिया गया है। अब मुझे साफ सुथरा, आकर्षक रूप मिल चुका है। अब मेरे शरीर पर मिट्टी की एक भी झरीं नहीं दिखाई देने लगी। मैं अब बिल्कुल चिकनी, सुन्दर बन चुकी हूँ।

मुझ पर चलने से लोगों को अपना लक्ष्य और मुझे उनकी सेवा करने का सुख मिल जाता है। मेरी यही तपस्या से भगवान ने मुझमें एक अद्भुत शक्ति प्रदान कर डाली है। मैं कभी थकती नहीं और किसी से डरती नहीं। चाहे मुझे पर हाथी चले या चींटी रेंगे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मैं अपने आप में एक बल हूँ।

मुझ पर कारें, बसें आदि वाहन भी तेजी से गुजरते रहते हैं। जितना मजा वाहन वाले को मेरे ऊपर से गुजरने में मिलता है उतना ही मजा मुझे उसे राह देने से मिलता है।

मुझ में पहचान की अद्भुत क्षमता है, मैं जान लेती हूँ कि मेरा प्रयोग कौन कर रहा है, क्या वह पुरुष है या फिर स्त्री। जीव है या फिर जन्तु या फिर कोई मशीन। मैं मात्र गुजरने की आहट और पैरों की चाप से समझ जाती हूँ कि मेरा प्रयोगकर्ता कौन है।

मैं बच्चों के साथ बच्चा बन उनके साथ मस्ती भरी इठलाती चाल का आनंद लेती हूं, तो वहीं बूढ़ों का सहारा बन उन्हें संभालती हूँ।

यहां तक कि मैं योगी और भोगी दोनों का अंतर पहचान लेती हूँ।

मेरा जन्म अनादि काल से इस संसार में मानव के जन्म के साथ ही हुआ है। जबतक इस धरती पर मानव हैं मैं भी उनकी परछाई बन रहूंगी। मुझे विश्वास है समय के साथ-साथ मानव मुझ में बदलाव भी लाता रहेगा।

 मैं भले ही इस संसार में निर्जीव समझी जाती हैं, पर मुझमें चेतना की कोई कमी नहीं। मैं तो सारे देश, विश्व, संसार में भाईचारे का नारा देते हुए अपने आप को फैला लेती हैं। स्वयं दूसरों के पैरों के नीचे रहकर भी खुश हैं। काश मेरे इस करनी का मानव महत्व समझ मेरा ध्यान रखे।

पर आज का मानव इतना बेईमान हो चुका है कि वह मुझे बनाने तक में धांधली करने लगा है, यहाँ तक कि वह जानता है कि आने वाले समय में मेरा प्रयोग उसके बच्चों द्वारा ही किया जाएगा पर फिर भी वह नहीं संभलता।

लोग नशे में धूत, अहं में डूबे वाहन चलाते हैं एक दूसरे से ठकराते हैं और अपने प्राण त्याग देते हैं पर मनुष्य अपनी गलती छोड़ अपनी आदत के अनुसार अपनी करनी किसी और पर ढकेल देता है और मैं खूनी सड़क के नाम से बदनाम हो जाती हूं। जरा आप मेरे द्वारा सहे जा रहे कष्टों के बारे में सोचें, मैं तेज बारिश हो या फिर तेज धूप सबकुछ सहते हुए भी अपने कर्म में लगी रहती हूँ फिर भी मुझे ही कष्ट मिलता है, मैं आपके सामने यह प्रश्नछोड़ती हूँ, आप विचार कर मुझे अपनाएँ।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *