Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Pragatisheel Bharat ki Samasyaye”, “प्रगतिशील भारत की समस्याएँ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
प्रगतिशील भारत की समस्याएँ
Pragatisheel Bharat ki Samasyaye
प्रत्येक प्रगतिशील देश को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत भी प्रगति के पथ पर अग्रसर है। उसे भी अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
वर्तमान समय में भारत को आतंकवाद के विरूद्ध संघर्ष करना पड़ रहा है। आज सारा भारत इससे ग्रस्त है। विशेषकर जम्मू-कश्मीर आतंकवादियों का शिकार हो रहा है। इसके परिणामस्वरूप अनेक निर्दोष व्यक्ति हत्या के शिकार हो जाते हैं। सरकार की पूरी शक्ति इससे निपटने में लगी हुई है। इससे प्रगति की गति में बाधा पहुँच रही है। आज कोई भी व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित नहीं कह सकता। हाँ, पंजाब में आतंकवाद पर काबू पाने में सफलता मिल गई है।
देश की एकता एवं अखंडता की समस्या भी मुँहवाए खडी़ है। आज देश में साम्प्रदायिक शक्तियाँ सिर उठा रही हैं। विभिन्न धर्म के कट्टरवादियों में संघर्ष रहता है और एकता की भावना को चोट पहँचती रहती है। क्षेत्रवाद की प्रगति ने देश की अखंडता को क्षति पहुँचाई है। असम, पंजाब, मिजोरम, दार्जिलिंग आदि प्रान्तों की माँगों ने अखंडता को खतरा उत्पन्न किया है। हमें यह स्मरण रखना है कि देश की एकता एवं अखंडता सर्वोपरि है।
नदियों क ेजल के बँटवारे पर भी यह एकता कई बार खतरे में पड़ जाती है। तमिलनाडु और कर्नाटक राज्यों के मध्य कावेरी जल विवाद बढ़ता जा रहा है, सर्वोच्च न्यायालय तक के निर्देशों की अवहेलना की जा रहीे है। यह स्थिति अन्यंत चिंताजनक हैं।
हमारे देश में बेकारी की समस्या दिन-प्रतिदिन विकराल रूप धारण करती जा रही है। सरकार ने अपने गठन के समय जनता को यह आश्वासन दिया था कि प्रत्येक वर्ष एक करोड़ लोगों को रोजगार दिया जाएगा, किन्तु इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए। इसके विपरीत निजीकरण की नीति ने रोजगार शुदा व्यक्तियों को भी बेरोजगार बना दिया है। उन्हें जबरन सेवा निवृत्त किया जा रहा है। शिक्षक युवकों में जबरदस्त् निराशा का भाव घर कर गया है। बेरोजगारी ने शिक्षित युवकों में आत्महीनता का भाव उत्पन्न किया है। रोजगार कार्यालयों में लबीं कतारें लगती जा रही हैं। अभी तक सरकार प्रत्येक परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध कराने में असफल रही है। बेरोजगारी के कारण समाज में अराजकता उत्पन्न होती है। इस ओर शीघ्र ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
निर्धनता की समस्या पुरानी है। भारत स्वतंत्रता के पश्चात् से ही समस्या से जूझ रहा है। लगभग सभी सरकारों ने ‘ गरीबी हटाओ कार्यक्रम ’ के द्वारा सत्ता प्राप्त की है, पर अभी तक इस समस्या पर काबू नहीं पाया जा सका है। देश की अर्थव्यवस्था में जब तक आमूल-चूल परिवर्तन नहीं किया जाएगा, तब तक गरीबी नहीं हट सकेगी। अभी तक भारत के सम्मुख यह सबसे बड़ी समस्या हैं। हम आशा कर सकते है कि इक्कसवीं शताब्दी के प्रारंभ में इस समस्या से छुटकारा पा लेंगे।
इस समय भारत राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। किसी भी राजनैतिक दल को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण साझा सरकार का प्रयोग चल तो रहा है, पर वह बहुत सफल नहीं है। सरकार का अधिकांश समय अपने घटकों को मनाने में ही लग जाता है। ऐसी सरकार पूरी शक्ति से कार्य नहीं कर पाती । जनकल्याण की योजनाएँ अधर में लटक जाती हैं।
भारत जनसंख्या में अंधाधुंध वृद्धि की समस्या से जूझ रहा है। स्वतंत्रता प्राप्ति ो पश्चात् हमारी जनसंख्या तीन गुनी हो गई है। एक अरब से ज्यादा लोगों के लिये खाने-पीने, रहने और वस्त्र जुटाने की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। जनसंख्या में इस अंधाधुंध वृद्धि ने सभी योजनाओं की सफलता को संदिग्ध बना दिया है। इस पर शीघ्र काबू पाना होगा।
भारत को विकसित देशों की पंक्ति में आने के लिये योजना बद्ध ढ़ग से इन समस्याओं को हल करना ही होगा, अन्यथा भारतवासियों के सपने साकार नहीं हो पाएँगे। प्रगतिशील रााष्ट्रकी राह में समस्याएँ तो आती ही रहती हैं उन्हें हल करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है।