Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Pradushan ki Samasya”, ”प्रदूषण की समस्या” Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes
प्रदूषण की समस्या
Pradushan ki Samasya
विज्ञान की उन्नति ने देश को कुछ सुख साधन दिए है तो कुछ ऐसी समस्याए भी उत्पन्न कर दी है, जिनसे जीवन संकटमय बन गया है। आज नए-नए कारखाने बन रहे हैं। उनके धुएँ वातावरण में मिश्रित होकर वायु को प्रदूषित करते हैं। पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहन वायु में प्रदूषित गैसें मिलाकर प्रदूषण उत्पन्न करते है। मनुष्य प्रदूषित वातावरण में रहने के लिए विवश हो गया है। इस प्रदूषित वातावरण के कारण अनेकों रोगों की उत्पति होती है। स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रदूषण विशेष रूप से बड़े बड़े नगरों की समस्या है। यों तो सार्वजनिक स्थांनो, रेलों या बसों में धूम्रपान भी प्रदूषण उत्पन्न करता है। जिसे धूम्रपान की आदत नहीं, उसका इस प्रदूषण के कारण दम घुटने लगता है।
जो नगर नदियों के किनारे बसे है उनका जल प्रदूषित हो गया है। दिल्ली आगरा में कारखानों का प्रदूषण युक्त जल यमुना में मिल कर उसे प्रदूषित बना रहा है तो कानपुर में चमड़े तथा अन्य कारखानों का प्रदूषण गंगा को विषयुक्त बना दे रहा है। ताजमहल को प्रदूषित करनेवाले कारखानों को वहां से हटाकर बन्द करने की योजना बनानी पड़ी हैं। ताजमहल के चारों ओर वृक्षों को लगाकर उसे प्रदूषण से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
भूमि, जल और आकाश सभी प्रदूषण युक्त हो गए हैं। नगरों को सबसे अधिक प्रदूषित करनेवाला कारण कारखानों से निस्रत रसायन युक्त जल है। यह बस्ती में बहता हुआ बस्ती को प्रदूषित करके नदी को भी प्रदूषित कर दे रहा हैं।
हैदराबाद में हुसैनसागर कारखानों के दूषित जल मिल जाने के कारण विषैला हो गया है। हुसैनसागर के तट पर नगरवासी शुद्धवायु के सेवन के लिए जाया करते थे। अब दुर्गन्ध और विषैली वायु के कारण शाम के समय वहाँ खड़ा रहना भी संभव नहीं हैं।
रेल द्वारा जब हैदराबाद से नागपुर जाते है तब मार्ग में कागजनगर और बल्लारपुर मिलते हैं। यहाँ कागज के कारखाने है। इन कारखानों से इतना प्रदूषण युक्त जल बहता रहता है कि स्टेशन पर भी साँस लेना कठिन होता हैं। उन नगरों के निवासी किस प्रकार इस प्रदूषण को सहन करते है, उन्ही को मालूम है। हाल ही में भोपाल के एक कारखाने से जो प्रदूषण युक्त गैस निकली, उसने तो हजारों लोगों की जान ही लेली।
प्रदूषण की यह समस्या औद्योगीकरण की उन्नति के साथ-साथ बढ़ती ही जाती है। मनुष्य का जीवन सस्ता होता जा रहा है। हर प्रकार का प्रदूषण जीवन का शत्रु है। वायु प्रदूषण के कारण वायु मंडल मे कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। इससे पृथ्वी के पर्यावरण के ऊपर रहने वाली ओझोन गैस का सुरक्षा चक्र प्रभावित हो रहा है। इसी कारण ऋतु परिवर्तन के चक्र पर भी प्रभाव पड़ा है। धरती का ऊपजाऊपन घटा है। अनेक प्रकार के रोगों का प्रकोप बढ़ गया है।
वायु प्रदूषण के साथ-साथ वनि प्रदूषण भी मानव में बहरापन, अनिद्रा, रक्तचाप आदि जैसे रोग फैला रहा है। बड़े नगरों में तो हर प्रकार के प्रदूषण है।
भमि, जल और आकाश सभी प्रदूषण युक्त हो गए हैं। नगरों को सबसे अधिक प्रदूषित करनेवाला कारण कारखानों से निस्रत रसायन युक्त जल है। यह बस्ती में बहता हुआ बस्ती को प्रदूषित करके नदी को भी प्रदूषित कर दे रहा हैं।
हैदराबाद में हुसैनसागर कारखानों के दूषित जल मिलजाने के कारण विषैला हो गया है। हुसैनसागर के तट पर नगरवासी शुद्धवायु के सेवन के लिए जाया करते थे। अब दुर्गन्ध और विषैली वायु के कारण शाम के समय वहाँ खड़ा रहना भी संभव नहीं हैं।
रेल द्वारा जब हैदराबाद से नागपुर जाते है तब मार्ग में कागजनगर और बल्लारपुर मिलते हैं। यहाँ कागज के कारखाने है। इन कारखानों से इतना प्रदूषण युक्त जल बहता रहता है कि स्टेशन पर भी साँस लेना कठिन होता हैं। उन नगरों के निवासी किस प्रकार इस प्रदूषण को सहन करते है, उन्ही को मालूम है। हाल ही में भोपाल के एक कारखाने से जो प्रदूषण युक्त गैस निकली, उसने तो हजारों लोगों की जान ही लेली।
प्रदूषण की यह समस्या औद्योगीकरण की उन्नति के साथ-साथ बढ़ती ही जाती है। मनुष्य का जीवन सस्ता होता जा रहा है। हर प्रकार का प्रदूषण जीवन का शत्रु है। वायु प्रदूषण के कारण वायु मंडल मे कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा बढ़ती जा रही है। इससे पृथ्वी के पर्यावरण के ऊपर रहने वाली ओझोन गैस का सुरक्षा चक्र प्रभावित हो रहा है। इसी कारण ऋतु परिवर्तन के चक्र पर भी प्रभाव पड़ा है। धरती का ऊपजाऊपन घटा है। अनेक प्रकार के रोगों का प्रकोप बढ़ गया है।
वायु प्रदूषण के साथ-साथ वनि प्रदूषण भी मानव में बहरापन, अनिद्रा, रक्तचाप आदि जैसे रोग फैला रहा है। बड़े नगरों में तो हर प्रकार के प्रदूषण है। गाँव ही इस प्रदूषण से अब तक बचे हैं। पर नदियों द्वारा जल का प्रदूषण गांवों तक भी विस्तारित हो रहा है।
यह खुशी की बात है कि अब सरकार का ध्यान इस समस्या की ओर गया है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं। बडे नगरों में कारखानों के प्रदूषित जल के निकास के लिए अलग से भूमिगत नाले बनाए जा रहे हैं। इन नालों से प्रदूषित जल नगर से दूर ले जाकर उसका विशेष उपयोग करके समाप्त किया जाएगा। अधिक प्रदूषण उत्पन्न करने वाले वाहनों का परीक्षण कर उनको नगर में प्रवेश से रोका जा रहा है। उन्हे प्रदूषण रोकने के यन्त्रों का प्रयोग करने के लिए विवश किया जा रहा है।
ऐसे उद्योग जो वायु और जल दोनों को प्रदूषित करने वाले हैं. उनको नगरों से दूर ले जाकर स्थापित करने की योजना है। इसके अतिरिक्त अधिक से अधिक संख्या में वृक्ष लगा कर वायु के प्रदूषण को कम किया जा सकता है। बड़े नगरों में अब भारी उद्योगों की भीड़ नहीं लगनी चाहिए। नए उद्योग किसी नए स्थान पर ही लगाना चाहिए।