Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Mera Bharat Mahan”, “मेरा भारत महान” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
मेरा भारत महान
Mera Bharat Mahan
हमारा देश भारत अत्यन्त महान् एवं सुन्दर है। यह देश इतना पावन एवं गौरवमय है कि यहाँ देवता भी जन्म लेने को लालायित रहते हैं। हमारी यह जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। कहा गया है-श्जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीबसीश् अर्थात् जननी और जन्म भूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। प्रसिद्व छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद जी ने अपने एक नाटक के गीत में लिखा है-
अरूण यह मधुमय देश हमारा
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।
हमारे देश का नाम भारत है, जो महाराज दुष्यंत एवं शकुंतला के प्रतापी पुत्र ’भरत’ के नाम पर रखा गया। पहले इसे ’आर्यावर्त’ कहा जाता था। इस पावन देश मे राम, कृष्ण, महात्मा बुद्व, वर्धमान महावीर आदि महापुरूषों ने जन्म लिया। इस देश में अशोक और अकबर जैसे प्रतापी सम्राट भी हुए हैं। इस देश के स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, लोकमान्य तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, सरोजनी नायडू आदि ने कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष किया।
भौगोलिक रचना की दृष्टि से हमारे देश का प्राकृतिक स्वरूप अत्यंत मनमोहक है। इसके पर्वतीय प्रदेशों की हिमाच्छदित पर्वतमालाएँ, दक्षिणी प्रदेशों के समुद्रतटीय नारियल के वृक्ष, गंगा-यमुना के उर्वर मैदान प्रकृति की अनुपम भेंट हैं। इस देश में हर प्रकार की जलवायु पाई जाती है। इसी भूमि पर ’धरती का स्वर्ग’ कश्मीर है, जिसकी मनोरम घाटियाँ, डल झील, शालीमार-निशात बाग हमें स्वप्न लोक की दुनिया में ले जाते हैं। हिमालय हमारे देश का सशक्त प्रहरी है, तो हिन्द महासागर इस भारतमाता के चरणों को निरंतर धोता रहता है। हमारा यह विशाल देश उतर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ है। इस देश की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन करते हुए कवि रामनरेश त्रिपाठी लिखते हैं-
शोभित है सर्वोच्च मुकुट से, जिनके दिव्य देश का मस्तक।
गूँज रही हैं सकल दिशाएँ, जिनके जयगीतो स ेअब तक।
हमारे देश में ’विभिन्नता में एकता’ की भावना निहित है। यहाँ प्राकृतिक दृष्टि से तो विभिन्नताएँ हैं ही, इसके साथ-साथ खान-पान, वेश-भूषा, भाषा-धर्म आदि में भी विभिन्नताएँ दृष्टिगोचर होती हैं। ये विभिन्नताएँ ऊपरी हैं, हदय से हम सब भारतीय हैं। भारतीय संविधान के अनुसार सभी धर्मवलंबियों को अपनी उपासना पद्वति तथा सामाजिक व्यवस्था का अनुसरण करने की पूर्ण स्वतंत्रता है। भारतवासी उदार हदय वाले हैं और ’वसुदैव कुटुम्बम्’ की भावना में विश्वास करते हैं। यहाँ के निवासियों के हदय मंे स्वदेश-प्रेम की धारा प्रवाहित होती रहती है। राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने सत्य ही कहा है-
जिसमें न निज गौरव तथा निज देश का अभिमान है।
वह नर नहीं, नर पशु निरा और मृतक समान है।
जो भरा नहीं भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं।
वह हदय नहीं पत्थर है, जिसमें स्वेदश का प्यार नहीं।
हमारे देश भारत की संस्कृति अत्यंत महान् है। यह एक ऐसे मजबूत आधार पर टिकी है जिसे कोई अभी तक हिला नहीं पाया है। कवि इकबाल कह गए हैं-
यूनान मिस्र रोमां, सब मिट गए जहाँ से,
बाकी मगर ह ैअब तक नामोनिशां हमारा।
कुछ बात कि हस्ती मिटती नही हमारी,
सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमा हमारा।
वर्तमान समय में हमारा देश अभी तक आध्यात्मिक जगत् का अगुआ बना हुआ है। स्वामी विवेकानन्द ने अमेरिका के विश्व धर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति के जिस स्वरूप से पाश्चात्य जगत् को परिचित कराया था, उसकी अनुगूँज अभी तक सुनाई पड़ती है। भारतीयों ने अस्त्र-शस्त्र के बल पर नहीं बल्कि प्रेम के बल पर लोगों के हदय पर विजय प्राप्त की। प्रसाद जी ने कहा है-
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम।
भारतवर्ष का लोकतंत्र आज भी विश्व में अनोखा है। परमाणु शक्ति सम्पन्न भारत विश्व में गौरव के साथ जी रहा है। अब तो प्रसाद जी के शब्दों में हमारी यह कामना है-
जियें तो सदा इसी के लिए, यही अभिमान रहे, यह हर्ष,
निछावर कर दें हम स्र्वस्व, हमारा प्यारा भारतवर्ष
Very good