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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Mera Adarsh Adhyapak” , “मेरा आदर्श अध्यापक” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

मेरा आदर्श अध्यापक

Mera Adarsh Adhyapak

निबंध संख्या:-01

मेरे आदर्श अध्यापकबचपन से अब तक मैं अनेक अध्यापकों के संपर्क में आया हूँ। प्रायः सभी ने मुझे प्रभावित किया है। परंतु जब मैं अपने आदर्श अध्यापक की खोज करने निकलता हूँ तो मुझे श्री विजयेंद्र जैन का स्मरण हो आता है।

परम स्नेहीश्री विजयेंद्र जैन की सबसे बड़ी खूबी यही थी कि वे सब विद्यार्थियों से मित्रवत स्नेह रखते थे। वे उनके जीवन में परी रुचि लिया करते थे। वे छात्र को अपने पास बुलाकर उसमें अद्भुत प्रेरणा भर दिया करते थे।

सहयोगीश्री विजयेंद्र जैन स्वभाव से ही सहयोगी थे। उनकी आदत थी कि वे छात्रों को भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में जाने के लिए पोत्साहित किया करते थे। आज के युग में छात्रों के लिए इतना करने वाला अध्यापक ढूँढ़ने से भी नहीं मिलता। उनके सभी छात्र उनके प्रशंसक हैं।

विषयविशेषज्ञ-श्री विजयेंद्र जैन वनस्पतिशास्त्र के अध्यापक थे। वे अपने विषय में पारंगत थे। वे अपने विषय को कशलतापूर्वक पढ़ाया करते थे। उनका पढ़ाने का ढंग अत्यंत सरल तथा विनम्र था। वे बातचीत की शैली में समझाया करते थे। श्री जैन स्वयं बहुत अध्ययनशील थे। खाली समय में हम उन्हें अध्ययन करता हुआ ही देखते थे।

गंभीर और अनुशासनप्रियश्री जैन गंभीर और अनुशासनप्रिय व्यक्ति थे। वे कभी फालतू बातें नहीं किया करते थे। उनका एक-एक शब्द तुला हुआ होता था। सभी छात्र उनके वचनों का सम्मान करते थे। जैसे वे खुद मितभाषी थे, वैसे ही वे छात्रों से अपेक्षा किया करते थे। वे अपने जीवन में अत्यंत अनुशासित थे। वे कक्षा में कभी देरी से नहीं आए। कभी बिना पढ़ाए कक्षा नहीं छोड़ी।

सादगी, दृढ़ता और सच्चाईश्री विजयेंद्र जैन सादगी, दृढ़ता और सच्चाई की मूर्ति थे। उनका पहनावा सीधा था। बच्चे उनकी सादगी पर मोहित थे। शायद ही हमारा ध्यान कभी उनके वस्त्रों पर गया हो। उनके मन में सच्चाई का वास था। उन्होंने कभी नकल को प्रोत्साहन नहीं दिया। कितने ही छात्र उनके करीब थे, परंतु किसी ने उनके सामने नकल करने की हिम्मत नहीं की।

 

निबंध संख्या:-02 

मेरा आदर्श अध्यापक 

  • आदर्श अध्यापक की विशेषताएँ
  • मानवीय गुण
  • समाज की जरूरत

‘अध्यापक’ शब्द सुनते ही हमारे सामने एक आदर्शवादी जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति का चेहरा दिखाई देने लगता। है। मेरे मन में श्री संजय गोयल जी के प्रति बहुत सम्मान है। वे मेरे आदर्श अध्यापक हैं। संजय जी में क्षमा, उदारता, परोपकार आदि अनेक गुण हैं। वे निर्धन छात्रों की सहायता करते हैं। उनका व्यक्तित्व बहमुखी है। वे शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक जीवन की बातें भी सिखाते हैं। वे छात्रों की व्यक्तिगत समस्याओं को सहज भाव से सुलझा देते हैं। वे अत्यंत मेहनती हैं। घर पर पुस्तक निर्माण का कार्य करते हैं। संजय जी का कंठ अत्यंत मधुर है। वे कक्षा में कभी-कभी लोकगीत भी सुनाते हैं। वे बच्चों को निरर्थक बातें नहीं बताते। सभी छात्र उनका सम्मान करते हैं।

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