Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Klemens von Metternich” , ”मेटरनिख” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
मेटरनिख
Klemens von Metternich
आस्ट्रिया : यूरोप की राजनीति का एक युग
जन्म : 1773 मृत्यु : 1859
नेपोलियन के बाद तथा बिस्मार्क के पहले का समय इतिहास में ‘मेटरनिख युग’ के नाम से जाना जाता है। मेटरनिख यूरोप की राजनीति में सन् 1815 से सन् 1848 तक छाया रहा। इस दौरान यूरोप की राजनीति उसी के इशारों पर नाचती रही।
मेटरनिख का जन्म कोबलेस (आस्ट्रिया) के एक कुलीन परिवार में सन् 1773 को हुआ था। उसकी शिक्षा स्ट्रासबर्ग तथा मेएन्स में हुई। अपने शिक्षा काल में ही उसे क्रांति से घृणा थी। उसे जब ड्रेस्डन में राजदूत का पद मिला, तो उसकी कूटनीतिक योग्यताओं में निखार आ गया। कुछ समय बाद वह नेपोलियन से मिला।
सन् 1809 में मेटरनिख को आस्ट्रिया का चांसलर नियुक्त किया गया। इस पद पर वह सन् 1848 तक रहा। इस दौरान उसने रूस, जर्मन राज्यों, इंग्लैंड आदि पर अंकुश रखते हुए नेपोलियन के पतन में निर्णायक भूमिका निभायी। मेटरनिख के समय रूस का जार, प्रशा का शासक फैड्रिक विलियम तथा इटली, ग्रीस, स्पेन आदि के शासक उसके सिद्धांतों पर अपने-अपने यहां राजतंत्र को मजबूत करते रहे। इससे नवीन, भावनाओं का दमन होने लगा। मेटरनिख अपने युग का सबसे बड़ा अवसरवादी था। उसने चालाकियों से वर्षों तक आस्ट्रिया का वर्चस्व बनाए रखा। यूरोप में शक्ति संतुलन बनाए रखना उसकी बहुत बड़ी उपलब्धि रही, लेकिन जन भावनाओं की उपेक्षा करने की वजह से उसका पतन हुआ। उसे सन् 1848 में वियना से इंग्लैंड भागना पड़ा।
सन् 1814 का ऐतिहासिक ‘वियना सम्मेलन’ भी मेटरनिख की एक बड़ी उपलब्धि थी। इसमें सभी प्रमुख देशों के बीच मेटरनिख ने पूरे यूरोप का नक्शा बदलकर रख दिया। युद्धों के उस युग में वह मेटरनिख ही था, जिसने अपने दांव-पेंच से यूरोप को चालीस वर्षों तक युद्धों से बचाए रखा। इसी कारण इतिहास उसका लोहा मानता है।