Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Jim Corbett” , ”जिम कार्बेट” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
जिम कार्बेट
Jim Corbett
भारत : ‘कैसर-ए-हिंद’
जन्म : 1875 मृत्यु : 1955
उत्तर प्रदेश के कुमाऊं-गढ़वाल क्षेत्रों में आज भी जिम कार्बेट की शिकार गाथाएं किंवदंतियों की तरह सनी जा सकती हैं। एडबडं जेम्स कार्बेट (जिम कार्बेट) का जन्म 25 जुलाई. 1875 को नैनीताल (उ.प्र.) में एक अंग्रेज परिवार में हुआ था। उनका प्रारंभिक जीवन कमाऊं में बीता। यहां पर उन्होंने अंग्रेजी, हिन्दी एवं कुमाउंनी का अध्ययन किया। सत्रह वर्ष की उम्र में वह नार्थ-वेस्टर्न रेलवे में नौकरी करने लगे। प्रथम विश्वयुद्ध में भाग लेकर वह मेजर भी बने। भारत के स्वतंत्र होने के बाद वह केन्या चले गए, जहां 19 अप्रैल, 1955 को उनका देहांत हुआ।
जिम कार्बेट एक महान शिकारी, वन्यप्रेमी एवं शिकार-कथा लेखक के रूप में काफी मशहूर हुए। एक फोटोग्राफर के रूप में भी उन्होंने अच्छी ख्याति अर्जित की। उन्होंने अपने कैमरे से शेरों का बड़ा अच्छा छायांकन किया था। सन् 1907 में उन्होंने पहली बार चंपावन में एक नरभक्षी शेरनी का शिकार किया जो 436 लोगों को खा चुकी थी। इसके अलावा उन्होंने सन् 1926 में जिस गुलदार नरभक्षी को मारा, वह 400 व्यक्तियों को खा चुका था। अपने 50 – वर्ष के शिकारी जीवन में जिम ने 45 आदमखोरों से लोगों को मुक्ति दिलाई।
जिम को उनके साहस और शौर्य के लिए कैसर-ए-हिन्द’, ‘ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर’, ‘ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ इंडिया’ तथा ‘फ्रीडम ऑफ फारेस्ट’ जैसे अलंकरण प्रदान किए गए। बाघ की एक जाति का नाम पेंथेरा टाइग्रिस कोर्बेटी रखा गया है। भारत सरकार ने भी जिम कार्बेट के सम्मान में देश के पहले अभ्यारण्य का नाम ‘जिम कार्बेट नेशनल पार्क’ रखा तथा सन् 1976 में उनकी जन्म-शताब्दी पर एक डाक टिकट जारी किया। कालाढूंगी, नैनीताल स्थित उनका घर भी संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है।
लेखक के रूप में जिम कार्बेट ने सबसे पहले ‘जंगल स्टोरीज’ लिखी। सन् 1943 में उनकी दूसरी पुस्तक ‘मैन ईटर्ज ऑफ कमाऊं’ ने उन्हें विश्वभर में मशहरू कर दिया। दुनिया की बीस भाषाओं में अनूदित इस पुस्तक की 40 लाख से भी ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। इसपर फिल्म भी बनाई जा चुकी है। ‘द मैन ईटिंग लेपर्ड ऑफ रूदप्रयाग’ (1948), ‘माई इंडिया (1952, आत्मकथा), ‘जंगल लोर’ (1953) ‘द टेम्पल टाइगर (1954), तथा ‘द ट्रीटाप्स, (1955, मरणोपरांत) जिम कार्बेट की अन्य पुस्तकें हैं।