Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Jativad ka Vish”, “जातिवाद का विष” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
जातिवाद का विष
Jativad ka Vish
हमारे देश में विगत एक दशक से जातीयता का विष बुरी तरह से व्याप्त होता चला जा रहा है। वैसे तो जातीयता की भावना बहुत पुरानी है, पर राजनीति ने इसको एक नई धार दे दी है। वोटों की राजनीति जातीयता पर आधारित रहती है। सभी पार्टियाँ मंच पर तो आदर्शवादिता की दुहाई देती हैं, पर उनके चिंतन में जातीयता घुसी होती है। कई पार्टियाँ तो स्पष्टतः जातीय आधार पर खड़ी हैं। ये लोगों के मध्य जातीय विद्वेष का विष फैलाकर अपनी रोटियाँ सेंकती रहती हैं। इस जातीय भावना ने भारत की एकता एंव अखंडता को भारी क्षति पहुँचाई है। कई राजनीतिक दल तो खुले आम अपनी जाति को उभारने तथा अन्य जातियों को नीचा दिखाने में जुटे रहते हैं। जातीयता का विष हमारे समाज में कोढ़ की तरह फैलता जा रहा है। यह संकीर्णता की भावना को फैलाता है। इसे रोकना नितांत आवश्यक है अन्यथा भारत की एकता खंडित हो जाएगी।