Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Jal Pradushan”, “जल प्रदुषण” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.
जल प्रदुषण
Jal Pradushan
धरती तवे के समान बिक रही है। जेठ मास की धूप और झुलसाने वाली लू के साथ आई तेज गरमी पूरे शवाब पर है। पसीना, उमस और चिपचिपाहट ने मन को व्याकुल कर रखा है। प्यास के मारे सूखता गला दुनिया भर का पानी पी जाता है। गर्मी से बेहाल व्यक्ति छाया और शीतल जल की तलाश में इधर-उधर नजर दौड़ता है। तब उसकी दृष्टि ठंडे पानी की रेहड़ी पर जाती है। पचास पैसे दीजिए और ’कोल्ड वाॅटर’ पीकर पूरा तर कर लीजिए। प्यास से बेहाल होकर आप ठंडा पानी पी तो लेते हैं, पर क्या आप जानते है कि इस ठंडे पानी के रूप में आप जहर पी रहे हैं। इनकी टंकी में गंदा और प्रदुषित जल होता है जिसमें बर्फ डालकर इसे वे ठंडा अवश्य कर लेते हैं। इसे पीकर आपको थोड़ी देर के जिए तरावट भले ही मिल जाए, पर घर जाकर आपको डाॅक्टर के पास अवश्य जाना पड़ेगा।
जहरीले पेस जल की बिक्री के लिए सरकार ने कानून तो अनेक बनाए हैं, पर इच्छा की कमी और स्वास्थय विभाग की लापरवाही के कारण जहरीले ठंडे जल की ब्रिकी बेरोक-टोक जारी है। पानी की टंकी का लाइसंेस देने के विषय कड़े भले ही हों, पर घूसखोरी के बल पर सब कुछ आसानी से संभव हो जाता है। तब सारे नियम ताक पर रख दिये जाते हैं एक बार लाइसेंस क्या मिला कि साल भर तक संक्रामक बिमारियाँ फैलाने की खुली छूट मिल जाती है। जन-स्वास्थय के नाम पर मोटी तनख्वाहें, पाने वाले अधिकारियों की नींद न जाने कब खुलेगी? लगता है वे किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे हैं।