Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Holi – Rango ka Tyohar”, “होली – रंगों का त्यौहार” Complete Essay, Speech for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
होली – रंगों का त्यौहार
Holi – Rango ka Tyohar
निबंध नंबर :- 01
मानव जीवन में त्यौहारों का अपना महत्व है। त्यौहार जीवन की एकरसता को खत्म करने और उत्सव के द्वारा अपने में नयी स्फूर्ति हासिल करने के लिए मनाए जाते हैं। देश में मनाए जाने वाले हर त्यौहार के पीछे उसका अपना इतिहास व मान्यताएँ हैं। हमारे भारतवर्ष का एक और नाम भी है इसे हम त्यौहारों का देश भी कहते हैं। शायद ही भारत की कोई तिथि ऐसी हो, जो किसी न किसी त्यौहार से संबंधित न हो।
दशहरा, रक्षाबंधन, बैसाखी, बसंत पंचमी आदि अनेक धार्मिक पर्व हैं। रंगों का यह त्यौहार अपने आप में सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं बल्कि मनोरंजन का भी एक पर्व है। जो उल्लास, अमंग तथा उत्साह के साथ मनाया जाता है।
हंसी-मजाक के पर्व के नाम से भी होली मनाई जाती है। इसलिए तो कहते हैंभाई साहब बुरा न मानें, होली हैं।
इस त्यौहार में लोग अपने बैर-भाव को त्याग कर एक दूसरे को गुलाल लगा कर होली की बधाई देते हैं। होलिका दहन के दिन तो हर गल्ली-मुहल्ले में लकड़ी के ढेर लगा होलिका बनाई जाती है। जिसे शाम को सभी महिलाओं द्वारा पूजा जाता है।
होली सिर्फ हिन्दू का त्यौहार नहीं है, इसे समाज के सभी धर्मों, वर्गों द्वारा सहर्ष मनाया जाता है।
होली के त्यौहार की अपनी एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को भगवान का नाम न लेने का आदेश दे रखा था। किन्तु उसके स्वयं का पुत्र प्रह्लाद अपने पिता की आज्ञा न मानकर विष्णु भजन में लीन रहता था। उसके पिता उसे बार बार समझाते थे पर वह नहीं मानता था। प्रह्लाद, प्रजा के बीच में भी काफी प्रसिद्ध हो चुका था। दैत्यराज को डर था कि कहीं उसकी प्रजा विद्रोह न कर दे इसलिए उसने अपनी बहन होलिका (जिसे वरदान प्राप्त था कि आग उसे कुछ नुकसान नहीं पहुँचा सकती है।) के साथ मिलकर एक गुप्त योजना बनाई।
योजनानुसार होलिका प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर बैठ गई और उसके एक इशारे पर चारों तरफ आग लगा दी गई। उसे अहं था कि आग तो उसका कुछ नहीं कर सकती पर प्रह्लाद तो आग की चपेट में आने से मर जाएगा और प्रजा इसे एक दुर्घटना समझ भूल जाएगी।
पर प्रभु को तो कुछ और ही मंजूर था। आगने अपने में होलिका को तो समा ही लिया पर प्रहाद को छू भी न सकी क्यों कि प्रहाद तो आग की लपटों में भी प्रभु दर्शन कर रहा था और अपने प्रभु भजन में मस्त था। तभी से होलिका दहन मनाया जाता है।
इस होली के त्यौहार को ऋतुओं से भी संबंधित माना जाता है। इस सुअवसर पर किसानों द्वारा अपने खेतों में उगाई फसलें जो पककर तैयार हो चुकी होती हैं, उसे देखकर वह झूम उठता है। खेतों में खड़ी-पकी फसल को भूनकर वह अपने सगे संबंधियों व मित्रों में बाँटते हैं।
होलिका दहन के दूसरे दिन रंगों के साथ होली त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन सुबह से दोपहर तक लोग आपस में रंगों का अदान-प्रदान करते हैं एक दूसरे को मेह के साथ रंग लगाते हैं और शाम को आपस में मिलकर खूब मौज-मस्ती व ठंडाई का आनंद लेते हैं।
होली का दिन अपने आप में एक बुराई के अंत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कुछ लोग मदिरापान कर आपस में ही लड़ लेते हैं। जो त्यौहार के रंग में भंग डालता है।
होली के दिन कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा हास्य कवि सम्मेलनों वसंगोष्ठियों का भी आयोजन किया जाता है।
विभिन्न समाज के लोग अपने अपने तरीकों से होली-मिलन भी करते हैं।
भारत देश विभिन्नता में भी एकता के लिए प्रसिद्ध है, जो कि इसे पर्व व त्यौहारों में हमें देखने को मिलता है।
निबंध नंबर :- 02
होली रंगों का त्यौहार
Holi Rango ka Tyohar
होली हिन्दुओं के महत्त्वपूर्ण त्योहारो में से एक है। इसे रंगों का त्योहार भी कहते हैं। सारे देश में होली का त्योहार अत्यन्त धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
होली के त्योहार को बसन्त के आगमन तथा शरद् ऋतु की समाप्ति का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर लोग प्रसन्नता से झूम उठते हैं। फुलवाड़ियां असंख्य रंग-बिरंगे व खुशबूदार फूलों से महक उठती हैं। चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है, मानो प्रकृति अपने पूरे उभार पर हो।
होली के त्योहार से सम्बन्धित अनेकानेक कथाएं हमारे यहां प्रचलित हैं। एक कथा ईश्वर-भक्त प्रहलाद और उसके अत्याचारी दैत्यपिता हिरण्यकश्यप की है। हिरण्यकश्यप के शासन में उसके अत्याचारों से प्रजा त्राहि-त्राहि करती थी। किसी को भी ईश्वर की आराधना करने की आज्ञा न थी। उनका कहना था कि मेरे राज्य के समस्तजनों को ईश्वर के बजाय मेरी आराधना करनी चाहिये, क्योंकि मैं ही सभी को सुख-सुविधा और धन-धान्य से परिपूर्ण करता हूँ।
उसने कई सन्त-महात्माओं को बन्दी बना रखा था। उसके बेटे प्रहलाद को पिता की ये ज्यादतियां तनिक भी पसन्द न थीं। वह भगवान विष्णु की पूजा करता था। उसने अपने पिता से विद्रोह किया और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। अतः उसके पिता ने आदेश दिया कि प्रहलाद को हाथी के नीचे कुचलवाया जाए। आदेश का पालन किया गया, किन्तु प्रहलाद सुरक्षित बच गया। फिर उसे पहाड़ी पर से धकेला गया, तब भी उसका बाल बांका न हुआ। तब यह आदेश दिया गया कि प्रहलाद को जलते हुए खम्भे से बांध दिया जाए। ऐसा करके भी देखा गया, किन्तु प्रहलाद को कुछ न हुआ। यह देखकर हिरण्यकश्यप ने तय किया कि वह अपने हाथों तलवार से प्रहलाद का वध करेगा। जब नंगी तलवार लेकर वह अपने बेटे पर झपटा तो भगवान विष्णु नृसिंह का रूप धारण करके प्रकट हो गए और उन्होंने अपने पैने नाखूनों से हिरण्यकश्यप का पेट फाड़ कर उसका वध कर दिया।
कहते हैं कि देवाताओं की दैत्यों पर इस विजय के उपलक्ष में यह त्योहार मनाया जाता है। होली का दिन आते ही लोगों की खुशी की सीमा नहीं रहती। भांति-भांति के रंगों से सराबोर होकर वे सड़कों पर निकल आते हैं। कुछ लोग रंगों की बाल्टी लिए होते हैं और गुजरने वालों पर पिचकारियों से रंग फेंकते हैं। कुछ बच्चे पानी से भी खिलवाड़ करते हैं। रंगों की इन फुहारों से सड़कें गीली हो जाती हैं, मकानों की दीवारें रंग जाती हैं और कोई भी गुजरने वाला कोरा नहीं बच पाता। यहां तक कि कभी-कभी झगड़े की स्थिति भी खड़ी हो जाती है। ऐसी घटनाओं से बचने का प्रयास करना चाहिये।
कुछ मनचले नौजवान चेहरों पर अजीबो-गरीब मुखौटे पहनकर और गले में ढोलकें लटकाकर गाते-बजाते हुए सड़कों पर निकल पड़ते हैं और हंसी-मजाक का वातावरण आकर्षित हों। कई बार व्यक्ति अपने मित्रों के साथ भी मजाक करते हैं।
बृज की होली विशेष रूप से सारे भारत में मशहूर है। होली के अवसर पर वहां के स्त्री-पुरुषों का उत्साह देखते ही बनता है। स्त्रियां पुरुषों पर रंग वाला पानी डालती हैं और उन्हें डण्डों से पीटती हैं। सम्मिलित स्वरों में फाग गाते हुए एक-दूसरे के चेहरों पर अबीर-गुलाल मलते हुए, वे एक नया माहौल पैदा कर देते हैं। बृज की होली का सबसे खास आकर्षण यह है कि पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियां भी खुलकर आगे आती हैं। यह दृश्य देखने योग्य होता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण वहां खेला करते थे। कृष्ण और गोपियों की रासलीला का वह दृश्य एक बार फिर साकार हो उठता है। त्योहार के महत्त्व को बढ़ाने व दर्शाने के लिये नाटकों का आयोजन होता है और हजारों लोग उन्हें देखते हैं।
होली के अवसर पर सभी स्कूल, कालेज बन्द रहते हैं और देश-भर में सरकारी, गैर-सरकारी कार्यालयों में छट्टी रहती है।
होली हमारे देश के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है और सारे देश में आनन्दपूर्वक मनाई जाती है। वसन्त ऋतु के आगमन का कृषक वर्ग नाच-गाकर इस अवसर पर स्वागत करते हैं। यह जन-जन की प्रसन्नता का त्योहार है और सारे देश के चप्पे-चप्पे में रंग व अबीर-गुलाल के माध्यम से खुशियों की छाप छोड़ जाता है।