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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Ek Aatanki Ghatna ka Anubhav”, “एक आतंकी घटना का अनुभव” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

एक आतंकी घटना का अनुभव

Ek Aatanki Ghatna ka Anubhav

वह घड़ी जब जीवन और मृत्यु में एक कदम का फासला था

                जीवन बड़ा विचित्र है। इसमें कब क्या घटित हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता।

                पिछले दिनों की बात हैं मैं सरोजिनी नगर मार्किट में खरीदारी कर रहा था। घर में एक समारोह था, उसकी तैयारियाँ बड़े जोर-शोर से चल रही थीं। हम बड़े उत्साह में थे। तभी शोर मचा बम फट गया। यह एक आतंकवादी घटना थी। बम बहुत शक्तिशाली था। यह विस्फोट हमारी दुकान से थोड़े से फासले पर हुआ था। इस विस्फोट की चपेट में 20-25 व्यक्ति आ गए थे। हमारे परिवार को भी इसके लोहे के कण लगे। उस समय हमें लगा कि हम जीवन और मृत्यु के बीच झूल रहे हैं। मृत्यु कभी भी आ सकती थी, पर अन्य लोगों की मदद से हमें शीघ्र अस्पताल पहुँचाया गया। अब जीवन और मृत्यु में एक कदम का फासला रह गया था। हमें मौत कभी भी अपने आगोश में ले सकती थी। हम बुरी तरह तड़प रहे थे। डाॅक्टर हमें जीवन-दान देने में जुटे थे। वे हमारे परिजनों को भरोसा दिला रहे थे कि सब कुछ ठीक हो जाएगा।

                उस समय कभी मृत्यु निकट आती जान पड़ती थी तो कभी जीवन की आस बँधती थी। बड़ी अजीब मनःस्थिति थी। जीवन और मृत्यु के बारे में निश्चित रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता था। दोनों के बीच में एक कदम का फासला था। यह फासला एक हफ्ते तक बना रहा और अंत में जीवन जीत गया। मृत्यु को पछाड़ कर हम लोग फिर से जी उठे। यद्यपि इस युद्ध में कई व्यक्ति दम तोड़ बैठे थे।

                जब जीवन और मृत्यु में केवल एक कदम का फासला रह जाता है तब व्यक्ति की मनःस्थिति बड़ी विचित्र होती है। व्यक्ति मौत की आशंका मात्र से भयभीत हो उठता है। तब उसे सभी कुछ अंधकारमय प्रतीत होता है। उसे अपना तथा अपने परिवार का भविष्य मिटता जान पड़ता है। उस समय वह जीवनदान पाने की इच्छा करता है। तब तो पल-पल काटने को दौड़ता है। कभी जीवन की आशा बँधती है तो कभी आशा की डोर टूटती नज़र आती है। मैं भी ऐसी ही मनःस्थिति में से गुजरा हूँ। उस समय के अनुभव का वर्णन करना अत्यंत कठिन है।

                कुछ ऐसी ही आतंकवादी घटना से मुंबई के कई सौ लोग 26 नवंबर 2008 के शिकार हुए। उस दिन केवल दस आतंकवादियांे ने ताज और ओबराॅय होटल तथा वी.टी. स्टेशन पर मौत का तांडव मचा दिया। तब दो दिन तक सारा देश जीवन और मौत के बीच झूलता सा अनुभव करता रहा। इस आतंकवाद ने सारे विश्व को झकझोंर दिया था। वे जीवन की बाजी हार गए। उनके संघर्ष की वह घड़ी ऐसी थी अब जीवन और मृत्यु के बीच केवल एक कदम का फासला था। कई लोग लोग जीवन पाने में सफल रहे तो कई जीवन की बाजी हार गए।

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