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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Bharat me Nirvachan Prakriya ”, ”भारत में निर्वाचन प्रक्रिया” Complete Hindi Nibandh for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation Classes

भारत में निर्वाचन प्रक्रिया

Bharat me Nirvachan Prakriya 

 

संयुक्त राज्य अमेरिका तथा इंग्लैण्ड की भांति, भारत भी ‘अप्रत्यक्ष प्रजातन्त्र’ है। यहां प्रशासनिक मामलों का निर्णय करने तथा प्रशासन को चलाने की सम्पूर्ण शक्ति लोगों/नागरिकों के पास है और जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशासन चलाती है। यहां एक समय की निश्चित अवधि के उपरान्त चुनाव होते रहते है। एक निर्धारित आयु-सीमा से ऊपर वाले सभी व्यक्तियों को बिना किसी जाति, मत, रंग, लिंग या आर्थिक स्तर के भेद-भाव के नागरिक समझा जाता है। प्रत्येक नागरिक को मत देने का अधिकार है। एक नागरिक एक मत’ के सिद्धान्त के अनसार, प्रजातांत्रिक शासन प्रणाली के अन्तर्गत, प्रत्येक नागरिक को एक मत देने का अधिकार प्राप्त है। शर्त यह है कि वह पागल या दीवालिया न हो तथा कानुन दारा मत देने के अयोग्य ठहरा कर मत देने के अधिकार से वंचित न कर दिया गया हो।

जनता गुप्त रूप से बिना किसी भय या दबाब के मतदान करके अपने मनचाहे प्रत्याशियों का चयन करती है। मतदाता बिना किसी दबाब के अपने मनचाहे प्रत्याशी के पक्ष में गुप्त मतदान पत्र द्वारा मत देता है। प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों को यह निश्चित रूप से पता नहीं लग पाता है कि कौनसे नागरिक ने उनके पक्ष या विपक्ष में मत दिया है। ‘सामान्य बहुमत’ के अन्तर्गत जो प्रत्याशी सर्वाधिक मत प्राप्त करता है वह निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है चाहे उसे बहु-संख्यक जनता ने अस्वीकृत कर दिया हो और उसका विरोध भी किया हो।

  1. निर्वाचन आयोगः यह एक तीन-सदस्यीय आयोग है जिसमें सभी सदस्यों को मुख्य निर्वाचन आयुक्त के बराबर अधिकार प्राप्त हैं। सरकारी नियन्त्रण से मुक्त होने के कारण यह निष्पक्ष भाव से चुनावों का प्रबन्ध करता है। यह निर्वाचन की सम्पूर्ण योजनां को निश्चित करता है। यह चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को चुनाव-चिन्ह प्रदान करता है। यह मतदाता सूचियों की प्रतिलिपियां तैयार करता है और मतदान केन्द्रों की स्थापना करता है। यह पोलिंग-पार्टी, पोलिंग-एजेंटों, मतदाताओं तथा अन्य कार्यकर्ताओं की सुरक्षा का प्रबन्ध भी करता है।

  1. प्रत्याशीः भारतीय लोकतन्त्र में कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है चाहे वह किसी राजनीतिक दल का प्रत्याशी हो या स्वतन्त्र प्रत्याशी। उसमें वांछित योग्यता होनी चाहिए तथा उसका नाम मतदाता सूची में शामिल होना चाहिए। वह पागल या दीवालिया नहीं होना चाहिए।

  1. नामांकनः सर्वप्रथम एक निश्चित संख्या में मतदाता, प्रत्याशी का नाम प्रस्तुत करते हैं और उसे अनुमोदित करते हैं। फिर प्रत्याशी को नामांकन-पत्र भरने पड़ते हैं और वे व्यक्तिगत रूप से निर्धारित समय की अवधि के भीतर जमा करने पड़ते हैं।

  1. नामांकन-पत्र वापिस लेनाः जो प्रत्याशी अपना नामांकन-पत्र वापिस लेना चाहें वे निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर ऐसा कर सकते हैं।

  1. चुनाव-चिन्हः यदि प्रत्याशी चुनाव लड़ने के योग्य पाया जाता है तो चुनाव आयोग उसे एक चुनाव-चिन्ह दे देता है। यदि कोई प्रत्याशी किसी मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लड़ना चाहता है तो प्रायः निर्वाचन आयोग उसे सम्बन्धित राजनीतिक दल का चुनाव चिन्ह ही प्रदान करता है।

  1. चुनाव अभियानः चुनाव-प्रचार तथा चुनाव अभियान के समय की अवधि को सुरक्षा के दृष्टिकोण से 20 दिन के स्थान पर घटाकर 14 दिन कर दिया गया है। चुनाव-प्रचार को कानूनी तौर पर कम से कम 48 घन्टे पूर्व स्थगित करना पड़ता है।

  1. चुनाव को स्थगित करनाः देश के कई भागों में आतंकवाद तथा हिंसात्मक गतिविधियों के बढ़ने के कारण तथा निर्वाचन-प्रक्रिया में आने वाले विघ्नों का पूर्वानुमान लगाते हुए निर्दलीय प्रत्याशी की मृत्यु हो जाने के कारण चुनाव स्थगित नहीं हुआ करेंगे। इस सम्बन्ध में संसद में एक बिल पास कर दिया गया है।

  1. चुनाव घोषणा-पत्र तथा विज्ञापनः चुनाव घोषणा-पत्र छपे हुए ऐसे इश्तहार या प्रपत्र होते हैं जिनमें मतदाताओं को धोखा देने तथा उनकी आकांक्षाओं, भावनाओं तथा रुचियों का शोषण करने हेतु किसी राजनीतिक दल या प्रत्याशी की कार्य-विधि, उद्देश्य, सारहीन प्रतिज्ञाओं तथा योजनाओं को विस्तृत रूप में प्रदर्शित किया जाता है।

  1. आचार-संहिताः चुनाव आयोग ने एक आचार-संहिता बनाई है जिसका पालन सभी उमीदवारों, उसके समर्थकों तथा मतदाताओं को करना पड़ता है।

  1. मतदानः मतदाताओं को पहचान पत्र मिल चुके हैं। उन्हीं के आधार पर पोलिंग-एजेन्ट, मतदान वाले दिन मतदाताओं की पहचान करते हैं और उन्हें मतदान केन्द्रों पर मतदान-पत्र मिलता है। मतदाता, गुप्त मतदान कोठरी में जाकर अपने मनचाहे उम्मीदवार के नाम व चुनाव-चिन्ह के सामने मोहर लगा देते हैं। वे प्रीजाईडिंग अफसर के सामने मतदान-पत्र को मोड़कर मतदान पेटी में डाल देते हैं। पोलिंग पार्टी, पोलिंग एजेन्टों की उपस्थिति में मतदान पेटियों को सील लगा कर सुरक्षित बंद कर देती है और गिनती के लिए उन्हें निर्वाचन कमिश्नर के कार्यालय में भेज देती है।

11. गिनतीः मतदान पेटियों की मोहर तोड़ दी जाती है और गिनती करने वाली पार्टी उम्मीदवारों या उनके एजेन्टों की उपस्थिति में मतों की गिनती करती है। निर्वाचन अधिकारी उस उम्मीदवार को जीता हुआ घोषित कर देता है जिसने अन्य उम्मीदवारों से अधिक मत प्राप्त किए हैं। तब उन्हें शपथ दिलाई जाती है और वे अपना पद ग्रहण

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