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Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Bharat ka Ateet aur Bhavishya”, “भारत का अतीत और भविष्य” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

भारत का अतीत और भविष्य

Bharat ka Ateet aur Bhavishya

 

                भारत अत्यन्त प्राचीन देश है। इसका अतीत अत्यंत गौरवाशाली है। भारत की सभ्यता और संस्कृति विश्व में प्राचीनतम है। हमें इस पर गर्व है।

                भारत देश हमारे लिए स्वर्ग के समान सुंदर है। इसने हमें जन्म दिया। इसके अन्न-जल से हमारा पालन-पोषण हुआ। इस देश का नाम भारतवर्ष है। आधुनिक भारत उतर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में असम से लेकर पश्चिम में गुजरात तक फैला हुआ है। उत्तर में हिमालय का पर्वत भारतमाता के समान सुशोभित है तथा दक्षिण में हिन्द महासागर इसके चरणों को निरंतर धोता है।

                भारत में प्रायः सभी धर्मों के लोग परस्पर मिलकर रहते हैं। यहाँ सभी धर्मावलंबियों को अपनी-अपनी उपासना पद्वति तथा सामाजिक व्यवस्था का अनुसरण करने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है। भारत का आदर्श वाक्य ’वसुधैव कुटुम्बकम् है, जिसका अर्थ है-सारा संसार एक कुटंुब के समान है।

                प्राकृतिक सुंदरता की दृष्टि से भारत एक अद्भुत देश है। यहाँ हिमालय का पर्वतीय प्रदेश है, गंगा-यमुना का समतल मैदान है, पर्वत एवं समतल मिश्रित दक्षिण पठार है, राजस्थान का रेगिस्तान है। इस प्रकार विभिन्न प्रकार के भूमि-भाग यहाँ विद्यमान हैं और विभिन्न प्रकार की जलवायु यहाँ पाई जाती है। यही एक देश है, जहाँ समय-समय पर छः ऋतुएँ आती हैं और अपनी-अपनी विशेषताओं से इस देश को अनुगृहीत करती हैं।

                भारत मे पर्वत, निर्झर, नदियाँ, वन-उपवन, हरे-भरे मैदान, रमणीय समुद्र-तट इस देश के विविध प्रकार की शोभा के अंग हैं। धरती का स्वर्ग एक ओर कश्मीर में दिखाई देता है, तो दूसरी ओर केरल में। संसार का सबसे ऊँचा पर्वत माउण्ट एवरेस्ट भारत में है। यहाँ अनेक नदियाँ हैं, जिनमें सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब, गंगा, यमुना, ब्रहापुत्र, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा आदि प्रमुख हैं।

                भारत एक अत्यन्त प्राचीन देश है। यहाँ अनेक महापुरूष हो चुके हैं, जिन्होंने मानव को संस्कृति का पाठ पढ़ाया, यहाँ ऋषि हुए, जिन्होंने वेदों का गान किया। राम हुए, जिन्होंने न्यायपूर्ण शासन का आदर्श स्थापित किया। कृष्ण हुए, जिन्होंने गीता का गान करके कर्म का पाठ पढ़ाया।

                भारत का भविष्य भी अत्यंत उज्जवल है। इस समय भारत इक्कीसवीं सदी में चल रहा है। इस सदी में भारत का भविष्य सुनहरा होगा।

                इक्कीसवीं सदी भारत के लिए उपलब्धियों से भरी होगी। इस सदी में कम्प्यूटर के प्रयोग का बाहुल्य होगा। कप्यूटर मशीनी मस्तिषक का स्थान लेगा। कम्प्यूटर चुनाव-विश्लेषण, राजनैतिक सूचनाओं का एकत्रीकरण एवं विश्लेषण एवं सरकारी कार्यालयों का काम करने के मंे महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगा। कई आलोचकों ने यह संभावना व्यक्त की है कि इससे बेरोजगारी की समस्या और भी विकराल रूप धारण कर लेगी। सरकार की योजना यह है कि मानव शक्ति का उपयोग दूसरे क्षेत्रों में किया जाएगा, अतः यह आशंका निर्मूल सिद्व होगी।

                भारत इस समय गरीबी की समस्या से उलझा हुआ है। यह गत 40-50 वर्ष से इस समस्या से मक्त होने का प्रयास कर रहा है। आर्थिक स्वतन्त्रता पाना भारत का एक लक्ष्य रहा है। भारत सरकार एक सुनियोजित ढंग से अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में प्रयत्नशील है। आशा की जाती है कि 21वीं शताब्दी में गरीबी का अभिशाप हम से विदा ले चुका होगा। प्रत्येक देशवासी को रोजगार, वस्त्र, भोजन एवं आवास जुटाने का लक्ष्य पूरा होते ही गरीबी छमंतर हो जाएगी। इक्कीसवीं सदी में सभी भारतवासियों के सुखी जीवन की कल्पना की जा रही है।

                भारत सरकार शिक्षा-पद्वति में मूलभूत परिवर्तन करने का प्रयास कर रही है। ’नई शिक्षा नीति’ लागू करने की तैयारियाँ जोर-शोर से की जा रही हैं। नवोदय विद्यालयों की जो स्थापना अब की जा रही है उनका सुखद परिणाम तो इक्कीसवीं सदी के प्रारम्भ में मिलना शुरू हो गया है। इन विद्यार्थियों से प्रतिभावन छात्र देश की काया पलटने में पूर्णतः समर्थ होंगे। तब तक भारत में निरक्षरता का नामोनिशान भी मिट चुका होगा। उस सदीं में सभी मानव शिक्षित होंगे। इस दिशा में पर्याप्त कार्य किया जाएगा, ऐसी हम सबको पूर्ण आशा है।

                भारत में औद्योगिक विकास की दर भी अभी तक कम है। इस दिशा में प्रयत्न जारी है। इक्कीसवीं सदी के आगमन के समय हमारे उद्योग पूरी गति के साथ उत्पादन कर सकेंगे। उद्योगों की नई इकाईयाँ स्थापित की जा रही हैं। आशा की जाती है कि 21वीं सदी में उद्योगों का जाल बिछ जाएगा और हम विश्व-बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे।

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