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Hindi Essay/Paragraph/Speech on “Arthur Schopenhauer” , ”शोपेनहावर” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

शोपेनहावर

Arthur Schopenhauer

 

जर्मनी : विख्यात दार्शनिक और भारतविद्

जन्म : 1788 मृत्यु: 1860

 

आर्थर शोपेनहावर महान जर्मन दार्शनिक थे। उनका विचार था कि यह ब्रह्मांड इच्छा शक्ति की एक बाह्य अनभूति है। हम अपनी मान्यताओं अथवा सिद्धांतों के अनुरूप कल्पना के बाद कार्य नहीं करते। हम जो कार्य करने की इच्छा करते हैं, उसे करते है। हम कार्य की इच्छा रखने वाले प्राणी हैं और जो काम कर लेते हैं, कई बार उसे करने का कारण बाद में ढूंढ़ते हैं। इसी ढंग को दार्शनिकों ने बुद्धिसंगत माना है। उन्होंने बुद्धिवाद और ब्रह्मवाद की कठिन विचार पद्धति से निराशावाद का परिणाम निकाला। इसीलिए उन्हें प्रसिद्धि प्राप्त हुई। उन्होंने लोगों को एक सत्य से परिचित कराया और वह एक निर्भीक एवं मौलिक विचारक के रूप में प्रतिष्ठित हुए। उनके विचार समाज की कई मान्यताओं एवं परंपराओं के विरोधी थे। वह चाहते थे कि समाज का अपना अलग और आदर्श चरित्र हो, किंतु समाज उनकी नैतिक उच्चता की स्थिति को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं था। अपने संघर्ष के दिनों में ही वह महाकवि गेटे के संपर्क में आए। गेटे ने न केवल उनकी प्रशंसा की, बल्कि बौद्धिक वर्ग को उनके सिद्धांतों की जानकारी भी दी।

उन्होंने भारतीय एवं बौद्ध ग्रंथों का अध्ययन किया। इसका प्रभाव यह हुआ कि वह भारत के अध्यात्म और दर्शन के काफी करीब आ गए। वर्षों के श्रम के बाद उन्होंने ‘द वर्ल्ड ऐज विल एंड आइडिया’ नामक ग्रंथ की रचना की। इस विख्यात ग्रंथ ने उन्हें जहां जर्मनी की युवा पीढ़ी का हीरो बना दिया, वहीं सारा यूरोप भी उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखने लगा।

आर्थर शोपेनहावर का जन्म 22 फरवरी, 1788 को डांजिग (जर्मनी) में हुआ था। उनके पिता व्यापारी एवं मां उपन्यासकार थीं। जब शोपेन सत्रह वर्ष के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। उसके बाद उन्हें आजीवन उपेक्षा और पीड़ा के दौर के गुजरना पड़ा। अपनी मां से उनके संबंध तनावपूर्ण रहे। वह एकांतप्रिय थे। वह प्रायः अपने लेखन और चिंतन मे डबे रहते। कैथरीन सहित कई अन्य युवतियों से उनके प्रेम संबंध रहे। फिर भी वह आजीवन अविवाहित रहे। 21 दिसंबर, 1860 को एक रेस्तरां में उनकी मृत्यु हुई।

अपनी मृत्यु के समय तक शोपेन ‘चिंतन’ का एक अध्याय बन चुके थे। उनके विचार लोगों में काफी चर्चित हो गए थे, जिनका प्रभाव आज भी विभिन्न दार्शनिक दृष्टिकोणों पर देखा जा सकता है।

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