Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Gurgapuja/Dussehra/Vijaydashmi”, “दुर्गापूजा/दशहरा/विजयदशमी” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
दुर्गापूजा/दशहरा/विजयदशमी
Gurgapuja/Dussehra/Vijaydashmi
दुर्गापूजा को दशहरा या विजयदशमी भी कहते हैं। यह हिंदुओं का एक महत्त्वपूर्ण पर्व है। इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। दुर्गा शक्ति की देवी है। इस अवसर पर हम दुर्गा के रूप में शक्ति की उपासना करते हैं। शरद् ऋतु के शुभागमन के साथ दुर्गा की पूजा प्रारंभ की जाती है। यह पूजा नौ दिनों तक होती है। सप्तमी से नवमी तक तीन दिन दुर्गा की पूजा विशेष धूमधाम से होती है।
कहा जाता है महिषासुर नामक एक अत्याचारी राक्षस था। वह बहुत ही दुष्ट और बलवान था। देवता लोग उसका सामना करने में अक्षम थे। तब देवताओं ने अपनी शक्ति एकत्र की। देवताओं की एकत्रित शक्ति से शक्तिरूपा दुर्गा उत्पन्न हुई। दुर्गा सिंह पर सवार थी। उन्होंने अत्याचारी महिषासुर का वध किया। राक्षस के उत्पात से लोगों को मुक्ति मिली। उसी दिन की याद में दुर्गापूजा प्रतिवर्ष होने लगी।
यह भी कहा जाता है कि विजयदशमी के दिन श्रीराम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। उसी याद में हम यह पर्व मनाते हैं। बड़े नगरों में इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के बड़े-बड़े पुतले जलाए जाते हैं। दिल्ली, वाराणसी आदि नगरों में रामलीला का आयोजन होता है। आश्विन महीने के शुक्लपक्ष के प्रतिपक्ष से दुर्गापूजा शुरू हो जाती है। पूजा कभी नौ दिनों, कभी दस दिनों तक और कभी ग्यारह दिनों तक होती है।
एक लंबे समय तक लोग प्रतिवर्ष इस पर्व की प्रतीक्षा करते हैं। सभी लोग बड़ी श्रद्धा और भक्ति से दुर्गामाता की पूजा करते हैं। सप्तमी के दिन दुर्गा की प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है। जिन स्थानों पर भी दुर्गामाता की पूजा की जाती है वहाँ मेले लगते हैं। लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर मेला देखने जाते हैं और बहुत खुश होते हैं। विजयदशमी के दिन दुर्गा की प्रतिमा को नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है।
विजयदशमी अनीति पर नीति की, असत्य पर सत्य की, जीत का प्रतीक है। नारी की महाशक्ति को भी दुर्गा के रूप में हम मान्यता देते हैं।