Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Anushasan”, “अनुशासन” Complete Essay for Class 9, 10, 12 Students.
अनुशासन
Anushasan
अर्थ-नियमानुकूल आचरण अनुशासन है। ये नियम परिवार, समाज और राष्ट्र के साथ स्वयं को मर्यादित रखने के लिए होते हैं। श्रेष्ठजनों ने इसके लिए नियम बनाए हैं। देश और काल के अनुसार उनमें परिवर्तन आते रहते हैं, किंतु वे सभी देश और समय के अनुकूल होते हैं। अनुशासन की शुरुआत वस्तुतः अपने प्रशासन से होती है।
क्षेत्र और महत्त्व-संयमपूर्वक जीवन-यापन ही अपने पर शासन है। हमारे ऋषि-मुनियों ने इसके लिए कुछ नियम बनाए हैं। इन्हें अपने जीवन में उतारकर हम अपने व्यक्तित्व को निखार सकते हैं। विकसित कर सकते हैं। सुबह उठकर ईश्वर का ध्यान, समय पर जागना, सोना, पढ़ना, खेलना अर्थात् समय पर सब कुछ करना अपने को अनुशासित रखने के ढंग हैं। अपने से बड़ों के प्रति विनीत रहना, माता-पिता की आज्ञा का पालन करना, पारिवारिक कार्यों में स्वेच्छा से हाथ बँटाना अपने से छोटे को प्यार करना ये सभी परिवार संबंधी मर्यादाएँ हैं।
मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज का सही संचालन तभी हो सकता है। जब हमारे बात-व्यवहार एक-दूसरे के सुख-दुख के अनुरूप होते हैं। इसके लिए अपने को बाँधना पड़ता है और अपने स्वार्थ का परित्याग करना होता है।
राष्ट्र का तो विकास ही अनुशासन पर निर्भर है। यदि सैनिक सुरक्षा के लिए सदा सतर्क न रहें, सरकारी सेवक समय पर कार्यों को नहीं निपटाए, शिक्षक ज्ञान को विद्यार्थियों में बाँटे नहीं, छात्र विद्याध्ययन से जी चुराएँ, किसान अन्न नहीं उपजाए तो देश कहाँ रहेगा? प्रत्येक क्षेत्र के व्यक्ति के लिए कायदे-कानून बनाए गए हैं। हम इन पर चलकर देश को आगे बढ़ा सकते हैं।
उपसंहार-हम बच्चों के ऊपर ही कल देश को चलाने का भार होगा। इसलिए ज़रूरी है कि हम शुरू से ही अनुशासन को जीवन में अपनाकर चलें। इससे हम अनुशासित जीवन जीने के आदी हो जाएँगे और अपने देश-समाज को दुनिया में प्रतिष्ठा दिला सकेंगे। हमें याद रखना चाहिए कि अनुशासित राष्ट्र ही सफलता की ऊँचाई छू सकता है। क्योंकि राष्ट्र के अनुशासित नागरिक सदैव सफलता प्राप्त करते हैं।