Hindi Essay-Paragraph on “Kutir Udyog ka Mahatva” “कुटीर उद्योग का महत्त्व” 500 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.
कुटीर उद्योग का महत्त्व
Kutir Udyog ka Mahatva
वैसे छोटे-बड़े उद्योग-धंधे, जिनमें मशीन और पूंजी की प्रधानता न होकर नाम की प्रधानता होती है-कुटीर उद्योग कहलाता है। इसके लिए बड़ी पूंजी बड़े भूखंड एवं बड़े बाजार की आवश्यकता नहीं होती है, एक परिवार या पास-पड़ोस के लोग भी मिलकर इसे घर में ही चला सकते हैं।
किसी देश की आर्थिक संपन्नता और खुशहाली में कुटीर उद्योगों का विशेष योगदान रहता है। आज जापान एशियाई देशों में सबसे खुशहाल है। जापान के बारे में कहा जाता है कि वहां का छोटा-सा घर भी एक लघु उद्योग का केंद्र है। हमारी पुरानी सामाजिक व्यवस्था में भी लघु उद्योगों का बड़ा महत्त्व था। कृषि के अतिरिक्त ग्रामीण जनता छोटे-छोटे उद्योगों में लगी हुई थी। मोची, जूता, बढ़ई, लड़की के सामान, कुम्हार मिट्टी के बर्तन, तेली कोल्हू से तेल तैयार करता था। गांवों की औरतें छोटे कामों से जीविका चलाती थीं। इस तरह गांव के विभिन्न वर्ग के उत्पादनों में लगे रहते थे। वे एक-दूसरे की आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे। फलतः हमारे पुराने समय के गांव स्वावलंबी और सुखी थे। कुटीर उद्योगों के महत्त्व को देखकर ही गांधीजी ने कहा था- “कोई देश लघु एवं कुटीर उद्योगों को अनदेखा कर विकास नहीं कर सकता है, खासकर भारत जैसा विकासशील एवं गांवों को देश।”
वर्तमान युग मशीन का हो गया है। अब लोग मोची से जूते बनवाने के स्थान पर बड़ी-बड़ी कंपनियों के जूते पसंद करते हैं। कोल्हू के तेल के स्थान पर मिलों के तेल पसंद करते हैं। खादी कपड़ों के स्थान पर सिंथेटिक कपड़े पहनना पसंद करते हैं। लोगों की इस प्रवृत्ति ने कुटीर उद्योगों के महत्त्व को कम किया है। बड़ी-बड़ी मशीनों के शोर और उससे निकले कचरे पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या को खड़े कर रहे हैं। अतएव गांधीजी ने कहा था- “मशीनों को काम देने के पहले आदमी को काम दो। कुटीर उद्योगों की स्थापना से कई समस्याओं का निदान संभव है जिनमें सबसे बड़ी समस्या रोजगार की समस्या हल होगी।”
बेरोजगारों को काम देने के लिए कटीर उद्योग बहत कारगर उपाय है। घरघर में कुटीर उद्योगों का जाल बिछाना चाहिए। ऐसे कई कुटीर उद्योग हैं जो हजारों-लाखों हाथों को काम दे सकते हैं, यथा-मधुमक्खी पालन, चमड़ा-उद्योग, डेयरी फार्म, हस्तकरघा उद्योग, लड़की एवं मिट्टी के खिलौने, मोमबत्ती उद्योग, जैली उद्योग, पत्तल, टोकरी एवं मुर्गी पालन, मछली पालन आदि भी महत्त्वपूर्ण कुटीर उद्योग हैं। इन कुटीर उद्योगों की सफलता के लिए सरकार का सहयोग अपेक्षित है। सरकार को चाहिए कि इन उद्योगों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करे। कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराए, कच्चा माल एवं उत्पादित वस्तुओं की बिक्री हेतु बाजार उपलब्ध कराए। इन सबके अलावा सरकार को इन कुटीर उद्योगों को संख्या पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।
आज भारत की विशाल जनसंख्या बेकारी से जूझ रही है। अतः कम पूंजी पर आधारित उद्योग स्वरोजगार को बढ़ावा देगी तथा बेरोजगारी एवं निर्धनता को दूर कर सकेगी। भूतपूर्व राष्ट्रपति वी.बी. गिरि के अनुसार- “भारत के प्रत्येक घर में कुटीर उद्योग और प्रत्येक एकड़ जमीन को चारागाह बनाकर बेकारी दूर किया जा सकता है।