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Hindi Essay-Paragraph on “Kala Dhan ki Samasya ” “काला धन की समस्या” 700 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Subjective Examination.

काला धन की समस्या

Kala Dhan ki Samasya 

जिस रुपये को हम काला धन कहते हैं, उसकी आत्मा तथा मन काला है। काला धन वह है, जिसे सरकारी टैक्स की अदायगी से बचने के लिए अत्यंत गुप्त एवं गोपनीय बनाकर रखा जाता है, जिसे विधिवत लिखित रूप में लिपिबद्ध नहीं किया जाता है। देश की राजव्यवस्था और अर्थव्यवस्था के लिए काला धन कैंसर के समान है। यदि इसे ठीक नहीं किया गया तो, यह देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर देगी।

हमारे आज के जीवन में और हमारे आर्थिक व्यापार में उसका कितना बड़ा हाथ है। इसके तरह-तरह के अनुमान लगाए जाते हैं। एक अर्थशास्त्री के अनुसार हमारा आधा व्यापार काले धन से ही चलता है। हमारे आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक जीवन पर इस काले धन का बड़ा ही अनिष्टकारी प्रभाव पड़ता है। सबसे भयानक दुष्परिणाम यह है कि इसके कारण सरकार की तमाम नीतियां निष्फल होती जा रही हैं।

सफेद धन कमाने से उसका कुछ बड़ा भाग कर के रूप में दिया जाता है। सफेद धन को परिश्रम से कमाया जाता है। उसका अधिकांश भाग करों और आज के बढ़े हुए मूल्यों के कारण हाथ से निकल जाता है। इसके विपरीत काला धन आसानी से कमाया जाता है। इसे आसानी से छिपा लिया जाता है और उस पर कर लेने का प्रश्न ही नहीं उठता। काले धन से अभिप्राय उस धन से होता है जो कि सरकारी टैक्स से बचने हेतु बिना लिखा-पढ़ी किए हुए छिपाकर तथा गोपनीय रखा जाता है। चाहे चल संपत्ति हो या अचल, सबके ऊपर काले धन की छाया मंडरा रही हैं। काला धन व्यक्ति तक ही सीमित रहता है। तब इसका उपयोग सीमित हो जाता है। काले धन से एक और अनिष्टकारी प्रभाव पड़ रहा है। समाज का अधिकांश आर्थिक कारोबार सरकार की आंखों से छिपाकर किया जा रहा है। हमारा सामाजिक जीवन भी इस काले धन से खोखला हो जाता है। जिन सामाजिक गुणों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए, वे गुण नष्ट होते जा रहे हैं। जिन असामाजिक तत्त्वों की रोकथाम होनी चाहिए, उनका दिन दूना, रात चौगुना विकास हो रहा है। हमारे देश भारत में प्रत्येक साल करोड़ों-अरबों रुपये की विदेशी मुद्रा की चोरी हो जाती है। इस काले धन के कारण धन संचय समिति मानवों के हाथ में हो जाता है। काला धन का संचय केवल मात्र धनिक वर्ग तक सीमित रहता है। क्योंकि निर्धन वर्ग तो कठोर श्रम करने के पश्चात् भी बड़ी कठिनाई से अपनी उदर पूर्ति कर पाता है।

काला धन के चंगुल से देश को मुक्त कराने के लिए सरकार द्वारा युद्ध स्तर पर कार्यवाही नितांत आवश्यक है। काला धन पर रोक लगाने के लिए अब तक सरकार द्वारा जो कदम उठाए गए हैं वे इस प्रकार हैं-

  1. बांचू समिति के दिए उपायों को सरकार क्रियांवित कर रही है।
  2. पारिवारिक उत्सवों पर खर्च किए जा रहे धन पर रोक लगा दी गई है।
  3. सरकार धनपतियों या संदिग्धों के ऊपर छापामारी भी करने का कार्य करती
  4. विधेयक पास कर कानून बनाई है, जो करों की चोरी की रोक लगाएगी।
  5. शहरी भूमि की सीमा का निर्धारण कर भवनों के निर्माण पर अंकुश लगाया गया है।
  6. बेयता तथा बेनाम संपत्ति पर अधिकार स्थापित करने के लिए किसी भी न्यायालय में मुकदमा आरोपित नहीं किया जा सकता है।
  7. सरकार से ऐसा अध्यादेश पारित किया है, जिसमें इस बात का प्रावधान है कि कोई व्यक्ति आय एवं संपत्ति की अपनी इच्छा से घोषणा करेगा, तो उसे ब्रांड खरीदने का अधिकार प्रदान किया जाएगा।
  8. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति अपनी इच्छा से काले धन की सूचना सरकार को निश्चित अवधि तक दे देगी, तो काला धन की रकम 60 प्रतिशत तो सरकार ग्रहण कर लेगी।

आर्थिक क्षेत्र में शिथिलता ही काला धन को प्रोत्साहन और प्रश्रय देने वाली होती है। अतः यह आवश्यक है कि सरकार या तो आर्थिक नियमों को क्रियांवित करने में जल्दबाजी से कदम न उठाए और यदि कदम उठा ले, तो पुनः उस पर दृढ़ता से आरूढ़ हो जाए तथा उसकी अवहेलना करने वाले को आर्थिक तथा शारीरिक दंड देने के लिए भी पूर्ण रूपेण सजग तथा तत्पर रहे।

काला धन को रोकने का एक ठोस उपाय यह भी है कि सरकार द्वारा सीमा से अधिक स्वर्ण रखने को अवैध घोषित करने पर ही काला धन पर अंकुश लगाया जा सकता है। काला धन जहां एक ओर बहुसंख्य नागरिक को आर्थिक तंगी का शिकार बनाया हुआ है, वहीं अल्पसंख्यक नागरिक कुबेर बन रहे हैं। अतः हमें इस समस्या का शीघ्र ही निदान करना चाहिए। भारत सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है और वह दिन दूर नहीं, जब इस पर प्रतिबंध लगेगा और तथाकथितों के चेहरे सामने उजागर होंगे।

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