Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay-Paragraph on “Hamare Pratham Rashtrapati ” “हमारे प्रथम राष्ट्रपति” 400 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.

Hindi Essay-Paragraph on “Hamare Pratham Rashtrapati ” “हमारे प्रथम राष्ट्रपति” 400 words Complete Essay for Students of Class 10-12 and Competitive Examination.

हमारे प्रथम राष्ट्रपति

Hamare Pratham Rashtrapati 

 

बिहार अनेक महापुरुषों की जन्मस्थली रही है। यहां अशोक, चाणक्य, चंद्रगुप्त जैसी महान विभूतियां का आविर्भाव हो चुका है। इन्हीं महापुरुषों की श्रेणी में देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद हैं। ये बचपन से ही प्रतिभा के धनी थे। जिस समय बिहार, बंगाल और उड़ीसा राज्यों की प्रवेशिका परीक्षा एक साथ होती थी, उस प्रवेशिका की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किए। उनकी उत्तर पुस्तिका पर एक परीक्षक ने लिखा था-“परीक्षार्थी परीक्षांक से अधिक योग्य है।” यह टिप्पणी आज तक किसी भी परीक्षार्थी के लिए चुनौती है। स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र बाबू बचपन से ही प्रतिभाशाली थे। ऐसी महान् विभूति पर निश्चय ही बिहार को गर्व है।

इस महान विभूति का जन्म बिहार प्रांत के सारण जिले के अंतर्गत जीरादेई नामक गांव में 3 दिसंबर, 1864 ई. में हुआ। राजेंद्र बाबू का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। इनके घर में आर्थिक तंगी रहती थी। अतः राजेंद्र बाबू का लालनपालन आर्थिक तंगी में हुआ। ये प्रत्येक परीक्षा में प्रथम आते रहे। एम.एल. पास करने के बाद इन्होंने वकालत प्रारंभ की। इनकी वकालत खूब चलने लगी। परिवार वाले खुश थे, क्योंकि इनकी आर्थिक तंगी धीरे-धीरे दूर होने लगी थी। लेकिन राजेंद्र – बाबू से गुलाम भारतीयों का कष्ट न देखा गया। परिवार के कष्ट से गुलाम भारतीयों का कष्ट अधिक दुखदायी जान पड़ा। अतः वे वकालत छोड़कर गांधीजी के अनुयायी बन गए। सन् 1917 ई. के चंपारण आंदोलन में उन्होंने गांधीजी का पूरा सहयोग किया। तभी से उन्हें बिहार का गांधी कहा जाने लगा। आंदोलन के दौरान कई बार जेल भी जाना पड़ा। वहां इन्हें शारीरिक यातनाएं भी दी गई। फलतः राजेंद्र बाबू कमजोर होकर रोग ग्रस्त रहने लगे। तब भी उन्होंने अपना संघर्ष नहीं छोड़ा।

स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात् इन्हें संविधान निर्मात्री सभा का अध्यक्ष बनाया गया, वह पद काफी गरिमापयी पद था। इन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर इस पद का मान और बढ़ा दिया। बहुत ही कम समय में एक संविधान तैयार कर देश को समर्पित किया। यह संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी, 1950 को सर्व सम्मति से गणतंत्र भारत का राष्ट्रपति चुना गया। तब भी वे एक साधारण नागरिक की तरह ही राष्ट्रपति भवन में रहते थे। राष्ट्रपति का वेतन 10,000 रुपये था, परंतु वे मात्र 2800 रुपये में ही अपना काम चलाते थे। इस प्रकार राष्ट्रपति भवन में रहकर ये भाग-विलास से कोसों दूर थे।

राष्ट्रपति पद से अवकाश के बाद ये पटना के सदाकत आश्रम में रहने लगे। जहां 28 जनवरी, 1963 को इनकी मृत्यु हुई। इनकी मृत्यु पर बिहार ही नहीं, बल्कि पूरा देश रो पड़ा। इस महान सपूत को देशरत्न देकर अलंकृत किया गया। इन जीवन हमेशा प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *