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Hindi Essay on “Telephone ke Labh aur Haniya” , ” टेलीफोन – लाभ व हानियाँ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

टेलीफोन – लाभ व हानियाँ

आज के यान्त्रिक युग में मानव को सुख- सुविधा प्रदान करने वाले अनेक आविष्कारो में से टेलीफोन (दूरभाष) एक है | टेलीफोन के आविष्कार ने मानव के बीच दुरी को कम कर दिया है | इस यंत्र के माध्यम से हम कुछ ही क्षणों में विश्व के किसी भी कोने में बैठे हुए व्यक्ति या आत्मीय जन से सम्पर्क स्थापित कर सकते है | यह आज के मानव के लिए विज्ञान की अद्वितीय देन है | अब तो ऐसे टेलीफोन भी बन गए है जिनमे बोलने वाले का चित्र व उसके टेलीफोन का नम्बर भी दिखाई देता है |

इस अद्वितीय यन्त्र के अविष्कार का श्रेय प्रसिद्ध वैज्ञानिक ग्राहम बैल को जाता है | उन्होंने सन 1877 ई. में इसका अविष्कार करके मानव को आश्चर्यचकित कर दिया | यह तो अब व्यापारी वर्ग , राजनीतिज्ञ , समाजसेवी  और अन्य सभी वर्गो के लेर बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है | इससे हमे समय , धन तथा श्रम की बचत होती है | व्यापारी इसके माध्यम से देश-विदेश से व्यापार –जगत के भाव मालूम करके अपने व्यापार में वृद्धि कर लेता है | आपात स्थिति में तो यह बहुत काम आने वाला होता है | घर में रोगी की दशा चिंताजनक होने पर इसके माध्यम से तुरन्त डाक्टर को बुलाया जा सकता है | कही आग लगने पर 101 नम्बर डायल करके तुरन्त दमकले बुलायी जा सकती है | लड़ाई – झगड़े, चोरी-डाके आदि की घटना से निपटने के लिए 100 नम्बर डायल करके पुलिस की सहायता ली जा सकती है | यदि घर में टेलीफोन हो तो डायल घुमाते ही टैक्सी घर पर बुलाई जा सकती है | दूरस्थ स्थानों पर बसे मित्रो और सम्बन्धियों को संदेश देकर आने –जाने की असुविधा से बचा जा सकता है | इस प्रकार टेलीफोन हमारे लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है |

टेलीफोन का दूसरा पहलू भी है और वह है असुविधा पहुँचाने वाला | कई बार तो यह अनावश्यक परेशानी का कर्ण भी बन जाता है | ऐसा तब होता है जब पड़ोसी टेलीफोन का प्रयोग करना अपना अधिकार समझ लेता है | कई बार तो पड़ोसी आपके घर असमय में भी फोन करने आ जायेगे, जिससे आपको अनावश्यक परेशानी उठानी पडती है | कई बार तो पड़ोसी अपने मित्रो को आपने टेलीफोन का नम्बर दे देते है, परिणाम यह होता है की रात हो या दिन , किसी भी समय उन्हें बुलाने का झंझट और खड़ा हो जाता है | कई बार आप आराम कर रहे हो तथा अचानक टेलीफोन की घण्टी बज गई , आप दौडकर ड्राईग रूम में रिसीवर उठाने गए, तो पता चला कि वह गलत नम्बर है | उस समय बड़ी झुंझलाहट आती है कि यह बीमारी क्यों मोल ले ली ?

टेलीफोन उसके स्वामी के लिए तब वरदान बन सकता है जब वह आत्मीयता निभाने के बजाय कटुता से काम ले |

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