Hindi Essay on “Suno Sabki Karo Man Ki” , ”सुनो सबकी करो मन की” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
सुनो सबकी करो मन की
Suno Sabki Karo Man Ki
यह संसार का बड़ा विचित्र है। इस संसार के लोग दूसरों को हर बात में सलाह देने में सदा आगे रहते हैं, मानो इन्हें सभी क्षेत्रों में दक्षता प्राप्त हो। कई बार तो सलाह देने वालों की इतनी भीड़ एकत्रित हो जाती है कि कुछ भी निर्णय कर पाना कठिन हो जाता है। इस प्रकार की स्थिति में सभी की बात सुन तो लेनी चाहिए, पर करनी अपने मन की चाहिए। निर्णय करने की शक्ति सदा अपने हाथ में रखनी चाहिए। हमारा मन कोई व्यर्थ की वस्तु नहीं है, इसकी बात भी सुनी जानी चाहिए।
जब हम दूसरों की ही बात सुनते हैं तब हमारे आत्मविश्वास की कमी दिखार्द देती है। आत्मविश्वासी व्यक्ति सदा अपने मन की बात सुनता है। मन की बात सुनकर उसका शांत चित से विचार करना चाहिए फिर सही निर्णय लेना चाहिए। मन की बात सुनने से तात्पर्य है कि आपके मन में जो विचार उठें, उसे मानकर कार्य करें। इससे मन की दुविधा खत्म हो जाएगी।
संसार मे दूसरों को उपदेश देना बहुत आसान काम है इसके विपरीत उस काम को कार्य कुशलता के साथ कराना कठिन है। व्यक्ति उपदेश तो दे सकता है परन्तु उसी उपदेश का स्वयं पालन नहीं कर सकता। दूसरों को उपदेश देेने वालों की संख्या बहुत है परन्तु कर्तव्य का पालन करने वालों की संख्या बहुम कम है। किसी काम के लिए उपदेश देना बहुत सरल है परन्तु उसी काम को करना कठिन है-
कथनी मीठी खाँड सी, करनी विष की लोय।
उपदेश देना या कहना मीठी खाँड के समान है और किसी काम का करना विष के समान है। यदि हम उपदेश देने की बात छोड़कर कर्तव्य का पालन करें तो वही कथन अमृत के समान फलदायक हो जाएगी। आजकल संसार मे उपदेशकों की कमी नहीं है। धार्मिक उपदेशकों के उपदेशों से जनता का दूर रहना ही लाभकारी है। नेताओं के उपदेशों से जनता तंग आ चुकी है। विद्यालय में शिक्षक भी छात्रों को उपदेश देते रहते हैं, परन्तु इन सबकी कथनी और करनी में अंतर होता है। जब वही कार्य स्वयं को करना पड़ता है तो पता चलता है। व्यक्ति का आचरण और व्यवहार इतना शुद्व और सात्विक होना चाहिए कि उसका बोलना तो क्या मौन भी लोगों का जीवन बदल दें। इसी प्रकृति का व्यक्ति ही सच्चा उपदेश देने वाला हो सकता है।