Hindi Essay on “Sampradayikta” , ”साम्प्रदायिकता” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
साम्प्रदायिकता
अथवा
भारत में साम्प्रदायिकता
सम्प्रदाय से अभिप्राय एक ऐसा जन –समूह है जो एक भगवान या देवी- देवता – सम्बन्धी किसी एक ही प्रकार की पूजा – पद्धति पर विशवास रखता हो | उसका औपचारिक स्तर पर आचरण और व्यवहार भी एक जैसा ही हो | यह भी एक पौराणिक एव ऐतिहासिक तथ्य है कि आरम्भ से ही इस प्रथ्वी पर कई – कई सम्प्रदाय एक साथ अपने मतो का प्रचार- प्रसार करते रहे है तथा उनके अनुसार आचरण व्यवहार भी करते रहे है |
भारत में अनेक प्रकार के देवी – देवताओ को मान्यता प्राप्त होना, अनेक तीर्थ और पूजास्थल होना, तरह – तरह के मन्दिर और स्थान बनना , यहाँ तक कि वृक्षों, पर्वतों और नदियों तक को देवत्व का सा महत्त्व प्रदान किया जाना साम्प्रदायिक विभिन्नता एव विविधता का प्रत्यक्ष प्रमाण है | वैष्णव, शैव, शाक्त, वल्लभ राधावल्लभ आदि मध्यकालीन और प्राचीनतम कुछ प्रमुख सम्प्रदाय मने जाते है | आज भी भारत में तरह – तरह के सम्प्रदाय सक्रिय है और वे नित्य नए-नए स्वरूप बदलते रहते है | सभी के अपने – अपने अनन्त अनुयायी और सेवक-भक्त है | इतने सम्प्रदायों का होना कोई बुरी बात नही यदि वे किसी का कुछ बिगाड़ नही रहे हो | परन्तु कोई भी सम्प्रदाय या किसी तरह की साम्प्रदायिकता तब बुरी बन जाया करती है जब कि कोई सम्प्रदाय या व्यक्ति दुसरे सम्प्रदाय या व्यक्ति को भला – बुरा कहने और उपासना – पद्धति में गुण-दोष निकालने लगता है | ऐसी स्थिति में बहुधा भिन्न सम्प्रदाय के लोगो में सिर- फुटौवल हो जाया करती है |
आज भारत में बाहर से आए हुए धर्मो – जातियों के अनेक सम्प्रदाय मौजूद है | ऐसी स्थिति में साम्प्रदायिक सदभाव बना रह पाना वास्तव में कठिन कार्य है | आज साम्प्रदायिकता का भाव वास्तव में अपनी मूल अवधारणा से हट कर एक ऐसी विष की बेल बन चुका है जिस पर केवल विषफल ही उगा करता है | आज के मानव में यो भी सहनशीलता का अभाव – सा हो गया है | व्यक्ति हो या सम्प्रदाय सभी की महत्त्वाकांक्षाएँ भी बढ़ चुकी है | कुछ निहित स्वार्थी लोग थोथी और हींन सामुदायिक मनोवृत्तियो को हवा देते रहते है | ऐसी परिस्थिति में साम्प्रदायिक सदभाव बने रहना असम्भव- सा है |
आज भारत का वातावरण हर दृष्टि से भयावह एव विस्फोटक बन चुका है | कहाँ , कब, क्या हो जाए ,कोई कुछ नही कह सकता | ऐसे समय में सभी को विशेष सावधान रहना आवश्यक होता है | सभी सम्प्रदायों को यह सोचकर सतर्क रहना चाहिए कि जब इसी धरती पर रहना है तो किसी भी प्रकार से उन तत्वों के हाथ का खिलौनों न बने, जो देश की शान्ति भंग कर अपने निहित स्वार्थ को पूरा करना चाहते है | हमे यह भी ध्यान रखना चाहिए की देश सर्वोपरि है | यदि देश है तो हम और हमारे सम्प्रदाय होगे अन्यथा कुछ नही होगा |