Hindi Essay on “Niraksharta ke Dushparinam” , ”निरक्षरता के दुष्परिणाम” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
निरक्षरता के दुष्परिणाम
Niraksharta ke Dushparinam
निरक्षरता, अर्थात अक्षर तक का ज्ञान न होना, काला अक्षर भैंस बराबर होना या समझना। आज के ज्ञान-विज्ञान की चरम उन्नति वाले युग में भी किसी देश में शिक्षा का अभाव या निरक्षरता की स्थिति रहना वास्तव में बड़ी ही लज्जाजनक बात है। यों स्वतंत्र होने के बाद भारत में शिक्षा और साक्षरता का काफी प्रचार-प्रसार हुआ है, पर फिर भी संसार के विकसित ही नहीं. साथ स्वतंत्रता पाने वाले कई विकासोन्मुख देशों का तुलना में भी भारत में निरक्षरों एवं अनपढ़ों की संख्या काफी अधिक है। इसे खेद जनक ही कहा जाएगा।
निरक्षरता के अनेक प्रकार के दुष्परिणाम सामने आते रहते हैं। अक्सर निरक्षर लोग पढ़े-लिखे या अनपढ़ों से ही ठग लिए जाते हैं। ऐसे लोगों को एक पत्र तक लिखवाने-पढ़वाने के लिए या कोई फार्म आदि भरने भरवाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। बच्चों के सामने किसी फार्म पर अंगूठा लगा कर शर्मिन्दा होना पड़ता है। ऐसे लोग स्वयं समाचारपत्र आदि पढ़ कर संसार के बारे में कुछ भी नहीं जान पाते। इन्हें ज्यादातर सुनी- सुनाई बातों पर ही विश्वास करना पड़ता है। ये अफवाहों के शिकार आसानी से ही हो जाया करते हैं। निरक्षर लोग अपनी कोई बात, कोई समस्या तक खुल कर किसी के सामने नहीं रख पाते।
निरक्षर लोगों को कई बार कई तरह से आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है। मान लो उन्होंने कहीं मनीआर्डर भेजना है। हो सकता है जिस से मनीआर्डर फार्म भरवाया उसने अपने घर का पता उस पर लिख दिया हो, ऐसा कई बार कई लोगों के साथ घटित हो चुका है। ऐसा भी हुआ कि जब किसी निरक्षर को कुछ रुपये ऋण देकर चालाक देने वाले ने लिखा-पढ़ी के नाम पर अधिक रकम पर मकान या जमीन बेच देने पर रहन रख देने की लिखत पर अंगूठा लगवा लिया। फलस्वरूप निरक्षरता के कारण बाद में घर से बेघर और जमीन से बेदखल होकर रह जाना पड़ा। इसी प्रकार निरक्षरता से और भी कई प्रकार की हानियाँ होती या संभव हो सकती हैं।
स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि आखिर इस प्रकार की हानियों से कैसे बचा जा सकता है? इस प्रश्न का एक ही उत्तर है या हो सकता है। वह यह कि साक्षर बनकर अर्थात सामान्य ढंग से या सामान्य स्तर पर पढ़ना-लिखना सीख कर ही इस तरह की सभी हानियों से बचा जा सकता है हर व्यक्ति को अक्षरों का इतना ज्ञान तो होना ही चाहिए कि वह चिट्ठी और पत्री लिख सके या कम से कम वह सब तो पढ़ सके कि जहाँ अँगूठा लगा या दस्तखत कर रहा है। आज जब एक पैसे के लिए भी किसी का ईमान डोल सकता है, अपने घर-परिवार के हित की रक्षा के लिए निरक्षरता को भगाना बहुत ही आवश्यक है।