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Hindi Essay on “Nasha Nash Karta Hai”, “नशा नाश करता है” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

नशा नाश करता है

Nasha Nash Karta Hai

 

मानव परमात्मा की सर्वोत्तम रचना है। 84 लाख योनियों में से अनेक जन्मों पश्चात् दुर्लभ मनुष्य जीवन प्राप्त होता है। यहां जीवन परमार्थ, धर्मार्थ एवं पुण्य कर्म करने का आधार है परन्तु फिर भी कुछ नादान लोग इस बहुमूल्य मनुष्य जीवन को अनेक प्रकार के नशों द्वारा नष्ट कर डालते हैं तथा नशे मानव जीवन के लिए अभिशाप हैं। ये मनुष्य को भ्रष्ट करके पापों एवं अपराधों की अन्धेरी दुनिया में ले जाते हैं।

देश के अनेक महापुरुषों, धर्म प्रचारकों, समाज सुधारकों एवं ज्ञानी लोगों ने समय-समय पर इस दुष्प्रवृत्ति की निन्दा की है जो मनुष्य जीवन को अन्दर ही अन्दर खोखला कर रही है।

वर्तमान समय में नशाखोर आपको हर जगह कहीं न कहीं मिल जाएंगे। स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले विद्यार्थी अधिकतर इसके शिकार हो रहे हैं। नशीली दवाओं की बिक्री हर गली के मोड़ पर होने लगी है। नशाखोरी केवल समृद्ध परिवार के लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इनमें झुग्गी झोंपड़ियों में रहने वाले लोग, मज़दूर, कम आय के लोग, छोटे-छोटे दुकानदार भी शामिल हैं।

आजकल अनेक प्रकार के मादक पदार्थ बाज़ार में उपलब्ध हैं और ये मादक पदार्थ मनुष्य के शरीर, उसके मन तथा व्यवहार पर विभिन्न प्रकार से असर करते हैं। इनमें से तो कुछ हैं कोकीन, डैक्सोडिन, मैथोडिन, वेंजेडिन। कुछ ऐसे भी अवसादक हैं जैसे- अल्कोहल, बारबी, चुरट, वेलियम और लिब्रियम जैसे टॅक्यूलाइज़र (शान्त रखने की दवाई) और मेंड्रेक्स व हीरोईन जैसे मादक द्रव्य एवं नशीली दवाईयां। तीसरा बड़ा वर्ग है- नारकोटिक्स यानि संवेदन मंदक और तन्द्राकारी पदार्थों का जैसे- भांग, गांजा, चरस और हशीश और अन्तिम इनमें सबसे बड़ा ग्रुप है विभ्रम (हुलैसिनेशन) पैदा करने वाले मादक पदार्थों का जैसे एल.एस.डी. और पी.सी.पी.।

जब बिना डाक्टरी सलाह के कोई निरोग व्यक्ति रासायनिक पदार्थों का सेवन करता है तो यह मादक पदार्थों का अवांछनीय सेवन कहलाता है। इन मादक पदार्थों का सेवन लोग तरह-तरह से करते हैं। कुछ गोली के रूप में निगल जाते हैं, कुछ को चिलम या सिगरेट में भरकर दिया जाता है। कुछ मादक पदार्थों को इन्जैक्शन द्वारा भी लिया जाता है। इन मादक पदार्थों का सेवन चाहे जिस तरीके से किया जाए, परन्तु इनका सीधा असर शरीर के अंगों पर पड़ता है जिसका परिणाम होता है एक अस्त-व्यस्त जीवन और जीवन का एक दुःखद अन्त।

नशा करने से नशा करने वाले व्यक्ति के रहन सहन और उसके दैनिक बहार में काफी फर्क आ जाता है। वह अपना काम-काज भी ठीक ढंग से नहीं कर पाता। वह सारा दिन आलसी बनकर पड़ा रहता है, स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है. स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है, भख कम हो जाती है, वजन भा हो जाता है आदि। यदि उसको नशे की नियमित खुराक नहीं मिलती तो वह लगभग छटपटाने लगता है। कुल मिलाकर उसका जीवन अभाव ग्रस्त हो जाता है जिसमें मौत ही सवेरा बनकर आती है।

मादक पदार्थों की बुराइयों को जानते हुए लोगों में मदिरापान एक फैशन सा बन गया है। आजकल नगरों में क्लबों, होटलों और रेस्तरां में शराब की बिक्री दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। शाम होते ही लोग शराब के ठेकों की ओर जाना शुरू कर देते हैं। कितने मज़े की बात है कि दूध बेचने वाले व्यक्ति को दूध तो घर-घर जाकर बेचना पड़ता है परन्तु शराब अपने आप ठेकों पर बिकती है। नौजवानों की बात तो छोड़िए, आजकल तो बूढ़े लोग भी अपनी नसों में नया जोश भरने के लिए लालपरी की चुस्की लेने में पीछे नहीं रहते हैं। कोई पार्टी तब तक पार्टी नहीं समझी जाती जब तक उसमें ड्रिंक की पार्टी न हो।

मदिरापान की इन बुराइयों को ध्यान में रखकर सरकार ने कई प्रकार के कार्यक्रमों की घोषणा भी की है जिसके अनुसार सार्वजनिक स्थानों पर मदिरापान का निषेध, मदिरापान के विज्ञापनों पर रोक, स्कूल, कालेज, धार्मिक स्थानों के आस-पास मदिरालयों का निषेध; वेतन मिलने के दिन मदिरा की बिक्री पर रोक के साथ-साथ रेडियो, दूरदर्शन पर ऐसे सरकारी विज्ञापनों द्वारा लोगों को मदिरापान तथा अन्य नशों द्वारा होने वाली हानियों या जीवन पर पड़ने वाले कुप्रभावों के बारे में समय-समय पर बताया जाना आदि। कुछ राज्य सरकारों ने अपने राज्यों को नशा मुक्त करने के लिए कई कानून भी बनाए परन्तु ‘नशा बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों इसकी दवा की।

कोई भी सरकारी कानून किसी नशेड़ी व्यक्ति को कानून से नशा मुक्त नहीं कर सकता जब तक स्वयं उस व्यक्ति में यह जागरूकता नहीं आएगी कि वह नशे से दूर रहे क्योंकि नशे के कारण उसका जीवन नाश हो सकता है। जब तक समाज के लोगों में स्वयं इस बात का एहसास नहीं होगा कि नशा एक बुरी आदत है इससे जितनी जल्दी हो सके छुटकारा पाना चाहिए तब तक सरकारी कानून कुछ नहीं कर सकते। इसलिए यह जरूरी है कि लोगों के अन्दर पहले जागरूकता लाई जाए।

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