Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay on “My Daily Routine”, “मेरी दिनचर्या” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

Hindi Essay on “My Daily Routine”, “मेरी दिनचर्या” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.

मेरी दिनचर्या

My Daily Routine

 

भले ही देखने में यह प्रकृति स्वतंत्र है परन्तु सारी सृष्टि एक नियम में बंधी है जैसे पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती हुई सूर्य का चक्कर लगाती है जिससे रात-दिन बनते है. ऋतएं बनती-बदलती हैं। मानव जीवन भी एक क्रम में बंधकर चलता है और विकास की कई अवस्थाओं को पाता है। सबसे पहले बचपन आता है फिर लहलहाता यौवन तथा फिर शक्तिहीन बुढ़ापा तथा अन्त में मृत्यु की लम्बीनी आती है।

संसार का क्रम यहीं नहीं रुकता। जीवन के बाद मृत्यु, मृत्यु के बाद जीवन चलता रहता है। मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है। जीवन मूल्यवान है। जीवन को सफल बनाने के लिए वह कुछ नियम बनाता है, ताकि वह अनुशासन में रह कर जीवन जिए और उसका जीवन समाज, देश के लिए लाभदायक हो। मैं अभी छोटी आयु का विद्यार्थी हूँ। फिर भी मैंने जीवन के लिए एक दिनचर्या बना रखी है। विद्यार्थी जीवन चंचल होता है। वह लकीर का फकीर नहीं बन सकता, अत: समयानुसार उसमें भी परिवर्तन आता रहता है।

सारे दिन की गतिविधियों को दिनचर्या कहते हैं। मैं हर मौसम में सुबह 5 बजे उठ जाता हूँ। गर्मियों में छत पर खली हवा में सोता हूँ ताकि मेरे फेफड़ों को स्वच्छ हवा मिलती रहे और मैं बीमारियों से बचा रहूँ। 5 बजे उठकर शौचादि से निवृत होकर, दांतों की सफाई करके, स्नान करता हूँ। फिर 10 मिन्ट के लिए योगाभ्यास करता हूँ। उससे मांस पेशियां मज़बूत होती हैं। दिमागी तनाव दूर होता है तथा शरीर में स्फूर्ति आती है। इसके बाद मैं 10 मिनट अपने भगवान की भक्ति करते हुए कुछ मंत्रों का उच्चारण करता हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वह मुझे सद्धबुद्धि के साथ-साथ सफलता दें। उसके बाद एक घंटा मैं अपने स्कूल के पाठ को याद करता हूँ। फिर तैयार होकर नाश्ता करके स्कूल चला जाता हूँ।

दिन का अधिक समय मेरा स्कूल में ही व्यतीत होता है। स्कूल का समय गर्मियों में 7 से 2 बजे तक होता है और सर्दियों में 9 से 4 बजे तक। स्कूल में सारा समय पढ़ाई में व्यतीत होता है। इस समय कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ को तल्लीनता तथा एकाग्रता से सुनता हूँ, आवश्यक बातों को लिख लेता हूँ। स्कूल में होने वाली दूसरी सांस्कृतिक गतिविधियों में भी भाग लेता हूँ, जिनसे कई पुरस्कार भी प्राप्त कर चुका हूँ। मैं खेलों में भी भाग लेता हूँ।

छुट्टी होने पर मैं घर आकर चाय-पानी पीकर चुस्त हो जाता हूँ। इसके बाद माता जी के पास जाता हूँ। उनसे पूछ कर बाजार से ज़रूरी सामान ले आता हूँ। इसके बाद मैं स्कूल से दिया गृह-कार्य करता हूँ। इसमें मैं अपने माता-पिता की सहायता भी लेता हूँ। फिर मैं अपने मित्रों के साथ खेलने या घूमने या बाग की सैर को निकल जाता हैं। इस समय मैं ताजी हवा का सेवन करता हूँ। कभी तेज़ चलन लगता हूँ ताकि सारे शरीर के अंगों में स्वच्छ रक्त का संचार हो। अब जैसे ही अन्धेरा होने लगता है मैं घर वापिस आ जाता हूँ।

घर वापिस आकर मैं अपने परिवार के लोगों के साथ टी.वी. कार्यक्रम देखता हैं जिनमें क्विज प्रोग्राम, उपदेशात्मक नाटक शामिल होते हैं जो मेरे ज्ञान में वृद्धि करते हैं और पाठ्यक्रम में सहायक होते हैं। इसके बाद रात्रि का भोजन करके फिर से पढने बैठ जाता हूँ और गणित के प्रश्न हल करता हूँ ; अन्य विषयों को भी दोहराता हूँ। मैं यह दोहराई 9 बजे से लेकर साढे दस बजे तक करता हूँ। इसके बाद मैं अपने माता-पिता के साथ मीठी नींद में सो जाता हूँ और अगले दिन फिर 5 बजे उठकर अपनी दिनचर्या आरम्भ करता हूँ।

किसी भी दिनचार्य में बंध कर नहीं रहा जा सकता। कई बार परिस्थितियों के अनुसार इसमें परिवर्तन भी कर लिया जाता है।। जैसे छुट्टी के दिन कुछ समय अपने बाई-बहन, मित्रों से मेल-जोल करना, उनके दुख-सुख में सहायक होना मुझे अच्छा लगता है। इसके अतिरिक्त जब ग्रीष्म-कालीन अवकाश आता है तो मैं अपने माता-पिता के साथ किसी ऐतिहासिक या पर्वतीय स्थल की यात्रा को निकल जाता हँ। इससे मेरे ज्ञान में वद्धि होती है जो मेरी पढ़ाई में सहायक होती है। इस भ्रमण से मेरा मन-मस्तिष्क स्वस्थ हो जाता है। छुट्टियों में मैं अपना सारा पाठ्यक्रम दोहराता हूँ। मैं गणित और अंग्रेजी की ओर विशेष ध्यान देता हूँ क्योंकि यह दोनों ही मेरे प्रिय विषय हैं।

यह सच है कि दिनचर्या से जीवन सफल होता है, अध्ययन सफल होता है, इसलिए सफलता पाने के लिए हर विद्यार्थी को अपनी निश्चित दिनचर्या अवश्य बनानी चाहिए।

About

The main objective of this website is to provide quality study material to all students (from 1st to 12th class of any board) irrespective of their background as our motto is “Education for Everyone”. It is also a very good platform for teachers who want to share their valuable knowledge.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *