Hindi Essay on “Kanya Bhrun Hatya”, “कन्या भ्रूण हत्या” Complete Hindi Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
कन्या भ्रूण हत्या
Kanya Bhrun Hatya
भारतीय संस्कृति में नारी को बहुत ही गौरवमयी स्थान प्राप्त है। भारतीय संस्कृति के अनुसार-
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवताः”
अर्थात् जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। नारी के बिना कोई धार्मिक अनुष्ठान, हवन यज्ञ आदि पूर्ण नहीं होता। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि मध्यकाल में नारी की स्थिति काफी दयनीय बना दी गई थी। समाज में फैली अनेक कुरीतियों के कारण तथा कई प्रकार के अन्धविश्वासों के चलते औरत को कई लोग पैर की जूती भी समझने लगे थे। इतना सब कुछ होने के बावजूद नारी को समाज में पुनः अपनी पहचान बनाने में अधिक समय नहीं लगा। शनैः-शनै: उन्नति करती हुई नारी आज सफलता के उच्च शिखर पर पहुँच गई है। आज की महिला ने समाज के हर क्षेत्र में चुनौती को स्वीकारा है चाहे वह शिक्षा से सम्बन्धित हो या राजनीति से, डाक्टर हो या वकील, आई. एस. एस. की पदवी हो एयर होस्टेस या पायलट, फिल्मी दुनिया हो या फिर कला का कोई क्षेत्र या फिर अन्तरिक्ष यात्रा क्यों न हो।
देश की प्रथम महिला प्रधानमन्त्री श्रीमति इन्दिरा गाँधी, सरोजिनी नायडू, मगेशकर, कल्पना चावला, किरण बेदी, सान्या मिर्जा, उमा भारती या सुषमा स्वराज आदि कई प्रसिद्ध नाम हैं जिन्होंने जीवन के अलगअपनी सूझ-बूझ एवं प्रतिभा के बल पर भारत के गौरव को गौरवान्वित और भारत के तथा इसके नाम को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचाया है।
वह कन्या जिसको लक्ष्मी और देवी के रूप में हम प्राचीन का है और आज भी पूजते हैं, वह बालिका जो दुर्गा बनकर दुष्टों का दलन करने वाली है, राक्षसों के अत्याचारों को सहन करती हुई, अपनी मान मर्यादाओं को बचाती आई है, यहां तक कि यमराज के दूतों से अपने पति के प्राण बचाने वाली है। मुगलों के शासन काल में उसके ऊपर कई प्रकार के प्रतिबन्ध लगे, फिर भी मौका मिलते ही वह रानी झांसी की तरह गरजी, जीजाबाई की तरह कर्मठ बनीं और शिवा जी जैसे वीर पुत्रों को जन्म दिया। हमें यह भी विदित होना चाहिए कि प्रत्येक सफल व्यक्ति के पीछे किसी-न-किसी महिला का हाथ होता है। तुलसीदास को महाकवि बनाने वाली कोई और नहीं उनकी पत्नी रत्नावली थीं। कालिदास को भी महाकवि बनाने वाली उनकी पत्नी ही थी। शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाने वाली उसकी माता जीजाबाई ही थीं।
फिर एक ऐसा समय भी आया जब लडकी का जन्म लेना एक अभिशाप समझा जाने लगा। इसका सबसे बड़ा कारण था समाज में फैली बाल-विवाह और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियाँ और कई प्रकार के अन्धविश्वास तथा सती प्रथा आदि। लड़कियों के प्रति अनिच्छा की भावना हमारे समाज की संकीर्ण सोच का परिणाम है। ऐसा कहा जाता है कि पुराने समय में राजस्थान में कुछ लोग कन्या को जन्म लेने के पश्चात् मौत के घाट उतार देते थे और तर्क यह दिया जाता था कि यह लोग असभ्य तथा निर्दयी हैं जो ऐसा कुकृत्य करते हैं। परन्तु आजकल तो उच्च शिक्षा प्राप्त लोग और अपने आपको बहुत अधिक सभ्य समझने और बताने वाले लोग तो उन असभ्य एवं निर्दयी लोगों से एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। वे तो अपनी बच्चियों को जन्म लेने से पहले ही गर्भ में ही उनकी हत्या कर देते हैं।
1990 के आरम्भ में भारत में स्कैनिंग मशीनों का आगमन हुआ जिसका देश वासियों ने बहुत जोरदार स्वागत किया। लोगों का यह विश्वास था कि इन मशीनों के प्रचलन से लोगों के दु:ख कम हो जाएंगे क्योंकि इन मशीनों द्वारा शरीर के अन्दर के टयमर या अल्सर को सही ढंग से खोजने में मदद मिलेगी और उसका इलाज ठीक ढंग से हो सकेगा। परन्तु धीरे-धीरे इन मशीनों का दुरूपयोग होना प्रारम्भ हो गया जब डाक्टरों ने इस मशीन द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग निर्धारण करना शरू कर दिया। जब माता-पिता को पता चल जाता था कि गर्भ में पलने वाली बालिका है, जिसका नवरात्रों के दिनों में कंजक पूजन होता है, को गर्भपात करवा कर, जन्म लेने से पहले ही उसके साथ उसके अरमानों का भी गला घोट दिया जाता है। समाज की यह सोच बन चुकी है कि लड़का ही बड़ा होकर घर-परिवार की सेवा करता है, लडका ही वंश को चलाने वाला है। परन्तु समाज यह भूल जाता है कि यदि लडकी ही नहीं होगी तो लड़के क्या आसमान से पैदा होंगे क्योंकि लडकों को पैदा करने वाली तो नारी ही है और समाज को बनाने वाली तो एक नारी हाह, परन्तु फिर भी यदि हम समाज की जन्मदायिनी को ही मार देंगे तो समाज कस चलेगा?
आज सरकार ने लिंग निर्धारण को कानूनी तौर पर अवैध घोषित दिया है। डाक्टरों ने अपने क्लीनिक के बाहर बडे-बडे बोर्ड भी लगा रखे हैं कि यहां पर लिंग निर्धारण टैस्ट नहीं होता परन्तु फिर भी कुछ छटपुट समाचार मिलते रहते है और यह टैस्ट होते रहते हैं और कन्या भ्रूण हत्या भी होती रहती है। सरकार को चाहिए कि कन्या भ्रूण हत्या से सम्बन्धित कानून और अधिक कठोरता से लागू हों और ऐसा करने वालों को सख्त से सख्त सज़ा मिले ताकि वे भविष्य में किसी गर्भ में पल रही बच्ची की हत्या न कर सकें।