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Hindi Essay on “Jab Mene Galti se Kisi Dusri Pariksha ki Teyari kar li”, “जब मैंने गलती से किसी दूसरी परीक्षा की तैयारी कर ली” Complete Hindi Essay

जब मैंने गलती से किसी दूसरी परीक्षा की तैयारी कर ली

Jab Mene Galti se Kisi Dusri Pariksha ki Teyari kar li

 

परीक्षा का समय नज़दीक आने पर हमारा मन बेचैन सा हो जाता है । इसी बेचैनी में हम अपनी परीक्षा पत्रिका (डेट-शीट) को देखना भी आवश्यक नहीं समझते और उसे देखे बिना परीक्षा की तैयारी शुरु कर देते हैं । यह बात मेरे साथ भी हुई । जब मैं 10+2 में थी तब मैंने बेचैनी और चिन्ता में किसी और परीक्षा की जगह दूसरी परीक्षा की तैयारी कर ली । जब मैं परीक्षा देने के लिए स्कूल पहुंची तो मेरी सहेलियां किसी अन्य विषय की परीक्षा की तैयारी कर रहीं थी । उनसे पूछने पर मुझे पता चला कि मैंने गल्ती से दूसरी परीक्षा की तैयारी कर ली है। यह जानकर मझे बहुत घबराहट हुई और मेरे पैरों के नीचे से मानों ज़मीन ही निकल गई हो । थोड़ी ही देर में परीक्षा शुरु होने की घण्टी बजी । घण्टी की आवाज़ सुनकर सारे विद्यार्थी परीक्षा भवन में चले गए । परन्तु जब से मुझे यह पता चला था कि मैंने किसी दूसरी परीक्षा की तैयारी कर ली है तब से मेरा मन और अधिक बेचैन हो गया । मैं बार-बार भगवान से यही प्रार्थना करने लगी कि वह मुझे इस परीक्षा में उत्तीर्ण करें।

परीक्षा शुरु होने से पहले जब परीक्षा भवन में बैठी हुई अपनी पास की सहेली को मैंने यह बताया कि मैंने इस परीक्षा की बजाय किसी दूसरी परीक्षा की तैयारी की है तो वह भी यह जानकर उलझन में फंस गई । परन्तु फिर भी उसने यह बात जानकर भी मेरी हिम्मत को टूटने नहीं दिया । बल्कि मेरी हिम्मत को बढ़ाया और मेरी सफलता के लिए उसने भी भगवान से प्रार्थना की । थोड़ी ही देर में परीक्षा आरम्भ हो गई । हम सब को प्रश्न पत्र बांटे गए । प्रश्न पत्र पढ़ने से पहले मैंने भगवान से फिर प्रार्थना कि की मुझे वहीं प्रश्न आएं जो मैंने पूरे साल में पढ़े हैं, याद किए हैं और जो मेरे अध्यापकों ने मुझे पढ़ाए हैं । प्रार्थना करने के बाद मैंने प्रश्न पत्र पढ़ना शुरु किया । प्रश्न पत्र पढने पर मुझे ऐसा लगा कि मुझे पास होने के लिए जितने नम्बरों की आवश्यकता है उतने नम्बर मुझे अवश्य मिल जाएंगे क्योंकि प्रश्न पत्र में बहुत से प्रश्न वही आए जो मुझे मेरे अध्यापकों ने याद करवाए थे और वो मुझे बहुत ही अच्छी तरह स्मरण भी थे । मैंने जल्दी से अपना पेपर आरम्भ किया । सबसे पहले मैंने वहीं प्रश्न किए जो मुझे सबसे अच्छी तरह याद थे । इन्हीं प्रश्नों को करते करते मुझे घण्टा, दो घण्टे बीत गए । फिर बाद में मैंने उन प्रश्नों के करना आरम्भ किया जो मझे आते तो थे परन्तु इतनी अच्छी तरह नहीं । इसी प्रकार पेपर करते करते तीन घण्टे कब बीत गए पता ही नहीं चला।

परीक्षा खत्म होने पर जब हम परीक्षा भवन से बाहर निकले तो मेरी सहेली ने मुझ से पूछा कि मेरी परीक्षा कैसी हुई है ? उसके पूछने पर जब मैंने बताया कि मेरी परीक्षा अच्छी हुई है तो उस समय मानों मेरी और उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही न रहा । फिर जब घर आकर मैंने यह बात अपने परिवार में बताई तो वह भी चिन्ता में डूब गए । परिवार का प्रत्येक सदस्य मझ से यह पूछने लगा कि क्या सच में मैंने बिना पढ़े यह परीक्षा दी है ? माता और पिता जी ने यहां तक कह दिया कि अगर में इस परीक्षा में असफल हो गई तो कोई बात नहीं । परन्तु मुझे उन्होंने एक बात यह भी बताई कि किसी भी कार्य को करने से पहले उसके बारे में आपको जानकारी अवश्य होनी चाहिए । वह चाहे परीक्षा भवन हो या कोई और कार्यक्षेत्र । तब मैंने जाना कि बेचैनी और चिन्ता में किसी भी इन्सान की बुद्धि काम नहीं करती । काम करते समय हमें अपने दिमाग को सब चिन्ताओं से मुक्त कर लेना चाहिए । इसलिए मैंने इस घटना से यही सीखा है कि हमें हर कार्य को सोच समझ कर करना चाहिए ।

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