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Hindi Essay on “Disaster Management”, “आपदा प्रबंधन” Complete Paragraph, Nibandh for Students

आपदा प्रबंधन

Disaster Management

 

संकेत बिंदुआपदा प्रबंधन की आवश्यकतादमकल सेवाबहुमंजिली इमारतेंभूकंप मैनुअल

बहुमंजिला इमारतों के महानगर में तेजी से बदल रही दिल्ली के लिए अब विश्वस्तरीय आपदा प्रबंधन (डिजास्टर मैनेजमेंट) का खाका तैयार किया जा रहा है। आपदाओं से निपटने के लिए पूरी दिल्ली में दमकल केंद्र ऐसी जगहों पर बनाए जाएंगे, जहाँ से दमकलें अपने एरिया में आग लगने, भूकंप या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए तीन से पाँच मिनट के अंदर घटनास्थल पर पहुँच जाएंगी। आपदा प्रबंधन के लिए दिल्ली दमकल सेवा को नोडल एजेंसी बनाया गया है। मास्टर प्लान 2021 के तहत दमकल सेवा केंद्रों का बड़ा जाल बिछाया जाएगा। इस वक्त राजधानी की एक करोड़ से भी ज्यादा आबादी के लिए केवल 36 दमकल सेवा कद्र हैं। पहले चरण में इनकी संख्या चार गुना करने पर विचार हो रहा है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में दमकल चौकियाँ बनाई जाएंगी। मास्टर प्लान के तहत तीन से चार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में एक दमकल चौकी और पाँच से सात किलोमीटर क्षेत्र में एक दमकल केंद्र स्थापित होगा। इस सेवा को नए आधुनिक उपकरणों से लैस किया जाएगा। बहुमंजिला इमारतों तक पहुँचने के लिए निकट भविष्य में हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करने की भी योजना पर गौर किया जाएगा। बहुमंजिली इमारतों के निर्माण को भूकंप निरोधक बनाने के लिए कड़े नियम तो बनाए गए हैं, पर किसी भी आपात हालत से निपटने और ऐसी आपदाओं के प्रभावों को कम करने के लिए पूरी दिल्ली का सर्वे कर संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की जाएगी। नई प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को निर्माण नियमों के तहत अनिवार्य बनाया जा रहा है। अब किसी भी क्षेत्र में नगरीय सेवाओं के विकास का खाका तैयार करते वक्त संबद्ध एजेंसियों को दमकल विभाग से अग्नि नियंत्रण उपायों के लिए अनुमोदन लेना होगा। भारतीय भूकंप क्षेत्र मानचित्र के अनुसार दिल्ली भूकंप जोन-चार में आती है, जो कि दूसरा सबसे खतरनाक जोन है। अभी तक के रिकॉर्ड के मुताबिक राजधानी में 5.5 से 6.7 रिक्टर तीव्रता वाले कई भूकंप आए हैं। इसे ध्यान में रखते हुए ही तैयार किए गए भूकंप मैनुअल और राष्ट्रीय भवन कोड के अनुसार संवेदनशील ढाँचों की फिर से मरम्मत करने का फैसला किया गया है। खतरे की पहचान के आधार पर, जिसमें मृदा स्थितियाँ, भूकंप की तीव्रता की संभावना, क्षेत्र की भू-आकृति संबंधी स्थितियों का आकलन कर दिल्ली में भूमि उपयोग क्षेत्र का वर्गीकरण किया जाएगा।

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