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Hindi Essay on “Dakiya, Patra-Vahak” , ”पत्र- वाहक, डाकिया” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

पत्र- वाहक (डाकिया)

पत्र- वाहक डाक-विभाग से सम्बन्धित एक सरकारी कर्मचारी है जो विभिन्न क्षेत्रो में पत्रों का वितरण करता है | इसकी सेवाएँ देश में लिए बहुत आवश्यक व लाभदायक है | लगभग सारे देश में अनेको डाकघर है जहाँ पर अनेको पत्र-वाहक कार्यरत है | एक बड़े डाकघर का क्षेत्र विभिन्न इलाको में बंटा हुआ होता है और प्रत्येक इलाके के लिए प्राय : एक पत्रवाहक नियुक्त रहता है |

पत्रवाहक का कार्य प्रमुख रूप से अपने – अपने इलाके में पत्र , पार्सल व मनीआर्डर वितरित करना होता है | उसे इस कार्य के लिए प्रतिदिन एक दर से दुसरे दर पर जाना पड़ता है | वह इन पत्रों को अपने क्षेत्र (इलाके) के डाकघर से प्रतिदिन प्राप्त करता है | उस डाकखाने में ये पत्र , पार्सल आदि देश के विभिन्न स्थानों से ट्रेनों , बसों व हवाई जहाजो से लाए जाते है | जब वे पत्र आदि डाकघर में आ जाते है जब उनकी क्षेत्रानुसार छटाई की जाती है | इसके पश्चात प्रत्येक पत्र-वाहक को उसके अपने इलाके की डाक मिलती है जिसे वह अपने थैलों में भरकर बांटने निकल पड़ता है | बड़े – बड़े शहरो या नगरो में डाकखाने की गाडी अथवा बीएस पत्रवाहको को डाक के साथ उनके इलाको में बारी – बारी छोडती जाती है | परन्तु छोटे नगरो अथवा कस्बो में पत्रवाहक अपनी डाक को साइकिल पर या फिर पैदल ही बांटते  है | प्रतिदिन का यही कार्यक्रम रहता है |

पत्रवाहक की वेशभूषा में खाकी पैन्ट , खाकी कमीज तथा सर पर पहनने के लिए लाल पट्टी वाली टोपी होती है जिसे पहनकर वह अपने कार्य पर निकलता है | फिर वह अपने कार्य को बड़ी चुस्ती व ईमानदारी से पूरा करता है | वह अपने इस कार्य के लिए सवेरे ही निकल पड़ता है तथा देर रात तक घर लौटता है | उसे लगभग दिन में दो बार डाक बांटनी पडती है | उसे इस कार्य से रविवार को अवकाश मिलता है जिसमे वह अपने दुसरे घरेलू कार्य निबटाता है | जो गर्मी व बरसात में एक गाँव से – दुसरे गाँव तक जाना पड़ता है | उसे कितनी ही बार रस्ते में असामाजिक तत्वों का भी सामना करना पड़ता है |

परन्तु पत्रवाहक को उसके कठिन काम के बदले वेतन बहुत कम मिलता है | आज के इस भौतिक युग में इसका कार्य बहुत महत्त्वपूर्ण है | सारे व्यापारिक लेन-देन सम्बन्धी डाक के वितरण का भार इसके कन्धो पर ही है | अत : सरकार को चाहिए उसके कार्य के भार को देखते हुए उसके वेतन में वृद्धि करे ताकि वह अपने कर्त्तव्य का पालन निष्ठापूर्वक तथा दयानतदारी के साथ कर सके |

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