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Hindi Essay on “Computer aur TV ka prabhav ” , ” कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and other classes.

कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव

     कंप्यूटर और टी.वी. का बढ़ता प्रचलन – कंप्यूटर और टी.वी. आधुनिक युग के सबसे बढ़े वरदान हैं | इन दोनों ने इतनी रोचक और उपयोगी दुनिया बसा ली है कि आदमी इन्हीं की दुनिया में खोया रहना चाहता है | उन्नति की धरा के साथ चलने वाला हर मनुष्य दैनिक इन दोनों की सेवाएँ अवश्य लेता है |

     सकारात्मक प्रभाव – कंप्यूटर ने सांसारिक यात्रा को बहुत सरल और सुगम बना दिया है | कंप्यूटर से बैंक, तेल-सेवा, बिल-अदायगी जैसी सेवाएँ सरल, त्वरित और निर्देष हो गई हैं | अब बैंकों के ए.टी.एम. बिना भेदभाव के चोबिसों घंटे पैसे उपलब्ध करवाते हैं | कंप्यूटर और इंटरनेट के शेयर हम घर बैठे-बैठे अपने सभी बिल जमा करवा सकते हैं तथा यात्रा-टिकट ले सकते हैं | यहाँ तक कि खरीददारी भी ऑन लाइन हो गई है | इंटरनेट ने ज्ञान के विपुल भंडार मुफ्त उपलब्ध करा दिया हैं | कोई जिज्ञासु चाहे तो इंटरनेट के माध्यम से विश्व-भर की छोटी-से-छोटी जानकारी भी प्राप्त कर सकता है |

     दूरदर्शन भी ज्ञान का स्त्रोत है किंतु लोग इसे मनोरंजन के साधन के उप में स्वीकार करते हैं | उन्हें सुनकर मनुष्य की चेतना विकसित होती है |

     नकारात्मक प्रभाव – कंप्यूटर और टी.वी. के नकारात्मक प्रभाव भी सामने हैं | ये दोनों साधन दर्शक को एक जगह पर बाँध कर बिठा देते हैं और उसकी चेतक को पूरी तरह केंद्रित कर लेते हैं | परिणामस्वरुप लोग दैनिक कई घंटे इनमें खर्च कर देते हैं | सच मायनों में दिन में 24 नहीं 20-21 घंटे रह गए हैं |एक कारण बच्चों के खेल खत्म हो गए हैं, रिश्ते-नाते कम हो गए हैं, समाजिक संबंद ढीले पड़ गए हैं | दूरदर्शन और कंप्यूटर से संलिप्त व्यक्ति अकेल्ली दुनिया की सुरंग में खोया हुआ अजनबी हो गया है जिसे सारी दुनिया को मुट्ठी में करके की ललक तो है किंतु किसी से बात करने की फुर्सत नहीं है | इस कारण लोगों की आँखों पर चश्मे चढ़ गए हैं, पेट में चर्बी चढ़ गई है | मोटापा, ह्रदयाघात, सुगर, तनाव जैसे बीमारियाँ बढ़ने लगी हैं | अशोक सुमित्र से नहीं कहा है –

कंप्यूटर और टी.वी. ने ऐसे छेड़ी तान |

पंछी पिंजरों में घुसे, भूल गए हैं उड़ान ||

     इन दोनों साधनों का सबसे नकारात्मक प्रभाव है – अश्लीलता और अपसंस्कृति का प्रसार | बच्चे तड़क-भड़क वाले उतेजत कार्यक्रमों तथा नग्न दृश्यों में रूचि लेने लगे हैं | इस कारण समाज में छेड़छाड़, बलात्कार, चोरी, लुट आदि की आपराधिक घटनाएँ बढ़ने लगी हैं |

     नकारात्मक प्रभाव से बचने के उपाय – नकारात्मक प्रभावों से बचने का सर्वोतम उपाय है-आत्म-संयम | आज अच्छे और बुरे-सब प्रकार के कार्यक्रम दूरदर्शन और इंटरनेट पर उपलब्ध हैं | ये आगे भी उपलब्ध रहेंगे | इनमें से अच्छे कार्यक्रम में रस लेना, उसका सीमित उपयोग करना उपभोक्ता पर निर्भर है और रहेगा | अश्लील कार्यक्रमों पर रोक लगाने में सरकार की, मीडिया की, जनमत की, सामजिक संघठनों की भी भूमिका हो सकती है | सरकार को चाहिए कि वह सेंसर का प्रभावी प्रयोग करके नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए कदम उठाए |

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commentscomments

  1. Aman Anand says:

    Excellent

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