Hindi Essay on “Chutti ka Din”, “छुट्टी का दिन” Complete Essay, Paragraph, Speech for Class 7, 8, 9, 10, 12 Students.
छुट्टी का दिन
Chutti ka Din
छुट्टी का दिन भी क्या मज़े का दिन होता है ? दफ्तरों, कारखानों या दुकानों में काम करने वाले लोग सभी इस दिन की महिमा समझते हैं। बेचारे किसान दिहाडी करने वाले लोग, रिक्शा या टैक्सी चलाने वाले या घर के कामकाज में बंधी स्त्रियां इस दिन का महत्व जान ही नहीं पाते क्योंकि उनको कभी छुट्टी होती ही नहीं। विद्यार्थियों के लिए भी छुट्टी का दिन मानों एक वरदान होता है। जिस प्रकार दिन भर के कामकाज की थकावट को दूर करने के लिए रात की नींद आवश्यक होती है उसी प्रकार सप्ताह की यांत्रिक गति को दूर करके तन-मन को खुला अवकाश देने के लिए छुट्टी आवश्यक होती है। हर रोज़ सुबह सवेरे उठ कर कामकाज के लिए भागने वाले लोग इस दिन घोडे बेच कर सोते हैं और जी भर कर नींद का पूरा मजा लेते हैं। इस दिन वे अपने परिवार के साथ बैठ कर बढिया नाश्ते का मज़ा लेते हैं। कुछ लोग सप्ताह भर से पड़े हुए घर के कामकाज को निपटाते हैं या रसोई आदि के काम में स्वेच्छा से पत्नी का हाथ बटाते हैं।
बड़े-बड़े नगरों में रहने वाले लोग अपने मित्रों और सम्बन्धियों के यहां जाकर उनसे मिलकर छुट्टी के दिन का सदपयोग करते हैं। पत्नी या बच्चों की फरमाइशें पूरी करने का भी यही दिन होता है। कई लोग जो आगे-पीछे फिल्म आदि देखने नहीं जा पाते, इस दिन सपरिवार फिल्म देखने चल पड़ते हैं ; फलस्वरूप छुट्टी के दिन सिनेमाघर खचाखच भरे होते हैं।
कुछ लोग इस दिन दर्शनीय स्थलों की सैर को भी निकल पड़ते हैं और कुछ लोग आमोद-प्रमोद के लिए पिकनिक मनाने भी चले जाते हैं। धामिक भावनाओं वाले लोग, जो प्रतिदिन मन्दिर या गुरुद्वारे नहीं जा पाते, मन्दिरों और गुरुद्वारों में जा कर अपनी मानसिक भावनाओं को सन्तुष्ट करते हैं। इस दिन नगरों के दर्शनीय स्थलों या सैरगाहों पर खोमचे वालों और दुकानदारों की खूब बिक्री होती है। होटल और रैस्टोरां भी खचाखच भरे रहते हैं। छुट्टी के दिन बड़े-बड़े नगरों के बहुत से नौकरीपेशा लोग रात का खाना बाहर ही खाते हैं, फलस्वरूप बेचारी पत्नियों को भी फुर्सत का कुछ समय मिल ही जाता है।
कुछ घरघुसू किस्म के लोग छुट्टी के दिन भी बाहर नहीं निकलते, वे या तो चादर ताने सारा दिन खाट तोड़ते रहते हैं या दफ्तर का बचा काम घर पर उठा लात हैं। ऐसे लोग छुट्टी के दिन का यही अर्थ समझते हैं कि यह घर रहने का दिन है। वस्तुतः मनुष्य को छुट्टी का दिन पूरे और सही अर्थों में छुट्टी के रूप में ही मनाना चाहिए। उससे मनुष्य काम के लिए ताज़ादम भी हो जाता है और काम से ऊबता भी नहीं।