Hindi Essay on “Bhartiya Gramin Jeevan” , ”भारतीय ग्रामीण जीवन” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
भारतीय ग्रामीण जीवन
Bhartiya Gramin Jeevan
Best 3 Essays on “Bhartiya Gramin Jeevan”
निबंध नंबर :-01
भारत एक विशाल जनसंख्या वाला देश है जिसका एक बहुत बड़ा भाग आज भी गाँवों मे निवास करता है। ये लोग आज भी अपनी आजीविका के लिए पूर्ण रूप से कृषि पर निर्भर हैं। वास्तविक रूप ये यदि देखा जाए तो भारत की अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार कृषि ही है।
गाँवों मे लोग प्रायः सादा जीवन व्यतीत करते हैं। भारतीय ग्राम्य जीवन की जब भी बात होती है तो तपती हुई धूप में खेती करता हुआ किसान, दूर-दूर तक फैले हुए खेत और उन पर लहलहाती हरी-भरी फसल, घर का काम-काज सँभालती हुई औरतंे तथा हाट (बाजार) व मेले के दृश्य स्वतः ही मन-मस्तिषक पर उभर आते हैं। प्रदुषण से दूर स्वच्छ, सुगंधित व ताजी हवा गाँव की ओर अनायास ही खींचती है। सभी ग्रामवासियांे का मिल-जुलकर एक परिवार की भाँति रहना तथा एक-दूसरे को यथासंभव सहयोग करने हेतू सदैव तत्पर रहना हमारे ग्रामीण जीवन की विशेषता है।
ग्रामीण जीवन में मनोरंजन हेतू अनुपम व अनूठे साधन उपलब्ध हैं। लोग तरह-तरह से अपना व दूसरों का मनोरंजन करते हैं। प्रायः दिन में कार्य करने के पश्चात् सांयकाल को लोग चैपाल अथवा किसी प्रागंण आदि पर एकत्र होते हैं जहाँ वे तरह-तरह की बातों से अपना मन बहलाते हैं। कुछ लोग धार्मिक कथाओं जैसे श्रीराम अथवा श्रीकृष्ण आदि के जीवन-चरित्र पर चर्चा करते हैं। प्रायः लोग मंडली बनाकर ढोल, मजीरे आदि वाद्य यंत्रों के साथ बैठकर संगीत व नृत्य का आनंद उठाते हैं। गायन में लोकगीत व भजन आदि प्रायः सुनने को मिलते हैं।
विभिन्न त्योहारों का पूर्ण आनंद व उल्लास ग्राम्य जीवन में भरपूर देखने को मिलता है। दशहरा, दीवाली तथा होली आदि त्योहार ग्रामवासी परस्पर मिल-जुल कर व बड़े ही पारंपरिक ढंग से मनाते हैं। ग्रामीण मेले का दृश्य तो अपने आप में अनूठा होता है। भारतीय संस्कृति का मूल रूप इन्हीं मेलों व गाँव के जीवन में पूर्ण रूप से देखा जा सकता है।
ग्रामवासी प्रायः सीधे व सरल स्वभाव के होते हैं उनमें छल-कपट व परस्पर द्वेष का भाव बहुत कम देखने को मिलता है। उनमें धार्मिक आस्था बहुत प्रबल होती है। बड़ों की आज्ञा मानना व उन्हें सम्मान देना यहाँ की संस्कृति में है। यदि गाँवों को विकास की दृष्टि से देखा जाए जो हम पाएँगें कि देश के अधिकांश गाँव शहरों की तुलना में बहुत पीछे हैं। लाखों करोड़ों लोग आज भी निर्धनता की रेखा से नीचे जी रहे हैं। कितने ही लोग हर वर्ष भुखमरी, महामारी आदि के शिकार हो जाते हैं। गाँवों मे आज भी अधिकांश लोग अशिक्षित हैं। अंधविश्वास व धर्मांधता के चलते उनमें परिवर्तन लाना बहुत मुश्किल है। दूसरी ओर गाँव पहले काफी हरे-भरे थे, गाँव के चारों ओर एक हरित पट्टी सी थी जो अब धीरे-धीरे नष्ट हो चुकी है। इसके कारण गाँव मे पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या खड़ी हो गई है। गाँव के लोग अब लड़कियों के लिए भी शहरों पर निर्भर होते जा रहे हैं। बहुत से गाँवों के कुटीर उद्योग-धंधे भी इन्हीं कारणों से नष्ट हो गए हैं।
देश की लगभग दो-तिहाई आबादी गाँवों में ही निवास करती है। यदि हम अपने देश की उन्नति चाहते हैं तो हमें गाँवों की अवस्था में सुधार लाना होगा। भारतीय गाँवों को विकास की प्रमुख धारा में लाए बिना देश की ऊँचाई पर ले जाना असंभव है। अतः यह आवश्यक है कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने के साथ ही हम गाँवों के विकास हेतु नई-नई योजनाएँ विकसित करें और उन्हें कार्यान्वित करें। इस प्रकार निश्चय ही हमारा देश विश्व के अग्रणी देशों में से एक होगा।
निबंध नंबर :-02
ग्रामीण जीवन
Gramin Jeevan
प्रस्तावना- भारत एक ग्रामीण देश है। यद्यपि आज भारत के अधिकतर ग्रामीण लोग शहर की चकाचैंध से आकर्षित होकर शहर में निवास कर रहे हैं, परन्तु फिर भी आधुनिक युग में भारत की लगभग 80ः जनसंख्या गांवो में निवास करती है।
आज की स्थिति- वर्तमान में भारत में लगभग छह लाख गांव हैं। गांव के अधिकाशं व्यक्ति अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। वे प्रातः जल्दी उठते हैं तथा देर शाम तक अपने खेतों में काम करते हैं। उनका पूरा दिन खेत तैयार करने, हल चलाने, बीज बोने और फसल काटने में व्यतीत हो जाता है।
गांव में रहने वाले लोग अपनी खेतीबाड़ी के काम पर गर्व करते हैं। गांवो की उपजाऊ भूमि अनाज के रूप मंे सोना उगलती है।
साधारण जीवन- भारत के ग्रामीण का जीवन बहुत साधारण है। वे मिट्टी के कच्चे घरों मे रहते हैं, जिनकी छतें फूस की होती हैं। वे सादे कपड़े पहनते हैं तथा सादा खाना खाते हैं। ग्रामीण लोग शुद्व वायु में सांस लेते हैं।
ग्रामीण व्यक्तियों के मध्य प्यार पाया जाता है। उनके परिवार में भी सहयोग की भावना होती हैं। वहां एक ओर पत्नियां कृषि के काम में अपने पति का हाथ बंटाती है वहीं दूसरी ओर उनके बच्चे अपने माता-पिता को सहयोग प्रदान करते हैं।
मनोरंजन के साधन- ग्रामीण लोग काम के अतिरिक्त मनोरंजन भी करते हैं। जब उनकी फसल कटती है, तो वे खुशी से गाते तथा नाचते हैं। जब कभी उन्हें समय मिलता है, तो सभी गांव वाले मिलकर लोकगीत गाते हैं और लोकनृत्य करते हैं।
ग्रामीण वासियों की कुछ जातियों में एक बहुत बुरी प्रथा यह है कि वे अल्पायु में ही अपने बच्चों का विवाह कर देेते हैं जिससे इनके परिवार आवश्यकता से अधिक बढ़ जाते हैं। जो बाद में इनकी निर्धनता का कारण बनते हैं तथा यह एक सामाजिक बुराई है।
कुछ दोष- इसके अतिरिक्त इनमें दोष यह है कि ये विवाह या शादियों तथा त्यौहारों पर ऋण लेकर खर्च करते हैं जो इनकी निर्धनता का एक और मुख्य कारण है।
अधिकांश ग्रामीणों में शिक्षा की कमी हैं जिस कारण वे चालाक एवं बुद्धिमान लोगों द्वारा ठगे जाते हैं।
उपसंहार- ग्रामीणों की दशा सुधारने के लिए सरकार हरसम्भव प्रयास कर रही है। सरकार गांवों में पाठशालाएं तथा अस्पताल खोल रही है, सड़कें बना रही है। यातायात के साधन जुटा रही है, जिससे गांवो का सम्बन्ध शहरों के साथ बढ़ता जा रहा है।
हम आशा करते है कि भविष्य में एक बार फिर भारतीय गांवों में सुख और सम्पन्नता का साम्राज्य छाएगा।
निबंध नंबर :-03
ग्रामीण जीवन और भारत
Gramin Jeevan aur Bharat
संकेत बिंदु –गाँव और शहर –दोनों प्रकार के जीवन में भेद –सुविधा, अमुविधा
भारत गाँवों का देश है। यहाँ शहर कम गाँव अधिक हैं। भारत की 80% आबादी गांवों में रहती है। शहरी जीवन में जहाँ अनेक प्रकार की सुख सुविधाएँ हैं वहीं ग्रामीण जीवन अनेक प्रकार की असुविधाओं से भरा है। ग्रामीण जीवन में कई प्रकार बना डा ना करना पड़ता है। दोनों प्रकार के जीवन में भेद स्पष्ट है। गांवों में प्राकृतिक वातावरण मिलता है। वहां प्रदुषण नहीं है तथा स्वच्छ वायु मिलती है। यहाँ के जीवन में सरलता एवं सहजता होती है। यहाँ का वातावरण शांत होता है। इसके विपरीत शहरी जीवन भागमभागी लगी रहती है। यहाँ के जीवन में शांति का अभाव है। यहाँ प्रदूषण भी बहुत है। पर शहरी जीवन स्त्री को आकृष्ट करता है क्योंकि यहाँ अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होती हैं। शहरों में फैशन दिखाई देता है, पढार्ट के अच्छे अवसर मिलते हैं आवागमन के अनेक साधन प्रयोग में लाए जाते हैं। दोनों प्रकार के जीवन का अपना-अपना महत्व है।