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Hindi Essay on “Arvind Ghosh” , ”अरविंद घोष” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

अरविंद घोष

Arvind Ghosh

श्री अरविंद घोष का जन्म 15 अगस्त 1872 को हुआ था। सात वर्ष की अवस्था में ही उन्हें उच्च शिक्षा के लिए विलायत भेज दिया गया। उन्हें हिंदू संस्कारों से दूर रखने का प्रयास किया गया। किंज्स कॉलेज, कैंब्रिज से उन्होंने ट्रिपोस की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने आई.ए.एस. की खुली परीक्षा सवोच्च अंकों में उत्तीर्ण की, परंतु उन्होंने सरकारी गुलामी करने से इनकार कर दिया।

सन 1913 में वे भारत लौट आए और बड़ौदा राज्य की सेवा में लग गए। भारत आकर वे समस्त वाड्मय और संस्कृति के अध्ययन में रम गए। उन्होंने संस्कृत, बंगला, मराठी, गुजराती, हिंदी आदि वाड्मय का गहन अध्ययन किया। बड़ौदा कॉलेज में उन्होंने प्राध्यापक के रूप में कार्य करना आरंभ कर दिया। श्री अरविंद घोष ने भगिनी निवेदिता से भेंट की। कुछ समय बाद उन्होंने राजनीतिक जीवन में प्रवेश किया। सन 1902 से उन्होंने सक्रिय राजनीति में भाग लेना शुरू कर दिया।

बंग-भंग की घोषणा होने के बाद वे इस आंदोलन में कूद पड़े। सन 1907 में उनका एक उग्र पत्रकार रूप सामने आया। उन्होंने उसी समय ‘वंदे मातरम’ नामक एक साप्ताहिक समाचार-पत्र निकाला। ब्रिटिश सरकार ने उनके ऊपर राजद्रोह का आरोप लगाया। श्री अरविंद बिना किसी चिंता के अपने काम में लगे रहे। सन 1908 में किंज्स फोर्ड अत्याकांड, अलीपुर बम-कांड में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल की यातनादायी कोठरी उनकी तपस्या की कुटी बन गई। कुछ समय बाद उन्हें जेल से मुक्ति मिल गई।

‘कमयोगिन’ तथा ‘धर्म’ नामक समाचार-पत्रों का उन्होंने सफल संपादन किया। ब्रिटिश शासन ने कुचक्र रचकर पुन: उन पर मुकदमा कर दिया। उन्होंने अंग्रेजों की मांग को भांप लिया था। वे तत्काल चुपके से चंद्रनगर और पांडिचेरी के लिए प्रस्थान कर गए। वहां वे योग-साधना में लीन हो गए। उन्होंने ‘आर्य’ नामक साप्ताहिक समाचार-पत्र का संपादन किया।

5 दिसंबर 1940 को कर्मयोगी श्री अरविंद का निधन हो गया।

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