Hindi Essay on “A Street Quarrel” , ”एक गली का झगड़ा” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
एक गली का झगड़ा
A Street Quarrel
निबंध नंबर:- 01
भारत में गली में होने वाला झगड़ा एक आम नज़ारा है। यह कम से शुरू होता है तथा धीरे-धीरे भयानक रूप ले लेता है। कई बार इसके नतीजे जीवन तथा माल का नुकसान तक कर देते हैं। इसके कारण विपदा तथा परेशानी का वातावरण बन जाता है। लोग धड़ों में बंट जाते हैं। इससे नियमों का भी उल्लंघन होता है। इसको सुलझाने के लिए पुलिस को बुलाना पड़ता है।
एक दिन गली में कुछ लड़के गेंद से खेल रहे थे। राजन नामक लड़के ने ज़ोर से गेंद मारी। यह जा कर श्री सुदेश के मुँह पर लगी। उनका चश्मा टूट गया। उनके चेहरे से खून आने लगा। जब वे गिरे सभी लड़के अपने घरों में भाग गए। तभी श्री सुदेश का परिवार मौके पर पहुंच गया। उन्होंने अपने हाथों में तलवारें तथा डंडे पकड़े हुए थे।
सभी राजन के घर की ओर जाने लगे। उन्होंने राजन को घर से बाहर आने की चुनौती दी। तभी राजन के पिता वहाँ आ गए। उनको इस सब के बारे में कुछ भी नहीं पता था। जैसे ही वह वहां पहुंचे तो श्री सुदेश के पुत्रों ने उन पर हमला कर दिया। तभी राजन के परिवार वाले भी तीखे हथियार लेकर बाहर आ गए। तभी वहां सभी की आपस में लड़ाई शुरू हो गई। एक-दो तो बहुत गहरे रूप से जख्मी हो गए।
किसी की भी आगे जाकर उन्हें रोकने की हिम्मत न हुई। किसी ने पुलिस को बुला लिया था। सही समय पर पुलिस की गाड़ी मौके पर पहुंच गई। उन्होंने दोनों परिवारों से दोदो सदस्य गिरफ्तार कर लिए। उन लोगों को पुलिस स्टेशन ले जाया गया। जख्मी लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। दोनों परिवारों के विरुद्ध केस दर्ज किया गया। दोनों धड़ों को ही सहायता के लिए इधर-उधर भागना पड़ा। अंत में दोनों धड़ों ने अपनी गल्तियाँ मान ली। उन्होंने एक-दूसरे से माफी मांगी। अन्त में इस लड़ाई को राजीनामा करवा कर सुलझा दिया गया।
निबंध नंबर:- 02
गली में लड़ाई
अक्सर छोटी-छोटी बातों से झगड़े हो जाते हैं। जहाँ भी लोग रहते हैं झगड़े हो जाते हैं। जैसे ही झगड़ा खत्म होता है तो इसमें लिप्त लोग इसे जल्दी भूल जाते हैं। कई बार कुछ झगड़े जीवन भर की शत्रुता में बदल जाते हैं।
पिछले हफ्ते हमारी गली में एक झगड़ा हो गया। दो लड़के क्रिकेट खेल रहे थे। एक अन्य लड़का पास से गुज़र रहा था। अचानक क्रिकेट की गेंद उसे लग गई। यह केवल एक हादसा था। छोटेलाल ने गेंद उठाई और भाग गया। दोनों लड़कों ने उसका पीछा किया और आगे निकल गए। उन्होंने छोटेलाल से अपनी गेंद खोसने की कोशिश की। उसने वह वापिस देने से मना कर दिया। हाथापाई में वह कीचड़ से भरे खड्डे में गिर गया। उसके सारे कपड़े भीग गए और खराब हो गए। उसे गुस्सा आ गया और उसने मुन्ना और नन्हे की फटकार लगा दी। बहस से वे मुक्कों पर उतर गए। मुन्ना और नन्हें ने छोटेलाल को काबू कर लिया। उसने जोर से चिल्लाना शुरु कर दिया। मुन्ना और नन्हें भाग गए। छोटेलाल अपने घर चला गया और दोनों लड़कों के खिलाफ शिकायत की।
छोटे की माँ उत्तेजित हो गई। वह मुन्ना के घर गई और उसकी शिकायत की। वहाँ उसने नन्हें को दरवाज़े के पीछे छुपा हुआ देखा।
उसने लड़कों को अपने छोटे बेटे को पीटने के लिए गाली निकालना शुरू कर दिया।
मुन्ना की माँ भी चुप नहीं रही। उसने भी वैसा ही किया। उन्होंने भी मुक्के चलाने शुरु कर दिए।
शोर सुन कर कुछ पड़ोसी भी वहाँ इकट्ठे हो गए। वे भी चुप खड़े होकर लड़ाई का मज़ा ले रहे थे। उनको लड़ाई में धकेले जाने का डर था। लेकिन एक बूढ़ी औरत ने हस्तक्षेप किया। उसने दोनों लड़ रही औरतों को अलग किया। इस पर एक अन्य औरत ने मुन्ना की माँ का पक्ष लिया। छोटेलाल की माँ फिर भी कुछ समय के लिए चिल्लाती रही। कुछ समय बाद वह कांपने लग पड़ी और शान्त खड़ी हो गई। उसे पीने के लिए पानी का गिलास दिया गया। मुन्ना की माँ अन्दर चली गई और ज़ोर की आवाज़ के साथ दरवाजा बन्द कर दिया। इस प्रकार झगड़ा खत्म हो गया।
अगले दिन दोनों औरतें गली में बातें करती दिखाई दीं। इतना ही नहीं लड़के भी दुबारा मित्र बन गए। छोटेलाल, मुन्ना नन्हें और दूसरे लड़कों को क्रिकेट खेलते देखा गया। वे सब पहले वाले झगड़े के विषय में भूल गए थे।